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(ए) २२ गुदि ५ जनम्या. वदि ७ मोक्षपाम्या. २२ गुदि ६ दिवालीधी. ७ वदि चवन॥ २३ गुदि मोक्षपाम्याः ए शुदि ए मोहपाम्या. २० गुदि १५ चवन ॥ ॥धाशोवदिशुदिपद ॥२॥ ॥नावाव दिशुदिपदाथा २२ वदि ७ केवलझाना १६ वदि ७ चवन० ॥ २१ शुदि १५ चवन० ॥
॥ अथ श्री शत्रुजय पद ॥ ॥ दादा मोरा सासरीए वसाव्य,सासरीयां जाए ले रे शेजो नेटवा ॥ जाशे जाशे जेवगणोनी जोड, देरा गीयो जाशे रे उरितने मेटवा ॥ १ ॥ धियडी मारी शेजेजो दूर,सासर वासो रे नथी सज्यो वली ॥ कठण ने था ननालानो काल, जूनी लहरें रे शरीर रहे बली ॥२॥ दादा मोरा पापीने से दूर,सासरवासोरे मुने पोहोतो सवे ॥ नलें लह्यो उनालो ए वाट, न वमा नमतां रे जाणुं बुं बहु नवें ॥३॥घेली बेटी घेलडीयां श्यां बोल, देशावर जातां रे फुःख बहु दे खq ॥ दादा मोरा नजरें देखं ए देश तो फुःख सघलां रे सुख करी लेखq ॥ ४ ॥ उर्गतिनां पार्दु हो दांत,
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