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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ७६ ) बिंब ॥ पांचे पांव पूजीयें ए, यदबुद आदि प्रलंब ॥ श० ॥ ए ॥ खरतर वसही खांतसुं ए, बिंब जुहारु अनेक || नेमनाथ चोरी नमुं ए,टानुं अलग उद्वेग ॥ ॥ श० ॥ १० ॥ धर्मारमादे नीस ए, कुगति करूं यति दूर ॥ यातुं यादिनाथ देहरे ए, कर्म करूं चक चूर ॥ श० ॥ ११ ॥ मूलनायक प्रणमुं मुदा ए, यदि नाथ नगवंत || देव जुहारुं देहरे ए,जमतीमांहे जगवं त ॥ श० ॥ १२ ॥ शत्रुंजा नपर कीजीयें ए, पांचे में स्नात्र ॥ कलश ग्रहोत्तर शो करी ए, निर्मल नीरशुं गा त्र ॥ श० ॥ १३ ॥ प्रथम यादीसर यागलें ए, पुंमरीक गणधार ॥ राय तल पगलां वली ए, शांतिनाथ सुख कार ॥ श० ॥ १४ ॥ रायण तजे पगलां नमुं ए, चो मुख प्रतिमा चार ॥ बीजी नूमें बिंब वली ए, पुंमरी क गणधार ॥ श० ॥ १५ ॥ सूरजकुंम निहालीयें ए, यति नली उलखा जोल || चेल तलाइ सिद्ध शिला ए, अंगें करीशुं उल्लोल ॥ श० ॥ १६ ॥ श्रादिपुर पा जें उतरुं ए, सिवड लनं विश्राम ॥ चैत्य प्रवाडी इणी परें करी ए, सीधां वंबित काम ॥ श० ॥ १७ ॥ जा त्रा करी शत्रुज ती ए, सफल कीयो अवतार ॥ कु शल देमशुं खावीया ए, संघ सदु परिवार ॥ ० ॥ श For Private and Personal Use Only
SR No.020710
Book TitleShatrunjay Tirthmala Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirnaysagar Press
PublisherNirnaysagar Press
Publication Year1885
Total Pages96
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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