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(५३) चैत्री पुनमने दिने, कररी अणसण एक मास ॥ पांच कोडी मुनि साथसुं, मुक्ति निलयमा वास ॥ ७ ॥ तिणे कारण पुमरिकगिरि, नामथयुं विख्यात ॥ मन वच कायें वंदोय, मी नित्य प्रनात नासि॥
३ वीश कोडीसुं पांमवा, मोद गया इणे नाम। इम अनंत मुक्तंगया, सिषक्षेत्र तिणे नाम ॥णासिक
४ अडशठ तीरथ न्हावतां, अंगरंग घडीएक ॥ तुंबी जल स्नाने करी, जाग्यो चित्तविवेक ॥ १० ॥ चंदशेखर राजा प्रमुख, कर्मकठिन मलधाम ॥ अचल पढ़ें विमला थया, तिरो विमलाचल नाम॥११॥सि०॥
५पर्वतमां सुरगिरि वडो, जिन अनिषेककराय ॥ सिम दूधा स्नातक पदें, सुरगिरि नामधराय ॥१२॥ अथवा चनदेहेत्रमा, ए समो तीरथन एक ॥ तिणे सुरगिरिनामें नमं. जिहां सुरवात अनेक॥१३॥सि
६ अयसी योजन पृथुलो,उंचपणे दबीश ॥ महि मा ए महोटो गिरि,महागिरि नामनमीस॥१४॥ति॥ ___गणधर गुणवंता मुनि, विश्व माहे वंदनीक ॥ जेहवो तेहवो संयमी, विमलाचल पूजनीक ॥ १५॥ विप्र लोक विखधर समा,उःखीया नूतल मान॥ इव्य लिंगी कण क्षेत्र सम, मुनिवर बीप समान ॥ १६ ॥
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