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(३४) देहरी, चोपन रूडी दीसेजी ॥ तेहमा प्रतिमा एकशो त्र्याए, देखी हीयहूं हीसे ॥ ढुं० ॥ ए॥ नीलडी रायण तरुवर हेग्ल, पीडला प्रमुजीना पायजी॥ पूजी प्रणमी नावना नावी, कलट अंग नमाय ॥ ढं ॥१०॥ तस पद हेतल नाग मोरनी, मूरति बेद शोहावेजी ॥ तस सुर पदवी सिक्षाचलनां, माहात्म माहे कहावे ॥ढुं० ॥ ११ ॥ साहमा पुमरिक स्वामी बिराजे, प्रतिमा बबीश संगेंजी ॥ तेहमा एक बौधनी प्रतिमा, टाली नमीयें रंगें ॥ ढुं० ॥ १२ ॥ तिहाथी बाहिर उत्तर पासें, प्रतिमा तेर देदारुजी ॥ एक रूपानी यवर धातुनी, पंच तीरथ वारू ॥९० ॥ ॥ १३ ॥ नत्तर सन्मुख गराधर पगला, चनदसया बावननांजी, तेहमां शांतिजिणंद जुहारी, पुग्या कोड ते मनन ॥ दु० ॥१४॥ ददग पासे सहस कूटने, देखी पाप पलायजी ॥ एक सहस्स चोवीश जिनेसर, संख्यायें कहेवाय ॥ ९० ॥ १५ ॥ दश दे मली त्रीश चोवीसी, वली विहरमान विदेहेंजी॥ एकशो सीतेर उत्कृष्ट कालें, संप्रति वीश स्नेहे ॥ हुँ॥ ॥१६॥ पाठांतर ॥ दश दे मला त्रीस चोवीसी, एक शो शाठ विदेहें जी॥ उत्कृष्टा विहरमान विनजी, संप्र
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