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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शत्रुजयतीर्थोद्धारप्रबन्ध का श्रीविद्यामण्डनमूरि की आज्ञा को मस्तक पर धारण कर उन के वशवर्ती शिष्य विवेकधीर ने संघनायक श्रीकर्मा साह के महान् उद्धार की यह प्रशस्ति बनाई है । इस में जो कुछ दोषकणिकायें दृष्टिगोचर हो उन्हें दूर कर निर्मत्सर मनुष्य इस का अध्यायन करें ऐसी विज्ञप्ति है । इस प्रबन्ध के बना ने से मुझे जो पुण्य प्राप्त हुआ हो उस से जन्मजन्मान्तरों में सम्यग् दर्शन, ज्ञान और चरित्र की मुझे प्राप्ति हो-यही मेरी एक केवल परम अभिलाषा है । जब तक जगत्में सुर-नरों की श्रेणिसे पूजित शत्रुजय पर्वत विद्यमान रहें तब तक कर्मा साह के उद्धार का वर्णन करने वाली यह प्रशस्ति भी विद्वानों द्वारा सदैव वांची जाती हुई विद्यमान रहें । वैशाख सुदी सप्तमी और सोमवार के (प्रतिष्ठा के दूसरे) दिन यह प्रबन्ध रचा गया है और श्रीविनयमण्डन पाठक की आज्ञा से सौभाग्यमण्डन नामक पण्डित ने दशमी और गुरुवार के दिन इस की पहली प्रति लिखी है । * ॥ शुभमस्तु ।। For Private and Personal Use Only
SR No.020705
Book TitleShatrunjay Mahatirthoddhar Prabandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherJain Atmanand Sabha
Publication Year1917
Total Pages118
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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