________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऋ. सं. // 248 // PASISISISISISISISISISISISISISISISISASA निहोतारंमनुषःस्वध्वरम् / विप्रंनद्युक्षवचसंसुवृक्तिभिर्हव्यवाहमतिदेवम॒असे 4 . अ.४अ.५ पावकायश्चितयन्त्याकृपाक्षामंत्रुरुचउषसोनभानुना तूर्वत्रयामुन्नेतशस्यनूरण , आयोघृणेनततृषाणोअजरः 5 // 17 // अग्निमग्निवःसमिधादुवस्यतप्रियनियोअतिथिंगृणीषणि / उपयोगीर्भिरमृतविवासतदेवोदेवेषुवनतेहिवार्यदेवोदेवेपुवनतेहिनोदुर्वः 6 समिद्धम॒ग्निंसमिागिरागृणेशुचिंपावकंपुरोअध्वरेध्रुवम् / विIहोतारंपुरुषारेमद्रुहकविंसुग्नै महेजातवेदसम् 7 त्वांदूतमंनेअमृतयुगेयुगे / हव्यवाहैदघिरेपायुमीड्यम् / देवासश्चमतीसच जाविंवि विश्पतिनमसानि दिरे विभूषन्नमायाँअनुव्रतादूतोदेवानांरजसीसीयसे / यत्तेधीतिसुमति मोवृणीमहे ऽधस्मानस्त्रिवरूपःशिवोभव 9 तंसुप्रतीकंसुदृशंखञ्चमविद्वांसोविहै दुष्टरंसपेम / सयक्षुद्विश्ववियुनानिविद्वान्हव्यमग्निरमृतेपुवोचत् 10 // 18 // // 24 // For Private and Personal Use Only