________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अ. अ.८ // 18 // रघुद्रुवःसंसुजातातःसूरयइर्षस्तोतृभ्यआर्भर 2 अग्निहिवाजिनविशेददातिविश्वचर्षणिः। अग्नीग़येस्वाभुव॑सीतोर्यातिवायुमिर्षस्तोतृभ्यआर्भर 3 आतेअम इधीमहिद्युमन्तदेवा॒जरम् / यहस्यातेपनीयसीसमिहीदय॑तिद्यवीर्षस्तोतृभ्यआ भर 4 आतेअनचाहविःशुक्रस्यशोचिषस्पते। सुश्चन्द्रदस्मविश्पतेहव्यवाद् तुभ्यंहूयतइषस्तोतृभ्यआर्भर 5 // 22 // प्रोत्येअ॒ग्नयोऽग्निषुविश्वपुष्यन्तिवायम् / तेहिन्विरेतइन्विरेतईषण्यन्त्यानुषगिर्षस्तोतृभ्यआभर 6 तवत्येअग्ने अर्चयोमहिवाधन्तवाजिनः / येपत्वभिःशफानौवजाभुरन्तगोनामिषस्तोतृभ्य आर्भर 7 नवानोअनआर्भरस्तोतृभ्यःसुक्षितीरिषः / तेस्यामयआनुचुस्त्वादूतासोदमैदमुइस्तोतृभ्यआभर 8 उभेसुश्चन्द्रसर्पिोदवीश्रीणीषसनि / - // 18 // SASARASISASASASAYASASARSAASANA For Private and Personal Use Only