________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऋ.सं. अ.३अ.३ // 12 // // 1 // गिर्वणःपाहिनःसुतंमधोर्धाराभिरज्यसे / इन्द्रत्वादातमिद्यशः 6 अभि द्युम्नानिवनिनइन्द्रसचन्तेअक्षिता / पीत्वीसोम॑स्यवावृधे 7 अर्वावतौनआहि परावर्तश्चवृत्रहन् / इमार्जुषस्वोगिरः 8 यदन्तरापरावर्तमर्वावतैचहूयसै इन्द्रेहततआर्गहि 9 // 2 // आ तू नो नव विश्वामित्र इन्द्रो गायत्री। 41 आतूनइन्द्रमग्घुवानःसोमपीतये / हरिभ्यांयाह्यद्रिवः 1 सत्तोहोतान ऋत्वियस्तिस्तिरेबर्हिरानुषक् / अयुंजन्तरद्रयः 2 इमाब्रीब्रह्मवाहःक्रियन्त आबर्हिःसीद / वीहिनूरपुरोळाशम् 3 रारन्धिसर्वनेषुणएषुस्तोमैषुवृत्रहन् / उक्थेष्विन्द्रगिर्वणः 4 मतयःसोमपामुरुरिहन्तिशवसस्पतिम् / इन्द्रवत्सन मातरः 5 // 3 // समन्दस्वाह्यन्धसोराधसेतन्वामहे / नस्तोतारैनिदेकरः 6 // 12 // For Private and Personal Use Only