________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandr
पारर्द्धमि विवाहे लक्खिज्जइ एस धूमकेउछ । ता भायइ मज्झ मणो सहसा एयंमि दिट्ठमि ॥ ३ ॥
हिए भणियं णु ! म एवमुलबसु, एसो तुज्झ पाणनाहो भविस्सर, तीए भणियं सहि ! सच्चमेयं ?, एस मे पाणनाहो भविस्सइ ?, तीए भणियं-सहि ! सच्चमेयं होही ?, सहिए भणियं को इत्थ विभमो ?, वडकुमारीवि जइ परं पराभवित्ति भणिऊण विसायवसविसप्पमाण तिब्बसंतावा सणियं सणियमवक्कमिऊण जणमज्झयाओ पुरोहडावडंमि निवडिया वेगेण, तओ जाव इओ तओ समीवट्ठियजणविमुक्कहाहारवनिसामणेण धाविओ उत्तारणत्थं जणो ताव अइपउरसलिलत्तणेण कूवस्स अवस्संभवियद्ययाए विणासस्स मया एसा, विगयजीविया य बाहिं पक्खित्ता कूवयाओं, कओ से सरीरस्स सक्कारो, ताणि य कोटिंगजणणिजणगाईणि जणेण हीलिज्जमाणाणि गयाणि सग्गामं, भणिओ य तेहिं एसो-वच्छ ! कोटिंग तुह परिणयणनिमित्तं न सो कोऽवि उवाओ जो न कओ, केवलं तुह कम्मपरिणइवसेण सचो विहलत्तणं पत्तो, ता मा मुणिहिसि जहा अम्मापियरो ममं उवेहगाणित्ति, तेण भणियं - पुचकयकम्ममेव एत्थ अवरज्झर, का तुम्ह उबेहा ?, जइ खुजओ दूरमूसवियवाहूवि फलं न पावड़ ता किं कप्पतरुवरस्स वयणिज्जंति १, एवं च तेसिं परोप्परोहावेण जाया रयणी, अह तेसु निष्भरपसुत्तेसु परमं चित्तपरिताबमुहंतो कोटिंगो नीहरिओ गेहाओ, पयट्टो तित्थदंसणत्थं, कमेण य दद्रूण सयललोइयतित्थाई गहिया अणेण काबलियतवस्सिदिक्खा, मुणिओ तद्दरिसणाभिप्पाओ, सिक्खियाइं भूमिलक्खणपमुहाई विन्नाणाई ।
For Private and Personal Use Only