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इय निरुवमसंजमभूरिभारधरणेकधीरधवलस्स । वीरस्स भुवणगुरुणो चरिए तइलोक्कवित्थरिए ॥ ६॥ बहुऽणत्थसत्थसालयगोसालयदुविणेयपडिबद्धो । वित्थरओ पत्थायो समथिओ छठ्ठओ एस ॥ ७॥ जुम्मं ।
इति गोसालदुविणयपडिबद्धो छटो पत्थावो सम्मत्तो ॥
॥ इति षष्ठः प्रस्तावः ॥
ORGANAGAR
अथ सप्तमः प्रस्तावः गोसालएण सहियस्स सामिणो संसिया उ उवसग्गा । एगागिणो उ एत्तो जह जाया ते तह कहेमि ॥१॥
अह पलयपयंडानलाणुरूवधम्मज्झाणनिज्झोसियासुहमलोवलेवो दाहोत्तिण्णजचकंचणच्छाएण पभापसरेण समु|ग्गमंतदिणयरनियराउलं दिसियकवालं कुणंतो सो महावीरजिणवरो कमेण विहरमाणो वेसालिं नयरिं संपत्तो, तत्थ य अहिगयजिणभणियजीवाजीवाइनवपयत्थो विविहाभिग्गहग्गहणनिग्गहियाविरइभावो भवभयारद्धसुविसुद्धाणुब्वयाइसावगधम्मो सिद्धत्थनरवइबालमित्तो संखो नाम गणराया, सो य भयवंतं पञ्चभिजाणिऊण पराए | मत्तीए महया रिद्धिसमुदएण सकारेइ, अह कइवयदिणावसाणे सामी वाणियगामे पढिओ, तस्स य अंतरा रंग| तभंगुरतरंगा महाजलुप्पीलपूरियपुलिणा महिलाहिययं व दुग्गेज्झमज्झा रणभूमिव कच्छवयमयरहिया गंडईया नाम
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