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एत्तो विरत्तचित्ता कुडिलत्तणवजिया मियाभासी । जे ते अवजसपंकेण नेव छिप्पंति कइयावि ॥८॥ पडिबुद्धकमलपरिमलसममुहनिस्साससुरहियदियंता । पूइज्जंति जणेण य आएजगिरा य जायंति ॥ ९॥ जो परधणं विलुंपइ सो झंपइ सुगइगिहकवाडाई । निबिडाई कम्मनिगडाई कुणइ तुच्छेहियसुहत्थं ॥ १० ॥ एत्तो चिय दोगचं पइजम्मं उवचिणेइ मूढप्पा । सुयदइयाविरहुब्भवदुहं च पावेइ दुविसहं ॥ ११ ॥ जे पुण संतोसपरा तणंपि गिण्हंति नेव य अदिन्नं । ते देवाणवि पुज्जा हवंति किं पुण मणुस्साणं? ॥ १२ ॥ वहुंति धणविलासा निवडंति न आवयाउ कइयावि । पुजंति य निविग्धं मणोरहा तेसि नीसेसा ॥ १३ ॥ जे अणिगिहियप्पाणो इहभवसुहलेसमेत्तपडिवद्धा । दासव कामलुद्धा मुद्धा जुबईण वटुंति ॥ १४ ॥ नरवइसेवणसंगामकरणपमुहाई विविहवसणाई । मेहुणसन्नाभिरया असइंपि लहंति ते पुरिसा ॥ १५ ॥ कामविवरंमुहा पुण नरसुरजणपूयणिजकमकमला । देहुब्भवमविणस्सरपरमाणंदं सइ चरति ॥ १६ ॥ पडिपुण्णबंभपालणपवित्तगत्ताण पुरिससीहाण । सुमरणमेत्तेणं चिय विजा मंता य सिझंति ॥ १७ ॥ जे न परिग्गहविरई कुणंति पावेसु संपयटुंति । बंधति कोसियारोव अप्पयं ते सकिरियाए ॥ १८ ॥ पइदियहलाभवसवड्डमाणगुरुलोभदूमियसरीरा । सवत्थ ममत्तपरिग्गहेण सुचिरं किलिस्संति ॥ १९ ॥ अपरिग्गहा उण नरा ससरीरेऽविहु ममत्तपडिबंधं । न कुणंति वत्थपत्ताइएसु सेसेसु का गणणा? ॥२०॥
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