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( ३४ )
फिर # स्वजन्म दिन औ नवरोजे औ जब जब आवे रविवार, तब २ को अकबर ने सुखमद किया अहिंसा धर्म प्रचार | कुछ दिन फिर अकबर ने ऐसे निश्चित किए सुमंगल धाम, जिल में हत्या करने वाले का हो प्राणदण्ड परिणाम | (३५)
तद् विषयक फ़रमानों का सम्पूर्ण देश में हुआ प्रचार, 1 'विजय प्रशस्ति' 'बदाऊनी' भी इसको करते हैं स्वीकार । अब तक यह फरमान सुरक्षित कहीं कहीं पाए जाते, मुसलमान कालीन जैन की स्थिति जो अब तक बतलाते । ( ३६ )
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पाठकगण ! उन के पढ़ने से होता है असीम आमोद, निम्नांकित सारांश उसी का देते हैं - हो मनो विनोद | जाने सभी हमारा इस में सतत मोद और उद्देश, शुभकृति - शान्ति सुविस्तृत हो भगजावें और निशाचर क्लेश ॥
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* अकबर का अपना जन्मदिन | विजय प्रशस्ति सार के कती और बदाऊनी प्रसिद्ध ऐतिहासिक भी ऐसे फरमानों का जारी होना मानते हैं ।
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