________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
[१०]
(२८)
"जैन साधु रखते न सवारी मुनि भी हैं पैदल आए. वे पैदल ही चलते हैं" सुनकर अकबर अति सकुचाए । फेर धर्म विषयक चर्चाकर दोनोंने आनन्द लिया, देव, गुरु धर्म तत्व पर मुनिवर ने व्याख्यान दिया ।।
( २६ )
मुनिने फिर विज्ञान और स्याद्वाद जैनका समझाया, अद्भुत जैन-धर्म का तब यों अकबर ने परिचय पाया । उनकी शुचिता, निस्पृहता, विद्वत्ता आदिक देख सभी, हर्षित विस्मित और चकित भी अकबर नरपति हुए तभी ||
(३०)
अकबर ने बहु धर्म पुस्तकों का उनको उपहार दिया, अबुलफ़ज्लके त्याग्रहसे जो मुनिने स्वीकार किया । पर मुनिके जीवन का तो है एक कर्म उपकार महान अतः आगरेमें देदीं सभी पुस्तकालय को दान ॥
For Private And Personal Use Only