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(४) ॐ ही श्रीवज्राङ्कुश्यै स्वाहा (५) ॐ ह्री श्री चक्रैश्वर्यै स्वाहा (६) ॐ लो श्री पुरुषदत्तायै स्वाहा (७) ॐ ही श्री काल्यै स्वाहा (८) ॐ ही श्री महाकाल्यै स्वाहा (९) ॐ ही श्री गौर्य स्वाहा (१०) ॐ ही श्री गान्धायै स्वावा (११) ॐ हो श्री सर्वास्त्राम्हाज्वालायै स्वाहा (१२) ॐ ही श्री मानव्यै स्वाहा (१३) ॐ ही श्री वैरुग्यायै स्वाहा (१४) ॐ ही श्री अच्छुप्तायै स्वाहा (१५) ॐ ही श्री मानस्यै स्वाहा (१६) ही श्री महामानस्यै स्वाहा मध्य : रोहिण्यादि महाविधा, देव्यः सुपूजिता इमाः सन्तिकरयन्त्रस्य पूजने स्युर्वरप्रदाः
(सुमालीथी धावा) પાંચમું વલય શાસન દેવી (યક્ષ–યક્ષણીનું પૂજન પુષ્પાંજલિ यासां संस्मरणाद भवन्ति सकलाः संपदगणा देहिनां, दिकपूजाकरणकशुद्धमनसां स्युर्वाञ्छिाता लब्धयः ॥ याः सर्वाश्रमवन्दितास्त्रिजगतामाधारभूताश्च याः; वन्दे शासनदेवताः परिकरैर्युक्ताः सशस्त्रात्मनः ॥१॥
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