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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 947 ) विमानना विमन-णियच+टाप] अनादर, / विमोक्षणम.-णा विमोक्ष + ल्यट] 1. कटकारा रिसाई निरादर, अपमान, प्रतिष्ठा भंग विमानना सुभ्र कुतः मुक्त करना 2. गोली दागना 3. त्यागना, छोड़ना, पितुर्गहे कु० 5/43, अभवन्नास्य विमानना क्वचित् परित्यक्त करना 4. (अण्डे) देना। -रघु०८८ / विमोचनम् वि+मुच-- ल्युट] 1. खोल देना, जूआ हटा विमानित (भू० क० कृ०) वि / मन् + णिच् + क्त] लेना 2. रिहाई, स्वतन्त्रता 3. छुटकारा, मोक्ष / अनादृत, निरादृत। विमोहन (वि०) (स्त्री० - ना,-नी) [वि+मुह +-णिच विमार्गः [विरुद्धो मार्ग:---प्रा० स०] 1. खराब सड़क / +ल्युट | 1. रिझाना, प्रलोभन देना, आकृष्ट करना, 2. कुपथ, दुराचरण, अनैतिकता 3. झाडू। सम० ___-नः, नम् नरक का एक प्रभाग, “नम् फुसलाना, . - गा असती स्त्री विमार्गगायाश्च रुचिः स्वकांते लुभाना, आकृष्ट करना / —भामि० 1.125, गामिन्, प्रस्थित (वि.) विवः, -- बम् दे० 'बिम्ब' / असदाचारी-श० 5 / 8 / विबकः दे० 'बिम्बक' / विमार्गणम् [वि मार्ग +ल्युट्] ढूंढना, खोजना, तलाश | विबटः [बिंब्+अट् + अच्, शक० पररूपम्] राई का करना। पौधा। विश्रित, विमिश्रित (वि०)[वि+मित्र+अच, क्त वा] मिला। विविका दे० 'बिंबिका' / हआ. सम्पक्त, गड्डमड्ड किया हुआ (करण के साथ बिंबा-बी (स्त्री) [बिंब--अच-टाप, ङीष वा एक बल या समास में)-भिविमिश्रा नार्यश्च-महा०, दंपत्योरिह | का नाम / को न को न तमसि वीडाविमिश्रो रसः गीत० 5 / / विबित दे० 'बिबित'। विमक्त (भ० क. कृ०) [वि+मुच+क्त] 1. आजाद विद्यः (पं.) सुपारी का पेड़ / किया हुआ, रिहा किया हुआ, स्वतन्त्र किया हुआ, वियत् (नपुं०) [वियच्छति न विरमति... वि+यम् 2. परित्यक्त, छोड़ा हुआ, त्यागा हुआ, पीछे रहा +क्विप्, म लोपः, तुकागमः] आकाश, अन्तरिक्ष, हुआ 3. स्वतंत्र 4. जोर से फेंका गया, (बन्दूक से) निरभ्रव्योम -- पश्योदग्रप्लुतत्वाद्वियति बहुतरं स्तोकदागा गया 5. अभिव्यक्त। सम० कंठ (वि.) / मुल् प्रयाति श० 27, रघु० 13040 / सम. क्रन्दन करने वाला, फूट फूट कर रोने वाला। -गंगा 1. स्वर्गीय गंगा 2. आकाशगंगा,-चारिन विमुक्तिः (स्त्री०) [वि+म+क्तिन्] 1. रिहाई, छुट- (वियच्चारिन्) (पुं०) चील,भूतिः (स्त्री०) कारा 2. वियोग 3. मोक्ष, उद्धार / अंधकार, मणिः (वियन्मणिः) सूर्य। विमुख (वि०) (स्त्री०-खी) [विरुद्धमननुकूलं मुखं यस्य | वियतिः (पुं०) पक्षी। प्रा० ब०] 1. मुंह मोड़े हुए 2. पराङ्मुख, अनिच्छुक, / वियमः [वि+यम+अप] 1. प्रतिबंध, रोक, नियन्त्रण विरुद्ध-न क्षुद्रोऽपि प्रथमसुकृतापेक्षया संश्रयाय, प्राप्ते 2. दुःख, पीड़ा, कष्ट 3. विराम, पड़ाव / मित्रे भवति विमुखः किं पुनर्यस्तथोच्चः मेघ० वियात (वि०) [विरुद्धं निंदां यात:-प्रा० स०] 1. धृष्ट 17,27, (रधूणां) मनः परस्त्रीविमुखप्रवृत्ति रघु० 2. साहसी, निर्लज्ज, ढीठ / 1668, 19:47 3. शत्रु--हि० 11130 4. रहित, वियाम दे० 'वियम'। शून (समास में) करुणाविमुखेन मृत्युना हरता त्वां वियुक्त (भू० क० कृ०) [वि+युज्+क्त] 1. विच्छिन्न, बद किं न मे हुतम् रघु०८।६७ / पृथक्कृत, अलग किया हुआ 2. जुदा किया हुआ, परिविमुग्ध (वि.) [वि-मुह / त] अव्यवस्थित घबराया त्यक्त 3. मुक्त, वंचित (करण के साथ या समास में)। हुआ, व्याकुल / / वियुत (भू० क० कृ०) [वि-+-यु+क्त] वियुक्त, विरहित, विमुद्र (वि.) [बिगता मुद्रा यस्य प्रा० ब.] 1. बिना | वञ्चित --विक्रम० 4 / 18 / / मोहर लगा 2. खुला हुआ, मकुलित, खिला हुआ। वियोगः [वि-|-युज्+घञ] 1. जुदाई, विच्छेद,-अयमेकविमूढ (भू० क० कृ०) [वि+मुह -क्त] 1. घबराया पदे तया वियोगः सहसा चोपनतः सुदुःसहो मे-विक्रमः हुआ, व्याकुल 2. बहकाया हुआ, लुभाया हुआ, फुस 4 // 3, त्वयोपस्थितवियोगस्य तपोवनस्यापि समवस्था लाया हुआ 3. जड़। दृश्यते - श०४, संधत्ते भृशमरति हि सद्वियोगः - कि० विमृष्ट (भू० क० कृ०) [वि+मृज्--क्त 1. मला हुआ, 5 / 41, रघु० 12 / 10, शि० 1263 2. अभाव, पोंछा गया, साफ किया गया 2. सोचा हुआ, विचार हानि 3. व्यवकलन / किया हुआ, चिन्तन किया हुआ। वियोगिन् (वि.) [वियोग+इनि] वियुक्त-(पुं०) चक्रविमोक्षः [वि+मोक्षु / घा] 1. रिहाई, मुक्ति, छुटकारा वाक / 2. मोली दागना, निशाना लगाना 3. मुक्ति / वियोगिनी [वियोगिन् +ङीष] 1. अपने पति या प्रेमी से For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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