________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 922 ) भग० 244 3. आवास, रहना, घर 4. जगह, स्थित | कालीन, माधवी, बहार के लायक, बसत में उत्पन्न 5. कपड़े, पोशाक / सम०-- अ(आ) गार:-रम्, 2. जीवन का बसन्त, जवान 3. परिश्रमी, सावधान -गृहम्, वेश्मन् (नपुं०) घर का आन्तरिक कक्ष, (कर्तव्यपालन में),-स: 1. ऊँट 2. जवान हाथी विशेषतः शयनागार -धर्मासनाद्विशति वासगृहं नरेन्द्र: 3. कोई भी जवान जन्तु 4, कोयल 5. दक्षिणी पवन, - उत्तर० 117, विक्रम०१,-कर्णी वह कमरा जहाँ मलय पहाड़ से चलने वाली हवा- तु. मलय समीर सार्वजनिक प्रदर्शन (नाच, कुश्ती, तथा अन्य प्रति- 6. एक प्रकार का लोबिया 7. लंपट, दूराचारी,-ती योगिताएँ) होते है, -तांबूलम् अन्य सुगन्धित 1. एक प्रकार की चमेली (सुगंधित फूलों से लदी मसालों से युक्त पान, - भवनम्,-मन्दिरम्, सदनम् हुई) ... वसन्ते वासन्तीकुसुमसुकुमाररवयवैः-गीत०१ निवासस्थान, घर,--यष्टिः (स्त्री०) पक्षियों के बैठने 2. बड़ी पीपल 3. जूही का फल 4. कामदेव के का डंडा, छतरी, अड्डा, वेणी०२।१, मेघ० 79, सम्मान में मनाया जाने वाला उत्सव-तु. -योगः एक प्रकार का सुगन्धित चूर्ण, - सज्जा वसंतोत्सव / वासक सज्जा दे। वासंतिक (वि.) (स्त्री०- की) [वसन्त+ठक] बसन्त पासक (वि.) (स्त्री०का, --सिका) [ वास्+णि+ ऋतु से संबद्ध,-क: 1. नाटक का विदूषक या ण्वुल] 1. सुगन्धित करने वाला, सुवासित करने | हंसोकड़ा 2. अभिनेता। वाला, पाने वाला, घूप देने वाला 2. बसाने वाला, / वासरः रम् [सुखं वासयति जनान् वास्+अर] (सप्ताह आवाद करने वाला, - कम वस्त्र, कपड़े। सम० का) एक दिन / सम० संगः प्रातः काल / -सज्जा-सज्जिका वह स्त्री जो अपने प्रेमी का वासव (वि०) (स्त्री० वी) [वसुरेव स्वार्थे अण, वसूनि स्वागत, सत्कार करने के लिए अपने आपको वस्त्रा- सन्त्यस्य अण् वा] इन्द्र सम्बन्धी पांडुतां वासवी लंकार से भूषित करती तथा घर को साफ सुथरा दिगयासीत्का०, वासवीनां चमनाम् मेघ० 43, रखती है, विशेषतः उस समय जव कि प्रेमी का मिलन ... यः इन्द्र का नाम - कु० 3 / 2, रघु० 5 / 5 / सम० नियत किया हुआ हो; भावी नायिका, नायिका का ... वत्ता 1. सुबन्धु की एक रचना 2. कई कहानियों भेद साहित्यदर्पणकार परिभाषा देता है: कुरुते मंडनं में बणित नायिका (इस स्त्री) का वर्णन भिन्न-भिन्न यस्याः (या तु) सज्जिते वासवेश्मनि, सा तु बासक- कवि विविध प्रकार से करते हैं। 'कथासरित्सागर' सज्जा स्याद्विदितप्रियसंगमा- 120; भवति विलं- के अनुसार वह उज्जयिनी के महाराजा चण्डमहासेन बिनि विगलितलज्जा विलपति रोदिति वासकसज्जा की पुत्री थी जिसका अपहरण वत्स के राजा उदयन ने -गीत०६। किया था। श्रीहर्प उसे प्रद्योत राजा की पूत्री बतलाते पासतः [ वास्+अतच ] गधा / हैं (दे० रत्न० 1010) और मल्लि० की टीका के वासतेय (वि.) (स्त्री०--यो) [ वसतये हितं साधुवा अनुसार-प्रद्योतस्य प्रियहितरं वत्सराजोऽत्र जह तु ] निवास करने के योग्य,-यी रात। .- वह उज्जयिनी के राजा प्रद्योत की पुत्री थी। वासनन् [ वास्+ल्युट ] 1. सुगन्धित करना, सुवासित भवभूति कहते हैं कि उसके पिता ने उसकी सगाई करना 2. धुपाना 3. निवास करना, टिकना 4. राजा संजय के साथ की थी, परन्तु उसने अपने आवासस्थान, निवासस्थान 5. कोई पात्र, आधार, आपको उदयन की सेवा में अर्पित किया (दे० मा० टोकरी, सन्दूक, बर्तन आदि-याज्ञ० 2 / 65, 2) / परन्तु सुबन्धु की वासवदत्ता की वत्स की (वासनं निक्षेपाधारभूतं संपुटादिकं समुद्रं ग्रंथ्यादि कहानी से कोई समानता नहीं। हाँ, उसका नाम युतम्) 6. ज्ञान 7. वस्त्र, परिधान 8. गिलाफ, अवश्य एक ही था। भवभूति के अनुसार उसके पिता लिफाफा। ने उसकी सगाई पुष्पकेतु के साथ की थी, परन्तु बासना [वास्-णिच+युच+टाप] 1. स्मति में प्राप्त कंदर्पकेतु उसे अपहृत कर ले गया। यह संभव है कि ज्ञान, तु. भावना 2. विशेषतः अपने पहले शुभाशुभ 'वासवदत्ता' नाम की कई नायिकाएँ हों)। कर्मों का अनजाने में मन पर पड़ा हमा संस्कार वासवी [वासव+ङीप] व्यास की माता का नाम / जिससे सुख या दुःख की उत्पत्ति होती है 3. उत्प्रेक्षा, वासस् (नपुं०) [वस् आच्छादने असि णिच्च] वस्त्र, कल्पना, विचार 4. मिथ्या विचार, अज्ञान 5. अभि- परिधान, कपड़े - वासांसि जीर्णानि यथा बिहाय लाषा, इच्छा, रुचि--संसारवासनावद्धशृंखला-गीत. I नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि - भग० 2 / 22, कु० 3 6. आदर, रुचि, सादर मान्यता तेषां (पक्षिणां) 7.9, मेध०५९। मध्ये मम तु महती वासना चातकेषु-भामि० 4 / 17 / | वासिः (पुं०, स्त्री०) [वस्+इञ] बसूला, छोटी कुल्हाड़ी, वासंत (वि०) (स्त्री० -ती) [वसन्त+अण] 1. बसन्त | छेनी,-सिः निवास, आवास / पासतेय निवास कर 1. मुर्गा For Private and Personal Use Only