________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 892 ) पुनर्विवक्षुः स्फुरितोत्तराधरः-कु० 5 / 83, तु० 'बटु' / वण्टनम् [ वण्ट् + ल्युट् ] विभाजन करना, अंश बनाना, से भी 2. ब्रह्मचारी। बाँटना या विभक्त करना। वटुकः [ बटु-+-कन् ] 1. छोकरा, लड़का 2. ब्रह्मचारी वण्टालः, वण्डालः वण्ट+आलच, पक्षे पुषो० टस्य डत्वम्] 3. मूर्ख, बुद्ध। 1. शूरवीरों की प्रतियोगिता 2. कुदाल, खुर्पा 3. नाव। वट (भ्वा० पर वठति) 1. बलवान् या शक्तिशाली होना | वण्ठ (भ्वा० आ० वण्ठते) अकेले जाना, बिना किसी को 2. मोटा होना। साथ लिए चलना / कठर (वठ् + अरन् ] 1. मन्दबुद्धि, जड़ 2. दुष्ट, - RH वण्ठ (वि०) [वण्ठ + अच् ] 1. अविवाहित 2. ठिंगना 1. मूर्ख या बुद्ध 2. बदमाश, या दुष्ट 3. वैद्य या 3. विकलाङ्ग,-8: . अविवाहित पुरुष, कुंआरा डाक्टर 4. जल-पात्र / / 2. सेवक 3. ठिंगना 4. भाला, नेजा। वडभिः ,---भी दे० बलभिः , -- भी। वष्ठरः [ वठ+अरन् ] 1. बांस का आवेष्टन, बाँस का वडवा बलं वाति बल+वा+क+टाप, डलयोरेक्यात् मोटा पत्ता 2. ताड का नया किसलय 3. (बकरे को) लस्य डत्वम्] 1. घोड़ी 2. अश्विनी नाम की अप्सरा बाँधने के लिए रस्सी 4. कुत्ता 5. कुत्ते की पूंछ जिसने घोड़ी के रूप में सूर्य के द्वारा अश्विनीकुमार 6. बादल 7. स्त्री की छाती। नाम के दो पुत्र उत्पन्न करवाये दे० संज्ञा 3. दासी वण्ड / (भ्वा० आ० बण्डते) 1. बाँटना, हिस्से करना, 4. वेश्या रण्डी 5. ब्राह्मण जाति की स्त्री, द्विजयो अंश वनाना 2. घेरना, चारों ओर से आवेष्टित षित् / सम० - अग्निः, अनलः समुद्र के भीतर करना। / (चुरा० उभ० वण्डयति-ते) हिस्से रहने वाली आग, मुखः 1. समुद्र के भीतर रहने करना, बाँटना, अंश बनाना। वाली आम 2. शिव का नाम / वण्ड (वि०) [वण्ड-+-अच् ] 1. अपाङ्ग, अपाहिज, विकवडा [वड़। अच् + टाप] एक प्रकार की रोटी। लाङ्ग 2. अविवाहित 3. नपुंसक बनाया हुआ, . वरिशम् [बलिनो मत्स्यान् श्यति नाशयति शोक, 1. वह आदमी जिसकी खतना हो चुकी है या जिसकी लस्य इत्वम् ] दे० 'बडिश' / जननेन्द्रिय के अग्रभाग को ढकने वाला चमड़ा नहीं वर (वि.) [बड्+रक्] विशाल, बड़ा, महान् / है 2. बिना पंछ का बैल, डा व्यभिचारिणी स्त्री वण् (भ्वा० पर० वणति) शब्द करना, ध्वनि करना। / -तु० 'रण्डा ' / वणिज् (पुं०) [ पणायते व्यवहरति पण+इजि पस्य वण्डरः [वण्ड्+अरन्] 1. कजूस, मक्खीचूस 2. हिजड़ा / वः] 1. सौदागर, व्यापारी-यस्यागमः केवलजीविकाय (वि.) एक प्रत्यय जो 'स्वामित्व' की भावना को तं ज्ञानपण्यं वणिज वदन्ति-मालवि० 1117 2. तुला प्रकट करने के लिए 'संज्ञाशब्दों' के साथ लगाया राशि (स्त्री०) पण्यवस्तु, व्यापार। सम० कर्मन् जाता है.-उदा० धनवत-धनाढय, रूपवत् सुन्दर, (नपुं०),-क्रिया क्रयविक्रय, व्यापार,-जन: 1.(सामूहिक इसी प्रकार भगवत, भास्वत आदि, (इस प्रकार बने रूप से) व्यापारी वर्ग 2. व्यापारी, सौदागर, पथः हुए शब्द विशेषण होते हैं) 2. भ० क. कृ० के 1. व्यापार, क्रयविक्रय 2. सौदागर 3. बनिये की आधार से 'बत्' लगा कर कर्तवा० का रूप बना दुकान, आपणिका 4. तुलाराशि, वृत्तिः (स्त्री) लिया जाता है--इत्युक्तवन्तं जनकात्मजायाम् - रघु० व्यापार, क्रयविक्रय भर्तृ० 3181, सार्थः व्यापारियों 14 / 43 3. अव्य० 'समानता' और 'सादृश्य अर्थ को का दल, टोली। प्रकट करने के लिए संज्ञा या विशेषण शब्दों के साथ वणिजःविणिज अच (स्वार्थ)] 1.सौदागर, व्यापारी वत्' जोड़ दिया जाता है उदा० आत्मवत्सर्वभूतानि 2. तुला राशि। यः पश्यति स पण्डितः / वणिजकः [वणिज+कन] सौदागर, बनिया / वत वन्+क्त] दे० बत / वणिज्य, वणिज्या [वणिज्य त्, स्त्रियां टाप च] व्यापार वतंसः [अवतंस्-अच् वा घा, भागुरिमते 'अव' इत्यस्य ऋयविक्रय / अकारलोपः] दे 'अवतंस'--कपोलविलोलवतंसं वण्ट (भ्वा० पर०, चुरा० उभ० वण्टति, वण्टयति -गीत०२।। ते ) बांटना, अंश बनाना, विभाजन करना, / बतोका अवगतं तोक यस्या:-अवस्य अकार लोपः] बाँझ हिस्से करना / या निस्सन्तान स्त्री, वह गाय या स्त्री जिसका किसी बण्ट: [ वण्ट+घञ ] 1. भाग या खण्ड, अंश, हिस्सा ! दुर्घटनावश गर्भपात हो गया हो। 2. दरांती का दस्ता 3. अविवाहित पुरुष, कुँआरा। बत्सः वद्+सः] 1. बछड़ा, किसी जानवर का वच्चा, वण्टकः [वण्ट्+घञ्च, स्वार्थे क] 1. बाँटने वाला, वितरण : तेनाद्य वत्समिव लोकम, पुपाण-भत० 2156, करने वाला 2. वितरक 3. भाग, अंश, हिस्सा। यं सर्वशैलाः परिकल्प्य बत्सं-कु० 102 2. लड़का For Private and Personal Use Only