________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 872 ) होना,-पादेनकेन गगने द्वितीयेन च भतले, तिष्ठाभ्य- ] लय (भ्वा० आ० लयते) जाना, हिलना-जुलना। ल्लम्बितस्तावद्यावत्तिष्ठति भास्करः -- मृच्छ० 2 / 10 | लयः [ली-अच्] 1. चिपकना, मिलाप, लगाव 2. प्रच्छन्न, वि-, 1. लटकाना, लटकना, स्थगित होना- रघु० छिपा हुआ 3. संगलन, पिघलना, घोल 4. अदर्शन, 10162 2. अस्त होना, क्षीण होना (सूर्यादि का) विघटन, बुझाना, विनाश, लयं या विघटित होना, 3. ठहरना, पिछड़ना, रह जाना- कु. 713, नष्ट होना 5. मन की लीनता, गहन एकाग्रता अनन्य 4. देर करना, मन्दगति होना-विलम्बितफलः कालं भक्ति (किसी भी पदार्थ के प्रति -पश्यन्ती शिवरूपिणं निनाय स मनोरथ:-रघु०१३३, कि विलम्ब्यते त्वरितं लयवशादात्मानमभ्यागता-मा० 5 / 2, 7, ध्यानलयेन तं प्रवेशय--उत्तर०१। ---गीत० 4 6. संगीत की लय (तीन प्रकार की लम्ब (वि०) लिम्बू+अच्] 1. नीचे की ओर लटकता -- द्रुत, मध्य और विलंबित)-किसलयः सलयरिव हुआ, झूलता हुआ, लम्बमान, दोलायमान-पाण्डयो- पाणिभिः--रघु० 9 / 35, पादन्यासो लयमनुगतः ऽयमंसापितलम्बहारः-रघु० 6 // 60, 84, मेघ ---मालवि० 29 7. संगीत में विश्राम 8. आराम 84 2. लटकता हुआ, अनुषक्त 3. बड़ा, विस्तृत 9. विश्राम स्थान, आवास, निवास ---अलया-शि० 4. विस्तीर्ण 5. लंबा, ऊँचा,-बः 1. लम्बमापक 4 / 57, 'कोई स्थिर निवास न रखते हुए, घूमते हुए' 2. सह-अक्ष-रेखा, किसी स्थान के ऊर्ध्वबिन्दु और ध्रुव- 10 मन की शिथिलता, मानसिक अकर्मण्यता बिन्दु का मध्यवर्ती चाप, अक्षरेखा का पूरक / सम० 11. आलिंगन / सम० -आरम्भः, आलम्भः पात्र, --उबर (वि०) बड़े पेट वाला, तोंदवाला, स्थूलकाय अभिनेता, नर्तक, कालः (सृष्टि का) प्रलयकाल,-गत भारीभरकम (र.) 1. गणेश का नामांतर 2. भोजन (वि०) विघटित, पिघला हुआ,-पुत्री नटी, अभिनेत्री, भट्ट,-ओष्ठः (लम्बो-बी-ष्ठः) ऊँट,-कर्णः 1. गधा, नर्तकी। 2. बकरा 3. हाथी 4. बाज, शिकरा 5. पिशाच, लयनम [लो-ल्यट] 1. अनुषक्त होना, जुड़ना, चिपकना राक्षस,-जठर (वि०) मोटे पेट वाला, भारीभरकम, 2. विश्राम, आराम 3. विश्रामस्थल, घर / ---पयोधरा वह स्त्री जिसके स्तन भारी हों और | लब (म्वा० पर० लर्बति) जाना, हिलना-जुलना / नीचे को लटकते हों,---स्फिच (वि.) जिसके नितंबल (स्वा० उभ० ललति-ते) खेलना. भारी और उभरे हुए हों। इठलाना, किलोल करना-पनसफलानीव वानरा लम्बकः लिम्ब-कन] (ज्या० में) 1. लंबरेखा 2. अक्षरेखा ललन्ति-मृच्छ०८1८, गजकलभा इव बन्धुला ललामः का पूरक, (ज्यों में) सह-अक्षरेखा। 4 / 28 / लम्बनः लम्ब्+ल्युट] 1. शिव का विशेषण 2. कफ-प्रधान ii (चरा० उभ० या प्रेर० लालयति--ते, लालित) प्रकृति, -नम् 1. नीचे लटकना, निर्भर रहना, उतरना खेलने की प्रेरणा देना, पुचकारना, लाड-प्यार करना, आदि 2. झालर 3. (चन्द्रमा के) देशान्तर में स्थान- दुलार करना, प्रेमालिंगन करना- लालने बहवो "भ्रंश 4. एक प्रकार का लंबा हार। दोषास्ताडने बहवो गणाः, तस्मात्पुत्रं च शिष्यं च लम्बा [लम्ब+टाप] 1. दुर्गा का विशेषण 2. लक्ष्मी का ताडयेन्न तु लालयेत्-सुभा०—कु. 5 / 15 2. इच्छा विशेषण। करना। लम्बिका [लम्ब्+ण्वुल्+टाप्, इत्वम्] कोमल तालुका | iii (चुरा० उभ० लालयति-ते) 1. लाडप्यार लटकता हुआ मांसल भाग, उपजिह्वा, कण्ठ के अन्दर करना, मृच्छ० 4 / 28 2. जीभ लपलपाना 3. इच्छा का कौवा। करना। लम्बित (भू० क० कृ०) लिम्ब--क्त) 1. नीचे लटकता लल (वि.) लल+अच] 1. क्रीडासक्त, विनोद प्रिय हुआ, झूलता हुआ 2. स्थगित 3. डूबा हुआ, नीचे गया। 2. लपलपाने वाला 3. अभिलाषी, इच्छुक। सम० हुआ 4. सहारा लिये हुए, अनुषक्त (दे० लम्ब्) / -जिह्व=ललजिह्व, जीभ से लपलप करने वाला। लम्बुषा (स्त्री०) सात लड़ियों का हार। ललत् (वि.) [लल+शतृ] 1. खेलने वाला, विहार करने लम्भः [लभ् +घा नुम्] 1. सिद्धि, अवाप्ति 2. मिलन वाला 2. लपलपाता हुआ। सम-जिह्व (वि.) 3. पुनः प्राप्ति 4. लाभ / (ललज्जिह्व) 1. जीभ से लपलपाने वाला 2. बर्वर, लम्भनम् लभ् + ल्युट, नम्] 1. सिद्धि, अवाप्ति 2. पूनः भीषण (हः) 1. कुत्ता 2. ऊँट / प्राप्ति / ललनम् [लल् + ल्युट] 1. क्रीडा, खेल, आमोद, रंगरेली लम्भित (भू. क. कृ.) [लभ+क्त, नम] 1. उपाजित, 2. जीभ बाहर निकालना। हासिल, णप्त 2. दत्त, 3. सुधारा हुआ 4. नियुक्त, | ललना [लल+णिच् + ल्युट्+टाप्] स्त्री, शठ नाकलोकप्रयुक्त 5. संयोया 6. कहा गया, संबोधित / ललनाभिरविरतरतं रिरंससे--शि० 15488 For Private and Personal Use Only