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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -रसनः साँप,-तरः 1. साल का वृक्ष 2. संतरे का। जिसे (कार्य के लिए) क्षेत्र मिल गया है-लब्धावपेड़, .. पनसः तरबूज,---प्रतानः लतातन्तु- रघु० 218, काशा मे प्रार्थना -- श०१ 3. जिसने फुरसत प्राप्त -भवनम् लतागृह, लताकुंज, - मणिः मूंगा,- मण्डपः करली है, जिसे अवकाश का समय मिल गया है, लताकुंज लतागृह,-मृगः बन्दर,-- यावकम् अंकुर, इसी प्रकार 'लब्धक्षण',-आस्पद (वि०) जिसने कहीं अंखुवा, --वलयः,-यम् लताकुंज, ... वृक्षः नारियल पैर जमा लिया है, या कोई पद प्राप्त कर लिया है का पेड़, - वेष्ट: एक प्रकार का रतिबंध, संभोग का -- मावि० 1117, उदय (वि०) 1. जन्मलिया प्रकार,-वेष्टनम्,-वेष्टितकम् आलिङ्गन का प्रकार। हुआ, उत्पन्न, उदित - लब्धोदया चांद्रमसीव लेखा लतिका [लता+कन्-टाप, इत्वम् ] 1. छोटी लता, बेल - कु० 125 2. समृद्धिशाली, या उन्नत--स त्वत्तो 2. मोतियों की लड़ी। लब्धोदयः 'उसकी उन्नति तुम्हारी बदौलत हुई', लसिका [लत्+तिकन्+टाप] एक प्रकार की छिपकली। -काम (वि०) जिसे अभीष्ट पदार्थ मिल गये है लप (भ्वा० पर० लपति) 1. बोलना, बातें करना 2. चायें कोति (वि.) विश्रुत, प्रसिद्ध विख्यात,-चेतस्,-संज चाय करना, ची ची करना 3. कानाफूसी करना--. (वि.) जिसे होश आ गया है, जिसकी बेहोशी दूर कपोलतले मिलिता लपितुं किमपि श्रुतिमूले ..गीत. हो गई है,- जन्मन् (वि.) उत्पन्न, पैदा,-नामन 1, प्रेर०-(लापयति-ते) बातें करवाना, अनु , ---- शब्द (वि०) विश्रुत, विख्यात, * नाशः प्राप्त की दोहराना, बार बार बातें करना, अप-,मुकरना, हुई वस्तु का नाश - लम्धनाशो यथामृत्युः, -प्रशमनम् स्वीकार नहीं करना, इन्कार कर देना-शतमपलपति 1. प्राप्त की हुई वस्तु को सुरक्षापूर्वक रखना ---सिद्धा. 2. छिपाना, ढकना, आ-, 1. बातें 2. सुपात्र को दान या धनसमर्पण --मनु० 756 पर करना, वार्तालाप करना 2. बातें करना बोलना कुल्लू, लक्ष,-क्ष्य (वि.) 1. जिसने ठीक निशाने 3. चायं चायं करना, ची ची करना, उद्-, पर आघात किया है 2. अस्त्र प्रयोग में कुशल,--वर्ण जोर से पुकारना, प्र.-, 1. बातें करना, बोलना (वि०) विद्वान्, बुद्धिमान - चित्रं त्वदीये विषये -बचो दै देहीति (वैदेहीति) प्रतिपदमुदश्रु समन्तात सर्वेऽपि लोकाः किल लब्धवर्णाः-राजप्र० प्रलपितम् --सा० द० 6 2. यं ही बोलना, असंगत 2. प्रसिद्ध, विश्रुत, विख्यात -मच्छ० 4 / 26, भाज बातें करना, चायं चायं करना, चीं चीं करता, बक (वि.) विद्वानों का आदर करने वाला--कृच्छबक करना, निरर्थक बातें करना, वि-,1. कहना, लब्धमपि लब्धवर्णभाक तं दिदेश मनये सलक्ष्मणम् बोलना 2. विलाप करना, शोक मनाना, क्रन्दन . रघु० १११२,-विद्य (वि०) विद्वान् शिक्षित, करना, रोना - विललाप विकीर्णमुर्धजा कु० 4 / 4, बुद्धिमान्, सिद्धि (वि.) जिसने अभीष्ट पदार्थ विललाप स बाष्पगद्गदं -रघु० 8 / 43, 70, भट्टि० (सफलता) या पूर्णता प्राप्त कर ली है। 6 / 11, तामिह वृथा कि विलपामि गीत०३, विप्र-, लब्धिः (स्त्री०) [लभ+क्तिन् ] 1. अभिग्रहण, प्राप्ति, झगड़ा करना, विरोध करना, वादविवाद करना, अवाप्ति 2. लाभ, फायदा 3. (गणि० मे) भजनफल / तू तू मैं मैं करना, सम् -, 1. बातें करना, वार्तालाप लम्ध्रिम (वि.) [लभ --त्क्रि, मप् ] प्राप्त, अवाप्त, करना संलपतो जनसमाजात्- दश० 2. नाम लना, / उपलब्ध। पुकारना। लभ् (भ्वा० आ० लभते, लब्ध) 1. हासिल करना, प्राप्त लपनम् [लप्+ ल्युट्] 1. बातें करना, बोलना 2. मुख। करना, उपलब्ध करना, अवाप्त करना लभेत सिकलपित (भू० क० कृ०) [लप्-न-क्त] बोला हुआ, कहा तासु तैलमपि यत्नतः पीडयन् - भर्त० 215, चिराय' हुआ, चीं चीं किया हुआ, तम् वाणी, आवाज।। याथार्थ्यमलम्भि दिग्गजैः -शि०११६४, रघु० 9 / 29 लब्ध (भू. क. कृ०) लभ्+क्त] 1. हाशिल किया, 2. रखना, अधिकार में लेना, कब्जे में होना 3. लेना, प्राप्त किया, अवाप्त 2. लिया, प्राप्तकिया 3. प्रत्यक्ष- प्राप्त करना 4. पकड़ना, लेना, दबोचना- रघु० 23 ज्ञान प्राप्त किया, बोध पाया 4. उपलब्ध किया 5. मालूम करना, मुकाबला होना यत्किचिल्लभते (भाग आदि से), दे० लभब्धम् जो प्राप्त कर पथि 6 वसूल करना, उगाहना 7. जानना, सीखना, लिया गया, या सुरक्षित हो गया - लब्धं रक्षेदवक्षयात् प्रत्यक्षज्ञान प्राप्त करना, समझना - भ्रमणंगमनादेव हि० 218, रघु० 19 / 3 / सम--अन्तर (वि०) लभ्यते - भाषा० 6, सत्यमलभमान-- मनु० 8 / 169 1. जिसने कोई अवसर प्राप्त कर लिया है 2. जिसकी पर कुल्ल0 8. (किसी बात को करने के) योग्य होना कहीं पहंच हो गई है या प्रवेश मिल गया है . रघु० ('तुमुन् के साथ) .. मर्तुमपि न लभ्यते, नाधर्मों 1617, ---अवकाश, * अवसर (वि०) 1. जिसे किसी लभ्यते कर्तुं लोके वैद्याधरे (संज्ञाशब्दों के साथ प्रयुक्त बात का अवसर मिल गया है 2. (कोई भी बात) / होकर 'लभ' के अर्थों में तदनुकूल परिवर्तन हो जाता For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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