________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 821 ) मौनिन् (वि०) (स्त्री०--नी) [मौन+इनि] चुप रहने की | मौहूर्तः, मौहर्तिकः [ मुहूर्त+अण्, ठक् वा ] ज्योतिषी। प्रतिज्ञा का पालन करने वाला, चुप, मूक, भग० म्ना (भ्वा० पर० मनति, म्नात) 1. (मन में) दोहराना १२।१९--पुं० एक पुण्यशील ऋषि, संन्यासी, साघु / / 2. परिश्रम पूर्वक याद करना 3. स्मरण करना, आ-, मौरजिकः [मरज-ठक] मृदंग बजाने वाला। 1. सोचना, मनन करना-पादाम्बुजद्वयमनारतमामनन्त मौर्व्यम् [मूर्ख+व्या मूर्खता, बुद्धूपन, जड़ता। -भामि०४।०२ 2. परंपरानुसार दे देना, निर्धारित मौर्यः [मुराया अपत्यम् - मुरा+ण्य] चन्द्रगुप्त से आरंभ करना, उल्लेख करना, सोचना, बोलना-वामाम करके राजाओं का एक वंश मौर्य नवे राजनि नन्ति प्रकृति पुरुषार्थप्रवर्तिनीम्- कु० 2 / 13, 5481, ----मद्रा० 4 / 15, मौर्यहिरण्याथिमिरर्चाः प्रकल्पिताः 6 / 31 3. अध्ययन करना, सीखना, याद करना -महा० (इस संदर्भ में 'मौर्य शब्द के अर्थ में - यद्ब्रह्म सम्यगाम्नातम्---कु०६।१६; भट्टि० 17 // विद्वानों में मतविभिन्नता है / 30; समा-, 1. आवृत्ति करना 2. निर्धारित मौवीं मूर्वाया विकार: अण् - ङीप्] 1. धनुष की डोरी करना, निश्चित करना, - तं हि धर्मसूत्रकाराः समाम -मौर्वीकिणाङ्को भुजः-- श० 1313, मौर्वी धनुषि नन्ति--उत्तर०४। चातता - रघु० 1 / 19, 18 / 48, कु. 3155 म्नात (भ० क० कृ०) [ म्ना+क्त ] 1. दोडराया गया 2. मूर्वा घास की बनी तगड़ी (क्षत्रियों के धारण किये 2. याद किया गया, अध्ययन किया गया / जाने योग्य मनु० 2142 / म्रक्षु (म्बा० पर० म्रक्षति) 1. रगड़ना 2. देर लगाना, मौल (वि.) (स्त्री०-ला-ली) मलं वेत्ति मूलादागतो संचय करना, इकट्ठा करना 3. लेप करना, रगड़ना, वा अण्] 1. मूलभूत, मौलिक 2. प्राचीन, पुराना, मलना 4. मिश्रण करना, मिलाना। (प्रथा आदि) बहुत समय से चली आती हई | म्रक्षः [ म्रक्ष+घञ ] पाखंड, कपटाचरण / 3. सत्कूलोद्भव, उच्च कुल में उत्पन्न 4. पीढियों से म्रक्षणम् [म्रक्ष+ल्युट ] 1. शरीर पर उबटन मलना राजा की सेवा में पला हुआ, प्राचीन काल से पदारूढ़, 2. लेप करना, सानना 3. संचय करना, ढेर लगाना आनुवंशिक ---मनु० 7154, रघु० 19157, "लः 4. तेल, मल्हम / / पुराना या बंशक्रमागत मंत्री,-रघु०१२।१२, 14110, | म्रद् (भ्वा० आ०-म्रदते-प्रेर० म्रदयति .ते) पीसना, 18 / 38 / चूरा करना, कुचलना, रौंदना।। मौलि (वि.) [मूलस्यादूरभवः इञ] प्रधान, प्रमुख, प्रविमन् (0) [ मृदोर्भाबः इमनिच् ] 1. कोमलता, सर्वोत्तम-अखिलपरिमलानां मौलिना सौरभेण, भामि० मृदुता, 2. ऋजुता, दुर्बलता, (स्वर्भानुः)- हिमांशुमाणु १११२१,-लि: 1. प्रधान, शिरोमणि-मौली वा ग्रसते तन्म्रदिम्न: स्फुटं फलम्-शि०२१४९। रचयाञ्जलिम् ... वेणी० 3 / 40, रघु०१३३५९, कु० | मृञ्च (म्वा० पर० स्रोचति) जाना, हिलना-जुलना। 5 / 79 2. किसी वस्तु का सिर या चोटी, उच्चतम | ग्रुञ्च (म्पा० पर० ग्रॅचति) जाना, हिलना-जुलना। बिन्दु, उत्तर० 2 / 30 3. अशोकवृक्ष, ..लिः (पुं० या | म्लक्ष चुरा० उभ० म्लक्षयति-ते काटना, विभक्त करना। स्त्री०) 1. ताज, किरीट, मकूट-भामि० 1173 | म्लात (भू० क० कृ०) [ म्ल+क्त] मुर्भाया हुआ, 2. सिर की चोटी के बाल, शिखा -- जटामौलि-कु० कुम्हलाया हुआ। 2016 (जटाजूट - मल्लि.) 3. मींडी, केशविन्यास म्लान (भू० क० कृ०) [म्लै+क्त क्तस्य नः ] 1. मुआया -वेणी०६।३४, लि:-ली (स्त्री०) पृथ्वी। सम० हुआ, कुम्हलाया हुआ 2. क्लांत, थका हुआ, निढाल मणिः,-रत्नम् मुकुट की मणि, मुकुट में लगा रत्न, 3. निर्मलीकृत, क्षीण, दुर्बल, कुश 4. उदास, खिन्न -- मण्डनम् शिरोभूषण,-मुकुटम् ताज, किरीट। अवसन्न 6. गन्दा, मलिन। सम० --- अङ्ग (वि.) मौलिक (वि०) (स्त्री०- की) [मूल+ठा] 1. मूलभूत क्षीणकाय (-गी) रजस्वला स्त्री,-मनस् (वि.) ____ 2. मुख्य, प्रधान 3. घटिया। उदास मन वाला, उत्साहहीन, हताश / मौल्यम् मल्य-+-अण् ] मूल्य, कीमत।। म्लानिः (स्त्री०) [ म्ल+क्तिन् | 1. मुझाना, कुम्हलाना, मौष्टा [ मुष्टि प्रहरणं अस्यां क्रीडायाम् -- मुष्टि---ण ] ! ह्रास 2. क्लान्ति, शैथिल्य, थकान 3. उदासी, __ मुक्के बाजी, चूंसे बाजी, मुष्टामुष्टि मुठभेड़। खिन्नता 4. गंदगी। मौष्टिक: [ मुष्टि+ठक ] बदमाश, ठग, धूर्त / म्लायत्,-म्लायिन् (वि.) [ म्लै+शत, णिनि वा] मौसल (वि.) (स्त्री० - लो) [मुसल+अण् ] कुम्हलाता हुआ, पतला और कृश् होता हुआ। 1. मुद्गर की भांति बना हुआ, मूसल के आकार का | म्लास्नु (वि.) [म्लै+स्तु] 1. मुाया हुआ या कुम्हलाया 2. (यद्ध आदि) जो गदाओं से लड़ा जाय 3. (पर्व | हुआ या होने वाला 2. पतला और कृश होने वाला आदि) जो गदा युद्ध से संबद्ध हो / 3. निढाल और कान्त होने वाला / For Private and Personal Use Only