________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 750 ) देखना 2. बार बार व्यापक दर्शन पर आधारित। की उसी वर्ण की स्त्री से उत्पन्न सन्तान -ब्रात्या तु अनुमान,-भूयस् (अव्य०) पुनः पुनः, बार बार जायते विप्रात्पापात्मा भूर्जकण्टकः --मनु० 10121, --भयोभूयः सविधनगरीरथ्ययापर्यटन्तम्--मा०१११५. ... पत्रः भोजपत्र का वृक्ष / / --विद्य (वि.) 1. अपेक्षाकृत विद्वान् 2. अत्यन्त | भूणिः (स्त्री०) [ भृ+नि, नि० ऊत्वम् ] पृथ्वी। विद्वान् / भूष (भ्वा० पर०, चुरा० उभ०-भूषति, भूषयति-ते, भूयस्त्वम् [ भूयस्+त्व ] 1. बहुतायत, बहुलता 2. बहु- भूषित) 1. अलंकृत करना, सजाना, शृंगार करना संख्यकता, प्रबलता। -शुचि भूषयति श्रुतं वपुः--भट्टि०२०।१५ 2. अपने भयिष्ठ (वि.) [ अतिशयेन बहु+इष्ठन् भ्वादेशे यक च] आपको सजाना (आ०) भूषयते कन्या स्वयमेव 1. अत्यंत, अत्यंत असंख्यक या प्रचुर 2. अत्यंत महत्त्व 3. फैलाना, बखेरना, बिछाना--रघु० 2031, अभि,पूर्ण, प्रधान, मुख्य 3. बहुत बड़ा या विस्तृत, अत्य अलंकृत करना, भूषित करना, सौन्दर्य देना-शि० धिक, बहुत, बहुत से, असंख्य 4. मुख्य रूप से, अत्यंत 7138, वि--, अलंकृत करना, सजाना-केयरा न स्वस्थचित्त, अत्यंत संचरित या मुक्त, मुख्यतः भरा विभूषयन्ति पुरुषम्-भर्तृ० 2 / 19, शि० 9 / 33, हआ या चरित्र से युक्त (समास के अन्त में)-- अभि- कु० 1128 / रूपभूयिष्ठा परिषद् श० 1, शूल्यमांसभूयिष्ठ आहा- | भूषणम् [भूष-+ ल्युट ] 1. अलंकरण, सजावट 2. अलंरोऽश्यते--श०२, रघु० 4170 5. प्रायः अधिकतर, कार, शृंगार, सजावट का सामान ..क्षीयन्ते खलु लगभग सब (बहुधा' क्तांत' रूप के पश्चात्)--अये भूषणानि सततं वाग्भूषणं भूपणम-भत० 2 / 19, उदितभूयिष्ठ एष तपनः-मा० 1, निर्वाणभूयिष्ठ- रघु० 3 / 2, 13 / 57 / / मथास्य वीर्यम् -कु० 3152, विक्रम० १२८,--ष्ठम् | भूषा [ भूष+क-+-टाप् ] 1. सजाना, भुषित करना (अव्य०) 1. अधिकांशतः, अत्यंत - श० 131 2. आभूषण, सजावट जैसा कि 'कर्णभपा' 3. रत्न / 2. अत्यधिक, बहुत ज्यादह, अधिक से अधिक | भूषित (भू० क. कृ०) [ भूषवत ] सजाया हुआ, ----भूयिष्ठं भव दक्षिणा परिजने -श० 4 / 17, रघु० सुभूषित,--मणिना भूषितः सर्पः किमसौ न भयङ्करः / 614, 13 / 14 / ष्णु (वि.) [भू-+ष्णु ] 1. होने वाला, बनने वाला भूर् (अव्य०) [ भू+रुक् ] तीन व्याहृतियों में से एक / जैसा कि अलंभूष्णु 2. धन या समृद्धि की इच्छा करने भूरि (दि०) [भू क्रिन् ] 1. बहुत, प्रचुर, असंख्य, वाला-मनु० 4 / 135 / यथेष्ट 2. बड़ा, विस्तृत, (पुं०) 1. विष्णु का विशेषण (भ्वा० जुहो० उभ० भरति -ते, बिभर्ति--बिभुते 2. ब्रह्मा का विशेषण 3. शिव का विशेषण 4. इन्द्र भृत, कर्मवा० भ्रियते, इच्छा० बिभरिषति या बुभका विशेषण (नपुं०) सोना, (अव्य०)1. बहुत, अधिक, र्षति)। भरना...जठरं को न बिति केवलम-पंच० अत्यधिक - नवाम्बुभिर्भूरि विलम्बिनो घना:--श० 1 / 22 2. भरना, व्याप्त होना, पूर्ण होना --अभा द् 5 / 12 2. बार बार प्रायः महर्महः। सम-मः ध्वनिना लोकान्... भट्टि० 15 / 24 3. रखना, सहारा गधा, तेजस् (वि०) अतिकान्तियुक्त (पुं०) अग्नि, देना, संभालना, पोषण करना ..धुरं धरित्र्या बिभ -दक्षिण (वि०) 1. मल्यवान् उपहार या पुरस्कारों से राम्बभूव-रघु० 18144 कर्मो बिभर्ति धरणी खल युदत 2. पुरस्कार देने में उदार, दानशील,--दानम् पृष्ठकेन --चौर० 50, भट्टि० 17164. संधारण उदारता,--धन (वि०) दौलतमंद, धनाढय,-धामन् करना, दूध पिलाना, लालन-पालन करना, प्ररक्षण (वि.) अतिकाँति से युक्त,-प्रयोग (वि.) जिसका करना, सँभाल रखना, परवरिश करना दरिद्रान्भर बहुत उपयोग हुआ है, सामान्य व्यवहार में आने वाला कौन्तेय मा प्रयच्छेश्वरे धनम्-हि० 1115 5. धारण (शब्द),-प्रेमन् (पुं०) चकवा,--भागः (वि.) करना, रखना, अधिकार में लेना-सिन्धोर्बभार सलिल धनाढ्य, समृद्धिशाली,-मायः गीदड़ या लोमड़ी,- रसः शयनीयलक्ष्मीम-कि० 7 / 57, पिशुनजनं खल बिभ्रति गन्ना,--लाभः बहुत फायदा,-विक्रम (वि.) बड़ा क्षितीन्द्रा:-भामि० 1174, बलित्रयं चारु बभार बाला बहादुर, बड़ा योद्धा, --वृष्टिः (स्त्री०) बहुत वारिश, ---कु० 1139 इन्दोर्दैन्यं त्वदनुसरणक्लिष्टकान्तेबिति --श्रवस् (पुं०) कौरवों के पक्ष से लड़ने वाले एक --मेघ० 84, श० 2 / 4 6. पहनना-विभ्रज्ज्टा योद्धा का नाम जिसे सात्यकि ने यमपुर भेजा था। मण्डलम् - श० 7 / 11, 65 विवाहकौतूक ललितं भूरिज् (स्त्री.) [भृ+इजि, पृषो० साधुः ] पृथ्वी।। बिभ्रत एव (तस्य)-रघु० 8 / 1, 10 / 10 जटाश्च भूर्जः[भू+ऊर्ज+अच् ] भोजपत्र का पेड़- भूर्जगतो- बिभयान्नित्यम्--मनु० 616 7. महसूस करना, अनु अक्षरविन्यासः वि० 2, कु० 117 / सम० -कण्टकः भव करना, भोगना, सहन करना (हर्ष या दुःख वर्णसंकर जाति का पुरुष, जाति से बहिष्कृत ब्राह्मण | आदि) भावशुद्धिसहितमदं जनो नाटकैरिव बभार भ पण For Private and Personal Use Only