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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 748 ) वायु और आकाश)-तं वेधा विदधे नूनं महाभूत-। तुलसी, पूर्णिमा आश्विन मास का पूर्णमासी,-पूर्व सम्माधिना- रघु० 229 5. वास्तविक घटना, तथ्य, (वि०) पहले से विद्यमान, पहला - भूतपूर्वखरालयम् वास्तविकता 6. अतीत, भूतकाल 7. संसार 8. कुशल- -उत्तर० 2 / 17, -पूर्वम् (अव्य०) पहले,-प्रकृतिः क्षेम, कल्याण 9. पाँच की संख्या के लिए प्रतीकात्मक (स्त्री०) सब प्राणियों का मूल,-बलि:=भूतयज्ञ अभिव्यक्ति / सम-- अनुकम्पा सब प्राणियों के लिए दे०,--ब्रह्मन् (पुं०) अधम ब्राह्मण जो अपना निर्वाह करुणा-भूतानुकम्पा तव चेत्-रधु० 2 / 48, - अन्तकः मूर्ति पर चढ़ावे से करता है दे० देवल,-भर्त मृत्य का देवता यम, अर्थः तथ्य, वास्तविक तथ्य, (पुं०) शिव का विशेषण, - भावनः ब्रह्मा का विशेषण यथार्थ स्थिति, सचाई, वास्तविकता–आर्य कथयामि 2. विष्णु का विशेषण,--भाषा -भाषित पिशाचों ते भूतार्थम् श० 1, भूतार्थशोभाह्रियमाणनेत्रा:-कु० की भाषा,--महेश्वरः शिव का विशेषण,-यशः सब 7:13, कः श्रद्धास्थति भूताथं सर्वो मां तुलयिष्यति प्राणियों की बलि या आहुति देना, दैनिक पाँच यज्ञों में --- मृच्छ० 3 / 24, कथनम्, ध्याहृतिः (स्त्री०) से एक बलिवैश्वदेव, -योनिः उत्पन्न प्राणियों का तथ्यवर्णन-भूतार्थव्याहुतिः सा हि न स्तुतिः परमेष्ठिनः मूलस्रोत, राजः शिव का विशेषण,--वर्गः भत-प्रेतों ....रघु० १०१३३,--आत्मक (वि.) तत्त्वों से युक्त / का समुदाय, -- वासः बहेड़े का वृक्ष,-वाहनः शिव या तत्त्वों से बना हुआ,--आत्मन् (पुं०) 1. जीवात्मा का विशेषण,-विक्रिया 1. अपस्मार, मिरगी 2. भूत (विप० परमात्मा), आत्मा 2. ब्रह्मा का विशेषण या पिचाच की सवारी,-विज्ञानम्,-विद्या पिशाच 3. शिव का विशेषण 4. मूलतत्त्व 5. शरीर 6. युद्ध, विज्ञान,-वृक्षः बिभीतक वृक्ष, बहेड़े का पेड़, .. संसारः संघर्ष,-आदिः 1. परमात्मा 2. (सांख्य० में) अहंकार मर्त्यलोक, संचारः भूत पिशाच का आवेश,-संप्लव: का विशेषण,- आर्त (वि०) प्रेताविष्ट,-आवासः विश्व का जलप्रलय, या विनाश,-सर्गः संसार की 1. शरीर 2. शिव का विशेषण 3. विष्णु का विशेषण, सृष्टि, उत्पन्न प्राणियों का समुदाय, सूक्ष्मम् सूक्ष्म-आविष्ट (वि०) भूता प्रेतादि से प्रभावित, तत्त्व,-स्थानम् 1. जीवधारी प्राणियों का आवास --आवेशः भूत या प्रेत का किसी पर सवार होना, 2. पिशाचों का वासस्थान, -- हत्या जीवधारी प्राणियों -इज्यम्, इज्या भूतों को आहुति देना, - इष्टा की हत्या / कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी, ईशः 1. ब्रह्म का विशेषण | भूतमय (वि.) [भूत+मयट् ] 1. सब प्राणियों समेत 2. विष्णु का विशेषण 3. शिव का विशेषण -- भतेशस्य / 2. उत्पन्न प्राणियों या मूलतत्त्वों से निर्मित / भुजङ्गवल्लिवलयस्रङ्नद्धजूटाजटाः - मा० 12, भूतिः (स्त्री०) [भू+क्तिन्] 1. होना, अस्तित्व 2. जन्म, --ईश्वरः शिव का विशेषण--रघु० 2 / 46, ...उन्मावः उत्पत्ति 3. कुशल-क्षेय, कल्याण, आनन्द, समृद्धि भत प्रेतादि के चढ़ने से उत्पन्न पागलपन,---उपसृष्ट, -प्रजानामेव भूत्यर्थं स ताभ्यो बलिमग्रहीत् - रघु० --उपहत (वि.)पिशाच से पीडित,- ओवनः चावलों 1 / 18, नरपतिकुलभूत्यै -- 2074, स वोऽस्तु भूत्यै की थाली,--कर्तृ - कृत् (पुं०) ब्रह्म का विशेषण, भगवान मुकुन्दः-विक्रमांक० 22 4. सफलता, --काल: 1. बीता हुआ समय (व्या० में) अतीत या अच्छा भाग्य 5. धन-दौलत, सौभाग्य-विपत्प्रतोकारभूतकाल,--केशी तुलसी,-क्रान्तिः (स्त्री०) भूत-प्रेत परेण मंगलं निषेव्यते भूतिसमुत्सुकेन वा - कु० 576 की सवारी, ---गणः उत्पन्न प्राणियों का समुदाय 6. गौरव, महिमा, विभूति 7. राख ---भूतभूतिरहीन2. भतप्रेत या पिशाचों का समूह - भग० 1814, भोगभाक्-शि० 16 / 71 (यहां 'भूति' शब्द का ..... ग्रस्त (वि.) जिसपर भूतप्रेत सवार हो गया हो, अर्थ धन' भी है), स्फुटोपमं भूतिसितेन शंभुना-१४ -ग्रामः 1. जीवित प्राणियों का समूह, समस्त जीव, 8. रंगीन धारियों से हाथी का शृंगार करना भक्तिसृष्टि---उत्तर०७, भग०८१९ 2. भूतप्रेतों का समूह च्छेदैरिव विरचितां भूतिमले गजस्य -- मेघ० 19 3. शरीर, न1. ऊँट 2. लहसुन, (घ्नी) तुलसी 1. तपस्या या अभिचार के अनुष्ठान से प्राप्य अति--चतुर्दशी कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी, मानव शक्ति 10. तला हुआ मांस 11. हाथियों का मद, ----चारिन् (पुं०) शिव का विशेषण,---जयः तत्वों के --तिः 1. शिव का विशेषण 2. विष्णु का विशेषण ऊपर विजय,--दया सब प्राणियों के प्रति करुणा, 3. पितृगण का विशेषण / सम०–कर्मन् (नपुं०) प्राणिमात्र पर दया,-धरा, ---धात्री.--धारिणी पृथ्वी, कोई भी शुभ कृत्य या उत्सव,- काम (वि.) समृद्धि ---नाथ: शिव का विशेषण,-नायिका दुर्गा का। का इच्छुक (मः) 1. राज्यमन्त्री 2. बृहस्पति का विशेषण,-नाशन: 1. भिलावें का पौधा 2. सरसों विशेषण, काल: शुभ या सुखद समय, कोल: 3. कालीमिर्च,-निचयः शरीर,-पतिः 1. शिवका विशे- 1. छिद्र, गर्त 1. खाई 3. भूगर्भगृह, तहखाना,-कृत् षण-कु० 3 / 43, 74 2. अग्नि का विशेषण 3. कालो / (पुं०) शिव का विशेषण,-गर्भः भवभूति का विशे For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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