________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir काला होना, पयोधरीभू स्तन का काम देना, इसी | प्रकार क्षपणीभू साधु होना, प्रणिधी गुप्तचर का काम करना, आोभू पिघलना, भस्मीभू राख बन जाना. विषयीभू बिषय बनाना, इसी प्रकार एक मतीभू, तरुणीभू आदि विशे०, 'भू' धातु का अर्थ संबद्ध क्रिया विशेषण के अनुसार नाना प्रकार से परिवर्तित होता रहता है, उदा० अग्रेभू आगे रहना, नेतृत्व करना अंतर्भु लीन होना, सम्मिलित होना -ओजस्यन्तर्भवन्त्यन्ये--काव्य०८, अन्यथाभू और तरह होना, बदलना --न मे वचनमन्यथाभवितुमर्हति -- श० 4, आविर्भू प्रकट होना, उदय होना, स्पष्ट होना दे० आविस्, तिरोभू ओझल होना, दोषाभू संध्या होना, सायंकाल होना, पुनर्भ फिर विवाह करना, पुरोभू अग्रसर होना, आगे खड़े होना प्रादुर्भु उदय होना, दिखाई देना, प्रकट होना, मिध्याभ झूठ निकलना, वृथाभू व्यर्थ होना आदि) प्रेर० (भावयति-ते) 1. उत्पन्न करना, अस्तित्व में लाना, सत्ता बनाना 2. कारण बनना, पैदा करना, जन्म देना 3. प्रकट करना, प्रदर्शन करना, निदर्शन करना 4. पालना, परवरिश करना,सहारा देना,संधारण करना, जान डालना-पुनः सृजति वर्षाणि भगवान् भावयन् प्रजा:-महा०, देवान् भावयतानेन ते देवा भावयन्तु वः, परस्परं भावयन्तः श्रेयः परमवाप्स्यथ - भग 3 / 11, भद्दि० 16/27 5. सोचना, विमर्श करना, विचारना, खयाल करना, कल्पना करना 6. देखना समझना, मानना- अर्थमनर्थ भावय नित्यम् --मोह. 27. सिद्ध करना, सावित करना, पर्वका याज्ञ० 2 // 11 8. पवित्र करना 9. हासिल करना, प्राप्त करना 10. मिलाना, मिश्रण, तैयार करना 11. परिवर्तन करना, रूपान्तरित करना 12. डुबोना,-सराबोर करना / इच्छा-बुभूषति, होने की या बनने की इच्छा करना, अति, अतिरिक्त होना आगे बढ़ जाना, अधिक हो जाना, अनु--,1. मजे लेना, अनुभव करना महसूस करना, भोगना (बरा या भला)-असक्तः सुखमन्वभूत-रघु० 221, कु० 2 / 45 रघु० 7 / 28, आत्मकृतानां हि दोषाणां फलमनुभवितव्यमात्मनैव -का० 121, श० 5 / 7 2. प्रत्यक्ष करना, बोध होना, समझना 3. जांच करना, परीक्षण करना,-प्रेर० -- आनन्द मनवाना, अनुभव या महसूस करवाना -आमोदो न हि कस्तूर्याः शपथेनानुभाव्यते--भामि० 11120, अभि-, 1. विजय प्राप्त करना, दमन करना, | परास्त करना, आगे बढ़ जाना, उत्तम होना-भग० 1939, कि० 10 / 23, रघु० 8 / 36 2. आक्रमण करना, हमला करना विपदोऽभिवत्यविक्रमम् -कि० 214 अभ्यभावि भरताग्रजस्तया-रघु० 1116 ] 3. नीचा दिखाना, अपमान करना 4. प्रभुत्व रखना, प्रभाव रखना, व्याप्त होना, उद-उदय होना, उगना .... उद्भूतध्वनिः, प्रेर० पैदा करना, सृजन करना, जन्म देना .. रघु० 2 / 62, परा-", 1. हराना, परास्त करना, जीत लेना 2. चोट पहुंचाना, क्षति पहुँचाना, सताना, परि-, 1. हराना, दमन करना, जीतना, हावी होना (अतः) आगे बढ़ जाना, पछाड़ देना .... लग्नद्विरेफ परिभूय पद्मम् --मुद्रा० 7 / 16, रघु० 10 / 35 2. तुच्छ समझना, उपेक्षा करना, घृणा करना, अनादर करना, अपमान करना, मा मां महात्मन् परिभूः भद्दि० 122, 4 / 37 3. क्षति पहुँचाना, नष्ट करना, बर्बाद करना 4. कष्ट पहँचाना, दुःख देना 5. नीचा दिखाना, लज्जित करना, प्र --, 1. उदय होना, निकलना, फटना, जन्म लेना, उपजना, पैदा होना (अपा०के साथ)-लोभात्क्रोधः प्रभवति ----हि० 1127, स्वायं भवान्मरीचेर्यः प्रवभूव प्रजापतिः --श० 719, पुरुषः प्रवभवाग्नेविस्मयेन सहत्विजाम ----- रघु० 1050, भग०८१८ 2. प्रकट होना, दिखाई देना -हि० 4184 3. गुणा करना, बढ़ाना, दे० प्रभूत 4. मजबूत होना, शक्तिशाली होना, छा जाना, प्रभुत्व होना, बल दिखाना प्रभवति हि महिम्ना स्वेन योगीश्वरीयं-- मा० 9 / 52, प्रभवति भगवान् विधि: --का० 5, 5. योग्य होना, समान होना, शक्ति रखना ('तुमुन्नन्त के साथ)-कुसुमान्यपि गात्रसङ्गमात् प्रभवत्यायुरपोहितुं यदि-रघु०८।४४, श०६।३०, विक्रम० 119, उत्तर० 2 / 4 6. नियंत्रण रखना, प्रभाव रखना, छा जाना, स्वामी होना (बहुधा संबं० के, कभी 2 संप्र० या अधिक के साथ)--यदि प्रभविष्याम्यात्मनः -~-श० 1, उत्तर० 1, प्रभवति निजस्य कन्यकाजनस्य महाराजः-मा० 4, तत्प्रभवति अनुशासने देवी-वेणी० 2 7. जोड़ा का होना--प्रभवति मल्लो मल्लाय --महाभा० 8. पर्याप्त होना, यथेष्ट होना-कु०६३५९ 9. रक्खा जाना (अधि० के साथ)-गुरुः प्रहर्षः प्रबभूव नात्मनि-रघु० 3 / 17 10. उपयोगी होना 11. याचना करना, अनुनय-विनय करना, वि-(प्रेर०) 1. सोचना, विमर्श करना, विचारना 2. जानकार होना, जानना, प्रत्यक्ष करना, देखना-श० 4 3. फसला करना, निश्चय करना, स्पष्ट करना, सम्-, 1. उदय होना, पैदा होना, उपजना, फूटना कथमपि भुवनेऽस्मिातादशाः संभवन्ति-मा० 29, धर्भसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे -- भग० 418, कि० 5 / 22, भट्टि. 6 / 138, मनु० 8 / 155 2. होना, बनना, विद्यमान होना 3. घटित होना, घटना होना 4. संभव होना, 5. यथेष्ट होना, सक्षम होना ('तुमन्नन्त' के साथ) --न यन्नियन्तुं समभावि भानुना-शि० 1127 For Private and Personal Use Only