________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 732 ) शतक (शृंगार, नीति, वैराग्य), वाक्यपदीय तथा | हुआ,-वः 1 होना, होने की स्थिति, सत्ता 2. जन्म, भट्टिकाव्य का रचयिता है / उत्पत्ति:-भवो हि लोकाभ्युदयाय तादृशाम्---रघु० भर्तमती [ भर्तृ+मतुप+ङीप् ] विवाहिता स्त्री जिसका 3 / 14, श० 7 / 27 3. स्रोत, मूल 4. सांसारिक पति जीवित हो। अस्तित्व, सांसारिक जीवन, जीवन—जैसा कि भवाभर्तृसात् (अव्य०) [ भत+साति ] पति के अधिकार में, र्णव, भवसागर आदि में-कू० 251 5. संसार कृता विवाहित हुई। 6. कुशल-क्षेम, स्वास्थ्य, समृद्धि 7. श्रेष्ठता, उत्तमता भर्त्स (चुरा० आ०--भर्त्सयते, कभी 2 पर० भी) 8. शिव का नाम-दक्षस्य कन्या भवपूर्वपत्नी-कु० 1, धमकाना, घुड़कना 2. झिड़कना, बुरा भला कहना, 1121 372 9. देव, देवता 10 अभिग्रहण,प्राप्ति / अपशब्द कहना 3. व्यंग्य करना; निस-, 1. झिड़- सम-अतिग (वि०) सांसारिक जीवन पर विजय कना, निन्दा करना, गाली देना 2. आगे बढ़ जाना, पाने वाला, वीतराग,--अन्तकृत् ब्रह्मा का विशेषण ग्रहण लगना, लज्जित करना-कु० 3 / 53, / -अन्तरम् दूसरा जीवन (भूत या भावी) पंच०१॥ भर्त्सकः [ भर्त्स +ण्वुल ] धमकी देने वाला, घुड़कने १२१,-अब्धिः,-अर्णवः, समुद्रः-सागरः,-सिम्युः वाला। सांसारिक जीवन रूपी समुद्र,-अयना,-नी गंगा भर्सनम्, भर्त्सना, भत्सितम [ भर्स+ल्युट, स्त्रियां टाप, नदी,---अरण्यम् 'सांसारिक जीवन रूपी जंगल' 'सन क्त वा] 1. धमकाना, घुड़कना 2. धमकी, झिड़की सान संसार,-आत्मजः गणेश या कार्तिकेय का 3. बुरा भला कहना, गाली देना 4. अभिशाप / विशेषण,- उच्छवः सांसारिक जीवन का विनाश भर्मम् [ भृ+मनिन्, नि० नलोप: ] 1. मजदूरी, भाड़ा -रघु० १४१७४,-क्षितिः (स्त्री०) जन्मस्थान, ___2. सोना 3. नाभि / / --- घस्मरः दावानल, जंगल की आग,-छिद् (वि.) भर्मच्या [भर्मन+यत्-+टाप् ] मजदूरी, भाड़ा। सांसारिक जीवन के बंधनों को काटने वाला, जन्म भर्मन् (नपुं०) [भ-मनिन् ] 1. सहारा, संधारण, पालन- की पुनरावृत्ति को रोकने वाला-भवच्छिदस्यम्बकपोषण 2. मजदूरी, भाड़ा 3. सोना 4. सोने का सिक्का पादपांशवः -का० १,--छेदः पुनर्जन्म का रोकना 5. नाभि / शि० ११३५,-दारु (नपुं०) देवदारु का वृक्ष,-भूतिः भल i (चुरा० आ०-भालयते, भालित) देखना, अवलो- एक प्रसिद्ध कवि का नाम, (दे० परि०२) भवभूते: कन करना,-नि-, (पर० भी) 1. देखना, अवलो संबन्धाद्भूधरभूरेव भारती भाति, एतत्कृतकारुण्ये कन करना, प्रत्यक्ष करना, निगाह डालना-निभाल्य किमन्यथा रोदिति ग्रावा। आर्या सप्त० 36, भयो निजगौरिमाणं मा नाम मानं सहसैव यासी: -हद् (पुं०) अन्त्येष्टि संस्कार के अवसर पर बजने -भामि० 31176, या-यन्मां न भामिनि निभाल- वाला ढोल,-बीतिः (स्त्री०) सांसारिक जीवन से यसि प्रभातनीलारविन्दमदभङ्गिपदैः कटाक्षः-३।४ छुटकारा-कि० 6 / 41 / ii (भ्वा० आ०) दे० 'भल्ल्' भवत् (वि०) (स्त्री०-त्ती) [भू+शतृ ] 1. होने वाला, भल्ल (भ्वा० आ० भल्लते, भल्लित) 1. वर्णन करना, घटित होने वाला, घटने वाला 2. वर्तमान-समतीतं बयान करना, कहना 2. घायल करना, चोट पहुँचाना, च भवं च भावि च-रघु० 8178, (सार्व० वि०) मार डालना 3. देना। (स्त्री०-तो) आदरसूचक, या सम्मानसूचक सर्वनाम भल्ला,-ल्ली-ल्लम् [ भल्ल-1-अच, स्त्रियाँ डीप् ] एक -जिसका अनुवाद है-'आदरणीय श्रीमन्' 'पूज्य प्रकार का अस्त्र या बाण-क्वचिदाकर्णाविकृष्टभल्तवर्षी श्रीमति' (मध्यम पुरुष, पुरुषवाचक सर्वनाम के अर्थ -रघु० 9 / 66, 4 / 63, ७।५८,-ल्ल: 1. रीछ में बहुधा प्रयुक्त, परन्तु क्रिया अन्य पुरुष को)-अथवा 2. शिव का विशेषण 3. भिलावे का पौधा, ('भल्ली' कथं भवान् मन्यते-मालवि. 1, भवन्त एव जानन्ति भी)। रघूणां च कुलस्थितिम्-उत्तर० 5 / 23, रघु० 2 / 40, भल्लकः [ भल्ल+कन् ] रीछ / 3148, 5 / 16, प्रायः इसके साथ 'अत्र' या 'तत्र' भी भल्लातः, भल्लातकः [ भल्ल्+अत्+अच, भल्लात+कन्] जोड़ दिया जाता है (शब्दों को देखो) कभी कभी 'स' भिलावे का पौधा। के साथ लगा दिया जाता है- यन्मां विधेयविष येसभभल्लुकः, भल्लूकः [ भल्ल्+ऊक, पक्षे पृषो० ह्रस्वः ] वानियुक्ते–मा० 1 / 9 / 1. रीछ, भालू-दधति कुहरभाजामत्र भल्लूकयूनाम् भवदीय (वि.) [ भवत्-+ छ ] मान्यवर महोदय का, -~-उत्तर० 2 / 21 2. कुत्ता / / आपका, तुम्हारा। भव (वि.) [ भवत्यस्मात्-भू+अपादाने अप् ] (समास | भवनम् [भू+ल्युट् ] 1. होना, अस्तित्व 2. उत्पत्ति, के अन्त में) उदय होता हुआ या उत्पन्न, जन्म लेता | जन्म 3. आवास, निवास, घर, भवन-अथवा भवन For Private and Personal Use Only