________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 682 ) वाला 4. दृढ़, स्थिर, -स्थः,-स्थम् 1. समतलभूमि, / प्रस्फुरित (भू० क० कृ०) [प्र+स्फुर्+क्त] ठिठुरता चौरस मैदान, जैसा कि औषधिप्रस्थ या इंद्रप्रस्थ में हुआ, कांपता हुआ, थरथराता हुआ, कम्पायमान / 02. पर्वत के शिखर पर समतल या चौरस भूमि,-प्रस्थं | प्रस्फोटनम् [प्र+ स्फुट ल्यट] 1. फूट निकलना, खिलना, हिमाद्रेर्मगनाभिगन्धि किंचित्क्वणत्किन्नरमध्यवास-कु० मुकुलित होना 2. स्पष्ट या साफ करना, खोलना, प्रकट 1154, मेघ० 58 3. पहाड़ का शिखर या चोटी | करना 3. टुकड़े-टुकड़े करना 4. खिलाना, विकसित -शि० 4 / 11 (यहाँ यह चौथे अर्थ को भी प्रकट करना 5. अनाज फटकना 6. छाज 7. छेतना, पीटना / करता है) 4. एक विशिष्ट माप जो 32 पलों के | प्रलंसिन् (वि.) (स्त्री०-नी) प्र+संस्+णिनि समय बराबर होता है 5. 'प्रस्थ' के तोल के बराबर कोई से पूर्व गिर जाने वाला (गर्भ), कच्चा गिरना। वस्तु। सम०-पुष्पः तुलसी का एक भेद, दोना प्रस्रवः [प्र++अप्] 1. बूंद-बूंद गिरना, टपकना, बहना मरुआ। रिसना 2. बहाव, धारा 3. औड़ी या स्तन से टपकने प्रस्थम्पच (वि.)[प्रस्थ-पच्+अच्, मुमागमः] प्रस्थमात्र | वाला दूध-प्रस्रवेण (पाठान्तर 'प्रस्रवेन') अभिवर्षन्तो पकाने वाला। वत्सालोकप्रवर्तिना-रघु० 1984 4. मूत्र,-वा:-(व० प्रस्थानम् [प्र+स्था ल्यूट] 1. प्रयाण करना, कूच करना, व०) उमड़ते हुए आँसू / बिदा, प्रगमन करना-प्रस्थानविक्लवगतेरवलम्बनार्थम् प्रस्रवणम् [प्र+सु कान् + ल्युट्] 1. बह निकलना, उमड़ना, ---श० 5 / 3, रघु० 4188, मेघ० 41, अमरु 31 टपकना, झरना, बूंद बूंद गिरना 2. स्तन या औड़ी से 2. पहुँचना--कु० 6 / 61 3. कूच करना, किसी सेना दूध बना-(वृक्षकान्) घटस्तनप्रस्रवणयंवर्धयत्-कु० का या आक्राम का कुच करना 4. प्रणाली, पद्धति 5 / 14 3. जलप्रपात, प्रपातिका, निर्झर 4. झरना, 5. मृत्यु, मरण 6. निकृष्ट श्रेणी का नाटक—दे. फौवारा-समाचिताः प्रस्रवणः समन्तत:-ऋतु० 2013 सा० द.२७६, 544 / मनु० 8 / 248 याज्ञ० 12152 5. नाली, टोंटी प्रस्थापनम् [प्र-स्था+णि+ल्यट, पुकागमः] 1. भेजना, 6. पहाड़ी सरिताओं से बना पोखर, पल्वल 7. स्वेद, तितर-बितर करना, प्रेषित करना 2. दूतावास में पसीना 8. मत्रोत्सर्ग,---णः एक पहाड़ का नाम-जननियुक्ति 3. प्रमाणित करना, प्रदर्शन करना 4. उप- स्थानमध्यगो गिरिः प्रस्रवणो नाम उत्तर० 1 / योग करना, काम में लगाना 5. पशुओं का अपहरण / प्रस्तावः [प्र+उ+घञ ] 1. बहाव, उमड़न, मत्र / प्रस्थापित (भू० क० कु०) [प्र+स्था-णिच्+क्त, प्रस्तुत (भू० क. कृ०) [प्र++क्त ] उमड़ा हुआ, पुकागमः] 1. भेजा गया, प्रेषित 2. स्थापित, सिद्ध / टपका हुआ, बूंद-बूंद कर गिरा हुआ, रिसा हुआ। प्रस्थित (भू० क० कृ०) [प्र+स्था+क्तप्रयात, आगे प्रस्व (स्वा) नः / प्र+स्वन् ।-अप, घा वा ] ऊँची बढ़ा हुआ, बिदा हुआ, विजित, यात्रा पर गया हुआ आवाज। (दे० प्रपूर्वक 'स्था')। प्रस्वापः [प्र+स्वप्+घञ्] 1. निद्रा 2. स्वप्न 3. निद्रा प्रस्थितिः (स्त्री०) [प्र+स्था-क्तिन्] 1. चले जाना, लाने वाला अस्त्र। बिदा होना 2. कूच करना, यात्रा / प्रस्वापनम् [प्र+स्वष् + णिच् + ल्युट् ] 1. सुलाना, निद्रित प्रस्नः [प्रस्ना +क] स्नान-पात्र / करना 2. ऐसा अस्त्र जो आक्रान्त व्यक्ति को सुला दे प्रस्तवः [प्र-+स्तु-+-अप] 1. उमड़ कर बहना, बह निक -रघु०७।६१। लना. निःस्रवण-उत्तर० 622 2. (दूध का) घार | प्रस्विन्न (भ० क० कृ०) [प्र-स्विद-4वत / पसाना या प्रवाह-रघु० 1984 आया हुआ, पसीने से तर / प्रस्तुत (भू० क० कृ०) [प्र-+-स्नु+क्त झरता हुआ, | प्रस्वेदः [प्र+स्विद्+घञ्ज / बहुत अधिक पसीना। रिसता हआ, बहकर निकलता हुआ। सम०-स्तनो प्रस्वेदित (भू० क० कृ०) [प्र+स्विद+णिच् + क्त ] वह स्त्री जिसकी छाती से (मातृस्नेहातिरेक के कारण) 1. स्वेदाच्छन्न, पसीने से सराबोर, पसीना आया हुआ दूध टपकता है-उत्तर० 3 / 2. पसीना लाने वाला, गर्म / प्रस्नुषा [प्रा० स०] पौत्रवधु / प्रहणनम् [प्र+हन् + ल्युट् ] वध, हत्या। प्रस्पन्दनम् [प्रस्पन्द्+ल्युट्] धड़कन, थरथराहट, प्रहत [प्र+हन्+क्त ] 1. घायल, वध किया हुआ, मारा कंपकंपी। हुआ 2. पीटा हुआ, (ढोल आदि) बजाना - स स्वयं प्रस्फुट (वि.) [प्र.+ स्फूट+क] 1. खिला हआ, विकसित, प्रहतपुष्करः कृती-रघु०१९।१४, मेघ०६४ 3. पीछे (फूल आदि) फूला हुआ 2. उद्घोषित, प्रकाशित, ढकेला हुआ, विजित, पराजित 4. फैलाया हआ, फलाया (रिपोर्ट आदि) फैलाई हुई 3. सरल, साफ, प्रकट, हुआ 5. सटा हुआ 6. (पगडंडी) घिसा-पिटा, गतानुस्पष्ट / गतिक 7. निष्पन्न, विद्वान् / For Private and Personal Use Only