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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्त्वत्प्रयाणानुरूपम् मेघ० 13 3. प्रगति, अग्रगमन | 4. प्रदर्शनी, अनुष्ठान, (नाटकीय) अभिनयन, नाटक 4. (शत्रु का) अभियान, हमला, आक्रमण, चढ़ाई खेलना-देव प्रयोगप्रधानं हि नाट्यशास्त्रम् - मालवि० कामं पुरः शुक्रमिव प्रयाणे कु० 3 / 43, रघु०६। 1, नाटिका न प्रयोगतो दष्टा-रत्न० 1 मंच पर 33 5. आरंभ, शुरु 6. मृत्य (इस संसार से) बिदा अभिनीत नहीं देखी गई 5. अभ्यास, (किसी विषय भग० 730 7. घोड़े की पीठ 8. किसी भी जन्तु का) प्रायोगिक भाग (विप. शास्त्र या सैद्धान्तिक का पिछला भाग। सम०-भंगा यात्रा के वीच कहीं ज्ञान) तदत्र भवानिमं मां च शास्त्रेत योगे च विमृशतु रुक जाना, ठहरना पंच०१। मालवि०१ 6. कार्यविधि का क्रम, सांस्कारिक प्रयाणकम् | प्रयाण+कन् ] यात्रा, प्रस्थान - का० 118 / रूप 7. कृत्य, कार्य 8. पाठ करना, पढ़कर सुनाना 305 / 9. आरंभ, शुरू 10. योजना, साधन, युक्ति, तरकीब प्रयात (भू० क० कु०) [प्र+या+ क्त ] 1. आगे बड़ा 11. साधन, उपकरण 12. फल, परिणाम 13. जादू हुआ, गया हुआ, विसजित 2. मृतक, मरा हुआ-तः प्रयोग, ऐन्द्रजालिक रचना, अभिचार 14. ब्याज पर 1. आक्रमण 2. चट्टान, दलवाँ चट्टान / रुपया देना 15. घोड़ा। सम०---अतिशयः प्रस्तावना प्रयापित (भू० क० कृ०) [प्र+या+णिच् + क्त, पक्] के पाँच भेदों में से एक जिसमें प्रस्तुत प्रयोग के 1. आगे पहुँचाया हुआ, भेजा हुआ 2. भगाया हुआ / अन्तर्गत दूसरा प्रयोग इस रीति से उपस्थित किया प्रयामः | प्र+यम् +घञ ] 1. अभाव, कमी, (अन्नादि जाता है कि अकस्मात् पात्र रंगमंच पर प्रवेश करते को) महंगाई 2. रोकथाम, नियन्त्रण 3. लम्बाई। है अर्थात् यहाँ सूत्रधार पात्र प्रवेश का संकेत करता प्रयासः / प्र-+यस्+घन ] 1. प्रयत्न, चेष्टा, उद्योग है और इस प्रकार अपने भावी कार्य (नृत्य) की पूर्व रघु०१२।५३ 14 / 51 2. श्रम, कठिनाई। सूचना देता है--सा० द० परिभाषा देता है यदि प्रयुक्त (भू० क० कृ०) [प्र-+-युज् + क्त ] 1. जोता प्रयोग एकस्मिन् प्रयोगोऽन्यः प्रयज्यते, तेन पात्रप्रवेशहुआ, काठी जीन आदि कसा हुआ 2. प्रचलित, (शब्द श्चेत् प्रयोगातिशयस्तदा। २९१,--निपुण (वि०) आदि) व्यवहार में लाया हुआ 3. प्रयोग में लाया नृत्याभ्यास में कुशल-मालवि०३।। गया 4. नियत किया हुआ, मनोनीत 5. किया हुआ, प्रयोजक (वि०) [प्र---युज+-बुल ] निमित्त बनने वाला, प्रतिनिहित 6. उदित, उद्गत, उत्पन्न, फलित 7. युक्त कारण बनने वाला, सम्पन्न करने वाला, नेतृत्व करने 8. ध्यानमग्न, बेसूब 9. (रुपया आदि) ब्याज पर बाला, उकसाने वाला, उद्दीपक, - कः 1. नियुक्त दिया हुआ 10. प्रेरित किया हुआ, उकसाया हुआ करने वाला, जो इस्तेमाल करे या काम ले 2. ग्रंथकर्ता (दे० प पूर्वक यज)। 3. संस्थापक, प्रवर्तक 4. साहूकार, महाजन 5. धर्म प्रयुक्तिः (स्त्री०) प्रयुज्न-क्तिन् ] 1. इस्तेमाल, उपयोग शास्त्री, विधायक / प्रयोग 2. उत्तेजना, उकसाना 3. प्रयोजन, मुख्य उद्देश्य प्रयोजनम् [प्र+युज् + ल्युट् ] 1. इस्तेमाल, काम में या ध्येय, अवसर 4. परिणाम, फल / लगाना, नियुक्ति 2. उपयोग, आवश्यकता, (आवप्रयुतम् प्रा० स० | दस लाख की संख्या / श्यक बस्तु में करण, तथा उपयोक्ता में संबं०) प्रय युत्सुः [प्र+युध् + सन्+उ,] 1. योद्धा 2. मेंढा सर्वैरपि ..."राज्ञां प्रयोजनम-पंच० 1, बाले किमनेन 3. हवा, वायु 4. सन्यासी 5. इन्द्र / पृष्टेन प्रयोजनम् -- का० 144 3. ध्येय, लक्ष्य, उद्देश्य, प्रयुद्धम् [प्रा० स०] संग्राम, लड़ाई। अभिप्राय प्रयोजनमनुद्दिश्य न मंदोऽपि प्रवर्तते, पुत्र प्रयोक्त (वि०) [प्र+ +तृ ] 1. उपाय, शब्द आदि प्रयोजना दाराः पुत्रः पिंडप्रयोजनः, हितप्रयोजनं मित्र का) उपयोग करने वाला 2. अनुष्ठाता, निदेशक, धनं सर्वप्रयोजनम् सुभा०, गुणवत्ताऽपि परप्रयोजना परिणायक 3. प्रेरक, उत्तेजक, उकसाने वाला 4.प्रणेता, --रघु० 8 / 31 4. प्राप्ति का साधन-मनु० 7.100 अभिकर्ता--उत्तर० 3 / 48 5. (नाटक का) अभिनय- 5. कारण, उद्देश्य, निमित्त 6. लाभ, स्वार्थ / कर्ता 6. ब्याज पर रुपया देने वाला, साहूकार प्रयोज्य (सं० कृ०) [प्रयुज् - ण्यत् ] 1. इस्तेमाल 7. तीरंदाज / करने के योग्य, काम में लाने के योग्य 2. अभ्यास प्रयोगः [प्र+युज +घा ] 1. इस्तेमाल, व्यवहार, उप- करने के लायक 3. उत्पन्न या पैदा करने के योग्य योग जैसा कि 'शब्द प्रयोग' में अयं शब्दो भरि- 4. नियुक्त करने के योग्य 5. चलाने या फेंकने के प्रयोगः, अल्पप्रयोगः इस शब्द का बहुल प्रयोग, या योग्य (अस्त्र) 6. कार्य आरम्भ करने के योग्य / विरल प्रयोग होता है 2. प्रचलित रूप, सामान्य | प्रावित (भू० क० कृ.) प्र रुद्+क्त | फूट फूट कर प्रचलन 3. फेंकना, प्रक्षेपण, मुक्त करना (विप० / रोया हुआ, मुक्त कंठ से रुदन / 'संहार')-...प्रयोगसंहार विभक्तमंत्रम् --रघु० 5 / 57 / प्रहर (भू० क० कृ०) [प्र+रह+क्त ] 1. पूरा बढ़ा For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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