________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अन्त में) कोई भी छोटी वस्तु- यथा असिपुत्रः,। परमाणवः-श्रीधर 2. शरीर, भूतद्रव्य 3. आत्मा शिलापुत्र आदि, त्रौ (द्वि० व०) पुत्र और पुत्री | 4. शिव का विशेषण। (पुत्रीक पुत्र के रूप में गोद लेना रघु० 2 / 36) / पुनर् (अव्य.) [पन् --अर्+उत्वम्] 1. फिर, एक बार सम० अन्नादः 1. जो पुत्र की कमाई पर निर्वाह | फिर, नये सिरे से न पुनरेवं प्रवर्तितव्यम्- श० 6, करता है, या जिसके निर्वाह की व्यवस्था पुत्र द्वारा किमप्ययं वटुः पुनर्विवक्षुः स्फुरितोत्तराधरः-.-कु० की जाय 2. एक विशेष प्रकार का साधु दे० कुटीचक, 5 / 82, इसी प्रकार पुनर्भ फिर पत्नी बनना 2. वापिस, -अयिन् (वि०) पुत्र चाहने वाला,--इष्टि:, विपरीत दिशा में (अधिकतर क्रियाओं के साथ), इष्टिका (स्त्रो०) पुत्र लाभ की इच्छा से किया -~-पुनर्दा वापिस देना, लौटाना, पुनर्या---- ---गम् जाने वाला यज्ञ विशेष, काम (वि.) पुत्र की कामना आदि वापिस जाना, लौटना आदि 3. इसके विपरीत, करने वाला, कार्यम् पुत्र संबंधो संस्कारादि, कृतकः उलटे, परन्तु, तोभी, तथापि इतना होते हुए भी जो पुत्र की भांति माना गया हो, गोद लिया हुआ (विरोध सूचक बल के साथ)-प्रसाद इब मूर्तस्ते स्पर्श: पुत्र--स्यामाकमष्टिपरिवधितको जहाति सोऽयं न पूत्र स्नेहार्द्रशीतलः, अद्याप्यानन्दयति मां त्वं पुनः क्वासि कृतक: पदवी गस्ते श० ४.१३,...जात (वि.) नंदिनि.... उत्तर० 3 / 14, मम पुनः सर्वमेव तन्नास्ति जिसे पुत्र उत्तान हुआ हो, - दारम् पुत्र और पत्नी, --उत्तर० 3 पुनः पुनः फिर---फिर' 'बार बार' -धर्मः पुत्र का पिता के प्रति अपेक्षित कर्तव्य 'बहुधा'-पुनः पुनः सूतनिषिद्धचापलं -रघु० 3 / 42, --पौत्रम्,---त्राः वेटे और पोते, ...पौत्रीण (वि०) कि पुनः कितना अधिक, कितना कम दे० किम् के पुत्र से पौत्र को प्राप्त होने वाला, आनुवंशिक भट्टि० नीचे, पुनरपि फिर, एक बार और, इसके विपरीत / 5 / 15,- प्रतिनिधिः पुत्र के स्थान पर अपनाया हुआ, सम-अथिता बार बार की हुई प्रार्थना, (उदा० . अत्तक पुत्र), - लाभः पुत्र की प्राप्ति,-वधूः ---- आगत (वि०) फिर आया हुआ, लौटा हुआ. (स्त्री०) पुत्र की पत्नी, स्नुषा,-सखः बच्चों से प्रेम --भस्मीभूतस्य देहस्य पुनरागमनं कुतः-सर्व०, करने वाला, बच्चों का प्रेमो, हीन (वि०) जिसके ... - आधानम्, -- आधेयम् अभिमंत्रित अग्नि का पूनः पुत्र न हो, निस्सन्तान / स्थापन, आवर्तः 1. वापसी 2. बार 2 जन्म होना, पुत्रकः [पुत्र कन् 1. छोटा पुत्र, बालक, बच्चा, तात, - आवतिन् (वि.) फिर से संसार में जन्म लेने वत्स (वात्सल्य को प्रकट करने वाला शब्द) 2. गुड़िया, वाला, आवृत् स्त्री०),--- आवृत्तिः (स्त्री०) 1. दोह कठपुतली कु० 1429 3. धूर्त, ठग 4. टिड्डी, टिड्डा राना 2. फिर से संसार में आना, बार बार जन्म 5. शरभ या परवाना, पतंग, 0. बाल। लेना - याज्ञ० 3.194 3. दोहराना, (पुस्तक आदि पुत्रका, पुत्रिका, पुत्री पुत्र टाप, पुत्री+कन् का) दूसरा संस्करण, उक्त (वि०) 1. फिर कहा टाप, ह्रस्व:, पुत्र-डोष | 1. बेटी 2. गुड़िया, हुआ, दोहराया गया, 'दुबारा कहा गया 2. फालतू, पुतली 3. (समास के अन्त में) कोई भी छोटी वस्तू अनावश्यक --- शशंस वाचा पुनरुक्तयेव रघु० 2 / 38, ----यथा असित्रिका, खग पूयिका आदि / सम० शि० 9/64, (तम्) पुनरुक्तता 1. दोहराना पुत्रः,--सुतः 1. बेटो का बेटा, दौहित्र, नाना के द्वारा 2. बाहुल्य, आधिक्य, निरर्थकता, द्विरुक्ति या पुनपुत्र के स्थान पर माना हुआ---मनु०९।१२७ 2, बेटी रूक्ति- उत्तर० 5 / 15, भर्तृ० 3178, जन्मन् जो पुत्रवत् मानी जाती है, तथा पिता के घर रहती है (J0) द्विजन्मा, ब्राह्मण, पुनरुक्तबदाभासः प्रतीय(पुत्रिकैव पुत्रः अथवा पुत्रिकैव सुतः पुत्रिका सुतः मान पुनरुक्ति, पुनरुक्ति का आभास होना, एक साऽप्योरससम एव ---याज्ञ० 2 / 128 पर मिता०) अलंकार-उदा० भुजंगकुंडलीव्यक्तशशिशुभ्रांशु3. पौत्र,--प्रसूः वह माता जिसके कन्याएँ ही हों, पुत्र शीतगः, जगत्यपि सदा पायादव्याच्चेतोहरः शिवः / न हो.-.-भर्त (पु०) 'बेटी का पतिजामाता, दामाद / सा० द०६२२, (यहाँ पुनरुक्ति की प्रतीति तुरन्त पुत्रिन् (वि०) (स्त्री० णो) [पूत्र -इनि बेटे दूर हो जाती है जब कि संदर्भ का सही अर्थ समझ वाला, बेटों वाला---- रघु० 1191, विक्रमः 5.14, लिया जाता है, तु. काव्य०९ में 'पुनरुक्तवदाभास' (पुत्र) पुत्र का पिता। के नीचे),---उक्तिः (स्त्री) 1 दोहराना 2 बाहुल्य, पुत्रिय, पुत्रीय, पुश्य (वि०) पुत्र / ध, छ, यत् वा] निरर्थकता, द्विरुक्ति, -उत्थानम् फिर उठना, पुनर्जीपुरसंबंधी, पुत्रविषयक / वित करना, उत्पत्तिः (स्त्री०) 1 पुनरुत्पादन पुत्रीया पुत्र | क्यच ---अ+टाप पत्र प्राप्ति की इच्छा / / 2. फिर जन्म होना, देहान्तरागमन,--उपगमः वापसी पुग्दल (वि.) पुत् कुत्मित गलो यस्मात् ब० स०] ...क्वायोध्यायाः पुनरुपगमो दंडकायां वने व..... उत्तर सुन्दर, प्रिय, मनोहर,-लः परमाणु–पुग्दलाः २।१३,--ऊपोढा, ऊढा दुबारा ब्याही हुई स्त्री, For Private and Personal Use Only