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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सहायता करता ला देता है, पोड +-अङ्-टाश्रमपीडा---रघुति पहुँचाना मविका' वह स्त्री है जो नायिका के प्रेमी नायक को ! पीडन' में 5. बर्बाद करना, उजाड़ना 6. अनाज प्राप्त कराने में उसकी सहायता करती है 2. नृत्य / गाहना 7. ग्रहण -जैसा कि 'ग्रहपीडन' में 8. ध्वनि शिक्षक जो वेश्याओं को नायकला को शिक्षा देता है, निरोध, स्वरोच्चारण का एक दोष / --सर्प (वि०) लंगड़ा, विकलांग / पीडा पोड़+-अङ-+टाप्] 1. दर्द, कष्ट, भोगना, सताना, पोठिका पोट-डोष-+-+टाप, ह्रस्वः ] 1. आसन परेशानी, वेदना-आश्रमपीडा--रघु० 1137, बाधा, (चौकी, तिपाई) 2. पोढ़ा, आधार 3. पुस्तक का 71, मदन, दारिद्रय आदि 2. क्षति पहुँचाना, अनुभाग या प्रभाग जैसा कि दशकुमार चरित की पूर्व हानि पहुँचाना, नुकसान पहुँचाना भग०१७।१९, पोठिका और उत्तरसीठिका। मनु० 7.169 3. उजाड़ना, बर्बाद करना 4. उल्लंपोड़ (चरा० उभ०--पीडयति-ते, पीड़ित) पोडित करना, घन, अतिक्रमण 5. प्रतिबंध 6. दया, करुणा 7. ग्रहण मनाना, नुकसान पहुँचाना, घायल करना, क्षति पहुँ 8. सुमिरनी, शिरोमाल्य 9. सरलवृक्ष / सम० कर चाना, तंग करना, छेड़ना, परेशान करना नीलं (वि०) कष्टकर, पीड़ामय / चायोपिङच्छरः भट्टि० 1582, मनु० 4167, 238, पीडित (भू० क० कृ०) [पीड्+क्त] 1. पीडा से युक्त, 7129 2. पिरोच करना, सामना करना 3. (नगर तंग किया हुआ, सताया हुआ, अत्याचारग्रस्त, नोचा आदि को) घेरना दवाना, भींचना, निचोड़ना, गया 2. निवोड़ा हुआ, दबाया हुआ 3. विवाहित, चट को काटना कंठे पीडयन मच्छ० 8, लभेत पाणिग्रहीत 4. अतिक्रान्त, तोड़ा हुआ 5. उजाड़ा सिकनासू तेलमपि यत्नतः पोडयन् भर्न० 15, हुआ, बर्बाद किया हुआ. 6. ग्रहणग्रस्त 7. बाँधा हुआ, दशनपीडिनाधरा रघु० 19135 5. दबाना, नष्ट / बंधन प्रस्त, तम् 1. दर्द करना, क्षति पहुँचाना, तंग करना --मनु० 151 6. अवहेलना करना 7. किसी करना 2. मैथुन का विशेष प्रकार, रतिबंध,-तम् अशुभ वस्तु से ढकना 8. ग्रहण-ग्रस्त होना, - अभि, (अब्य०) मजबूती से, सटा कर, दृढ़ता पूर्वक / -अब, दवाना, निचोड़ना, पीड़ित करना, आ--, पीत (वि०) [पा+क्त] 1. पोया हुआ, चढ़ाया हुआ 2. दबाना, भार से झुका देना पयोधरभारेणापीडिन: परिव्याप्त, सिक्त, भरा हुआ, संतृप्त 3. पीला गौत० 12. उद् -, मसलना, घिसना, रगड़ना --विद्यत्प्रभारचित-पीतपटोत्तरीयः - मच्छ० 5 / 2, अन्योन्यमत्पीडपटालायाः स्तनद्वयं पांडु तथा -----तः 1. पीला रंग 2. पुखराज 3. कुसुम्भ,---तम् 1. प्रवदम् –कु० 1140, शि० 3166 2. पिचकाना, सोना 2. हरताल। सम० --अब्धिः अगस्त्य का ऊपर को फेंकना, धकेलना, पेलना -रघु० 5 / 46, विशेषण,-अंबरः विष्णु का विशेषण -इति निगदितः 16 / 66, उप -, I. चोट पहुँचाना, क्षति पहुँचाना, प्रोतः पीतांबरोऽपि तथाकरोत-गीत० 12 2. अभिदुःखी करना, तंग करना, परेशान करना -स्तनोपपीडं नेता 3. पीले वस्त्र पहने हुए साधु सन्यासी, अरुण परिरब्धकामा-कि० 3 / 54, शि०१०।४७ 2. अत्या- (वि०) पीताभरक्त, पीलेपन से युक्त लाल, ...अश्मन् चार करना, बरबाद करना मन 08 / 67, 7.195, (50) पुखराज,-- कदली केले का एक भेद, सुनहरी नि, 1. तंग करना, पीडित करना, परेशान करना, केला,-कंदम् गाजर, - काबेरम 1. केसर 2. पीतल दंड देना, कष्ट देना --मन 0 7123 2. निचोड़ना, ....-काष्ठम् पीला चंदन,--गंधम् पीला चंदन, - चंदनम् दबाना, कस कर पकड़ना, हथिया लेना, थामना-गुरोः 1. एक प्रकार का चंदन 2. केसर 3. हल्दी, ---चम्पक: सदारस्य निपीड्य पादौ -रघु० 2 / 35, 5 / 65, निस् दीपक,-तुंडः कारंडव पक्षी,-दार (नपुं०) एक --, निचोड़ना-दे० निष्पीडित, परि-, 1. पीडा देना,कष्ट प्रकार का चीड का पेड़, या सरल वृक्ष, दुग्धा देना, परेशान करना 2. दबाना, भींचना द्र--, अत्यधिक दुधारू गाय, द्रुः सरल वृक्ष, पादा एक प्रकार का पीडित करना, यातना देना, सताना 2. दबाना, भींचना, पक्षी, मैना, मणिः पुखराज,-माक्षिकम् एक प्रकार सम-, भींचना, चटको काटना कंठे जीर्णलताप्रता का खनिज द्रव्य, सोनामाखी,---मूलकम् गाजर,---रक्त नवलयेनात्यर्थसंपीडितः श० 7 / 11, चौर० 3 / . (वि०) पीलेपन से युक्त लाल रंग का. संतरे के रंग पीडकः पीड्+ण्वल ] अत्याचारी। का (क्तम्) एक प्रकार का पीले रंग का रत्न, पीडनम् पीड्+ ल्युट्] . पीडित करना, कष्ट देना, पुखराज,-रागः 1 पीला रंग 2. मोम 3 पद्मकेसर, अत्याचार करना, पोड़ा पहुंचाना --मनु० 9 / 299 -बालुका हल्दी, वासस् (पुं०) कृष्ण का विशेषण, 2. भींचना, दवाना -दोल्लिबंध-निबिडस्तन पीड- ---सार: 1 पुवराज 2. चन्दन का वृक्ष (रम्) पीली नानि गीत० 10, दंतोप्ठपीडन नखातरक्तसिकताम् नंदन की लकड़ी, --सारि (न) अंजन, सुर्मा--स्कंधः ....चौर० 48 3. दबाने का उपकरण है. लेना, सुअर, --स्फटिकः पुखराज,-हरित (वि०) पीलापन थामना, पकड़ना जैसा कि 'करपीडन' और 'पाणि- लिये हुए हा। 78 For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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