________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यारा वदे पार्वतीमाता, माता-पिता 4444444444 पिडीर (वि०) [ पिण्ड-ईर् णिच् ] फीका, रसहीन, का विशेषण, --पदम पितरों का लोक, पित (0) नीरस, सूखा,-र: 1. अनार का वृक्ष 2. मसीक्षेपी का दादा, बाबा, पितामह,-पुत्रौ (द्वि०व० पितापुत्री) भीतरी कवच 3. समुद्रफेन-दे० 'डिंडीर'। पिता और पुत्र, (पितुः पुत्रः प्रसिद्ध और लोक विश्रुत पिंडोलिः (स्त्री०) [पिण्ड+ओलि] खाते समय मुंह से पिता का पुत्र, पूजनम् पितरों की पूजा, पैतामह गिरा कण, जूठन, उच्छिष्ट / (वि०) (स्त्री ही) पूर्व पुरुषाओं से प्राप्त, पैतृक, पिण्याकः कम पिष- आक, नि० साधुः] 1. खल (तिल आनुवंशिक (ब०व०-हा.) पूर्व पुरुष, प्रसू: (स्त्री०) या सरसों की) 2. गन्ध द्रव्य, लोबान 3. केशर / 1. दादी 2. सांध्यकालीन झुटपुटा, ---प्राप्त (वि०) 4. हींग / 1. पिता से प्राप्त 2. पितृकुल क्रमागत से प्राप्त,पितामहः (स्त्री०-ही) [पितृ+डामहच्] 1. दादा, बाबा ! बंधुः पितृकुल के नातेदार (नपं०-बंधु) पिता के ___ 2. ब्रह्मा का विशेषण / संबंध से रिश्तेदारी,--भक्त (वि.) पिता का कर्तव्य पित (पुं०)[पाति रक्षति--पा+तुच ] पिता,--तेनास परायण भक्त,-भक्तिः ( स्त्री० ) पिता के प्रति 'लोकः पितमान् विनेश्रा-रघु० 14 / 23, 1124, कर्तव्य, भोजनम् पितरों को दिया गया भोजन,-- ११॥६७,-रौ (द्वि०व०) पिता-माता, माता-पिता भ्रात (पं०) पिता का भाई, चाचा या ताऊ, जगतः पितरी वंदे पार्वतीपरमेश्वरी--रघु० 121, - मंदिरम् 1.पितगह 2. कब्रिस्तान,----मेधः पितरों के याज्ञ. २०११७,-रः(ब०व०) 1. पूर्वपुरुष, पूर्वज, निमित्त किया जाने वाला, यज्ञ, श्राद्ध, यज्ञ: 1. मृत पिता,-श०६।२४ 2. पितृकुल के पितर, पितृवर्ग- पूर्व पूरुषाओं को प्रतिदिन तर्पण या जलदान, ब्राह्मण मनु० 21151 3. पितर-रघु० 2 / 16, 4 / 20, द्वारा अनुष्ठेय दैनिक पंच यज्ञों में से एक पित भग० 10 / 29, मनु० 3 / 81, 192 / सम० --- अजित यज्ञस्तु तर्पणम् मनु० 3 / 70, 122, २८३,-राज् (वि०) पिता द्वारा कमाई हुई पैतृक (संपत्ति), (पुं०), राजः,-राजन् (पं०) यम का विशेषण-..-कर्मन् (नं०), कार्यम्,--कृत्यम्,-क्रिया मृत पूर्व रूपः शिव का विशेषण, लोकः पितरों का लोक..... पुरुषाओं को के निमित्त किया जाने वाला याग या वंशः पिता का कुल, --वनम् श्मशान, कनितान (पितृश्राद्धकर्म,—काननम् कब्रिस्तान, - रघु० 11116,- वनेचर: 1. राक्षस, पिशाच, शिव का विशेषण),कुल्या मलय पर्वत से निकलने वाली नदी,-गणः वसतिः (स्त्री०), सान् (नपू०) श्मशान, कनिस्तान 1. पूर्वपुरुषाओं के समस्त वर्ग 2. पितर, वंश प्रवर्तक कु० 5 / 77, व्रतः श्राद्ध, पितृकर्म, श्राद्धम् पिता जो प्रजापति के पुत्र थे-दे० मनु० 3-194-5,- या मत पूर्व पुरुषों के निमित्त किया जाने वाला गहम् 1. पिता का घर 2. कब्रिस्तान, जहाँ दफन श्राद्ध, स्वस (स्त्री०) (पितृष्वस,) पितुः स्वसकिये जायँ, - घातकः, -घातिन (पं०) पिता की हत्या भी) भुवा, फूफी --मनु० 2 / 131, प्वम्रीयः फुफेरा करने वाला,--तर्पणम् 1. पितरों को दी जाने वाली भाई,---संनिभ ( वि० ) पितृतुल्प, पितवत् , सूः आहुति या जलदान 2. (मार्जन के अवसर पर) पितर 1. पितामह, दादा, बाबा 2. सांध्यकालीन झटपूटातथा अन्य दिवंगत पूर्वजों के निमित्त दायें हाथ से स्थानः, स्थानीयः अभिभावक (जो पिता के स्थान जल छोड़ना-मनु० 2 / 176 3. तिल,--तिथिः में है),---हत्या पिता का वध, हन् (पुं०) पिता की (स्त्री०) अमावस्या,-तीर्थम् गया तीर्थ जहाँ जाकर हृत्या करने वाला। पितरों के निमित्त श्राद्ध करना विशेष रूप से फल- पितक (वि.) [पितुः आगतम् —पितृ+कन् ] 1. पैतृक, दायक विहित है 2. अँगूठे और तर्जनी के मध्य का | कुलक्रमागत, आनुवंशिक 2. औज़दैहिक / / भाग (इसके द्वारा तर्पण आदि करना पवित्र माना पितृव्यः / पित+व्यत् ] 1. पिता का भाई, चाचा 2. कोई जाता है), दानम् पितरों के निमित्त किया जाने भी वयोवृद्ध पुरुष-नातेदार-मनु० 2 / 130 / वाला दान, दायः पिता से प्राप्त संपत्ति,- दिनम् पित्तम् [ अपि--दो+क्त अपे: अकारलोषः | पित्तदोष, अमावस्या,-देव (वि.) 1. पिता की पूजा करने शरीर में स्थित तीन दोषों में एक (शेष दो हैं वात वाला 2. पितरों की पूजा से संबद्ध (वाः) अग्निष्वात्त और कफ) पित्तं यदि शकरया शाम्यति काऽर्थः आदि दिव्य पितर, -दैवत (वि०) पितरों द्वारा पटोलेन--पंच० 11378 / सम०- अतीसारः पित के अधिष्ठित (तम्) दसवाँ (मधा) नक्षत्र,-द्रव्यम प्रकोप से उत्पन्न दस्तों का रोग,-उपहतः (वि.) पिता से प्राप्त सम्पत्ति, याज्ञ० २।११८,-पक्षः पित्त से ग्रस्त—पश्यति पित्तोपहतः शशिशुभ्रं शंखमपि 1. पितकुल, पैतृक संबंध 2. पितृकुल के संबंधी पीतम -- काव्य० 10, कोषः पित्ताशय, क्षोभः पित्त3. पित पक्ष / आश्विन मास का कृष्ण पक्ष जिसमें दोष की अधिकता, पित्तप्रकोप,---ज्वरः पित्त के प्रकोप पितकृस्य करना प्रशस्त माना गया है,-पतिः यम से होने वाला ज्वर या बुखार,-प्रकृति (वि०) ANTERAS For Private and Personal Use Only