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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 608 ) पारिपार्श्वम् [ पारिपार्श्व + अण् ] अनुचरवर्ग, सेवक, पारिशीलः [ परिशील-अण् | रोटी, पूड़ा, मालपुआ अनुयायी। (दे० अपूप)। पारिपाश्र्धकः, पारिपाश्विकः [ पारिपार्श्व-1 कन्, परि- पारिशेष्यम् [ परिशेष - ध्यञ ] बचा हुआ, शेष, बाकी / पार्श्व+ठक ] 1. सेवक, टहलुआ 2. नाटक में सूत्र- पारिषद (वि०) (स्त्री०-दी) [ परिषद् + अण् ] सभा धार का सहायक, नान्दीपाठ के अवसर एक अन्तर्वादी या परिषद् से संबन्ध रखने वाला, --दः 1. सभा में ......प्रविश्य पारिपावकः, तत्किमिति पारिपार्श्विक उपस्थित व्यक्ति, सभा का सदस्य, परामर्शक 2. राजा नारंभयसि कुशीलवैः सह संगीतम्--वेणी० 1 / का सहचर,--दाः (पुं०, ब० व०) देव का अनुचरपारिपाश्विका [ पारिपाश्विका+टाप् ] दासी, सेविका, वर्ग / निजी नौकरानी। पारिषद्यः [ परिषद् -।-ण्यत् ] सभा में विद्यमान व्यक्ति, पारिप्लव (वि०) परिप्लव-अण् ] 1. इधर उधर दर्शक / / घूमने वाला, डांवाडोल, चंचल, अस्थिर, कम्पायमान | पारिहारिको [ पारिहर--उक् +ङीप् ] एक प्रकार की -ननंद पारिष्लवनेत्रया नप:---रघु०३।११ 2. तैरना, बुझौवल, पहेली। बहना रघु० 13130, 16461 3. क्षुब्ध, उद्विग्न, परे पारिहार्यः [ परि / हृ +- ण्यत् ---अण् ] कड़ा, कंगण, शान, घबराया हुआ-उत्तर० 4 / 22,-- नाव, ___ -यम् लेना, ग्रहण करना। बम् बेचैनी, विकलता। पारिहास्यम् [ परिहास -।-ध्या ] हंसी-दिल्लगी, ठठोली, पारिप्लाव्यः [परिपप्लव+प्या ] हंस व्यम् 1. परे हंसी-मजाक / शानी, बेचैनी, क्षोभ 2. कंपकंपी, थरथराहट / पारी [---णिच-घा --डीष ] 1. हाथी के पैरों को पारिबहः [ परिबह+अण ] वैवाहिक उपहार / बांधने का रस्सा 2. जल का परिमाण 3. पानपात्र, पारिभाः [ परिभद्र+अण् ] 1. मुंगे का वृक्ष 2. देवदारू सुराही, प्याला 4. दूध की बाल्टी-शि० 12 / 40 / वृक्ष 3. सरल वृक्ष 4. नीम का पेड़ / पारीक्षितः पारिक्षित। पारिभाष्यम् [परिभू+प्यञ ] जमानत, प्रतिभूति, पारीण (वि.) [पार+ख ] 1. दूसरी पार रहने या जाने जमानत के रूप में रक्खी गई वस्तु / वाला 2. (समास के अन्त में) सुविज्ञ, सुपरिचितपारिभाषिक (वि.) (स्त्री०-की) [ परिभाषा - ठक ] त्रिवर्गपारीणमसौ भवन्तमध्यासयन्तासनमेकमिन्द्रः---- 1. चाल, सामान्य प्रचलित 2. (शब्द आदि) तक- भट्टि० 2 / 46 / नीकी, किसी विशेषार्थ का संकेतक / पारीणाम् परिणह+ष्या, उपसर्गस्य दीर्घः ] घर का पारिमांडल्यमा परिमंडल। प्यन | अणु, सूर्य की किरण सामान या वर्तन आदि। __ में विद्यमान रजकण भाषा० 15 / पारीन्द्रः [पारि पशुः तस्येन्द्रः ] 1. सिंह, 2. अजगर, बड़ा पारिमखिक (वि.) (स्त्री०-की) [परिमुख-ठक सांप। ___ मुंह के सामने का, निकटवर्ती, पास का। | पारीरणः [ पायां जलपूरे रण यस्य ] 1. कछुवा 2. छड़ी, पारिमुख्यम् [ परिमुख --प्या ] उपस्थिति, समीप लाठी। होना। पारुः [ पिवति रसान्-पा-1-7 ] 1. सूर्य 2. अग्नि / पारिया (पा) त्रः (पुं०) सात मुख्य पर्वत शंखलाओं में पारुण्यम् | परुप - ज्या ] 1. खुरदरापन, ऊबड़खाबड़पन, __से एक रघु० 18 / 16, दे० 'कुलाचल' / कड़ापन 2. कठोरता, क्रूरता, (स्वभाव की) निर्दयता पारिया (पा) त्रिकः [ पारियात्र ! ठक ] 1. पारियात्र 3: अपभाषा, गाली देना, बराभला कहना, अश्लील पहाड़ का निवासी 2. पारियात्र पहाड़। भाषा, अपमान-भग० 16 / 8, याज्ञ० 2 / 12,72 पारियानिकः [ परियान | ठक् ] यात्रा पर जाने के 1. (वाणी से या कर्म से) हिंसा ----मनु० 8 / 6,72, लिए गाड़ी। 7 / 48,51 5. इन्द्र का उद्यान 6. अगर, -व्यः बृहपारिरक्षकः [ परिरक्षति आत्मान-~-परि---रक्ष - बुल स्पति का विशेषण / +अण् ] साधु, सन्यासी। पारोवर्यम् | परोवर-+प्या परंपरा / पारियित्त्यम्, पारिवेश्यम् ! परिवित्त-:-छात्र, परिवेत पार्घटम् [ पादे घटते इति अच, पृषो० साधुः ] चूल, राख / +ष्यन / छोटे भाई का विवाह हो जाने पर भी पार्जन्य (वि०) [ पर्जन्य-अण् | वृष्टि से संबंध रखने बड़े भाई का अविवाहित रहना। वाला। पारिवाजकम् पारिवाज्यम् [ परिव्राजक -अण, परिवाज / पार्ण (वि.) (म्त्री०-णी) [ पर्ण | अण् | 1. पत्तों से +प्यञ ] साधु सन्यासी का भ्रमणशील जीवन, संबंध रखने वाला या पत्तों का बना हुआ 2. पत्तों सन्यास। से उठाया हुआ (जैसे कि कर)। For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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