________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 595 ) पर्याप्तिः (स्त्री०) [ परि | आप + क्तिन् ] 1. प्राप्त / पर्युत्थानम् [परि+उद्+स्था+ल्युट्] खड़ा होना। करना, अधिग्रहण 2. अन्त, उपसंहार, समाप्ति 3. पर्युत्सुक (वि.) [प्रा०स० ] 1. शोक पूर्ण, खेद युक्त, काफी, पूर्णता, यथेष्टता 4. तृप्ति, संतोष 5. साधारण, खिन्न, दुःखद त्वम् शोक, रघु० 5 / 67 2. अत्यन्त प्रहार को रोकना 6. उपयुक्तता, सक्षमता। / इच्छुक, आतुर, सोत्सुक, प्रबल इच्छा रखने वालापर्यायः | परि-इ-घा ] 1. चक्कर लगाना, क्रान्ति स्मर पर्युत्सुक एष माधवः-कू० 4 / 28, विक्रम 2. (समय की) समाप्ति, व्यतीत होना, बीसना 3. / 16 / नियमित परावर्तन, या आवत्ति 4. बारी, उत्तराधि- पदचनम् [परि + उध+-अञ्चल्युट] 1. ऋण, उधार कार, उवित या नियमित क्रम -पर्याय सेवामत्सृज्य 2. उधार लेमा, उठाना, उद्धार करना। -कु० 2 / 36, मनु०४१८७, मुद्रा० 3 / 27 5. प्रणाली, स्त ( भू० क० कृ०) [ परि+उद्+अस्+क्त ] व्यवस्था 6. तरीका, रीति, प्रक्रिया की प्रणाली 7. 1. बहिष्कृत किया हुआ, निकाला हुआ 2. रोका गया समानार्थक, पर्यायवाची पर्यायो निधनस्यायं निध (नियमित) आपत्ति उठाई गई। नत्वं शरीरिणाम-पंच. 199, पर्वतस्य पर्याया बासः [ परि+उद्+अस्+घन ] अपवाद, निषेध इमे-आदि 8. सुष्टि, निर्माण, तैयारी, रचना 9. सुचक नियम या विधि / धर्म, गुण 10. (अलं० में) एक अलंकार ...दे० काव्य पर्यपस्थानम् [परि+उप-+स्था+ल्युट ] सेवा, टहल, 10, चन्द्रा०५।१०८, 109, सा० द. 723 (विशे० . उपस्थिति। पर्यायण क्रिया विशेषण के रूप में प्रयक्त होकर पर्युपासनम् [परि+उप+आस् + ल्युट] 1. पूजा, सम्मान, निम्नांकित अर्थ बताता है 1. बारी बारी से, उत्तरोत्तर, सेवा 2. मित्रता, शिष्टता 3. पास पास बैठाना / नंबरदार, नियमित क्रम से 2, यथावसर, कभी कभी पर्युप्तिः (स्त्री०) [परि- व+क्तिन्] बोना, बीजना / --पर्यायेण हि दृश्यते स्वप्नाः कामं शुभाशुभा:-वेणी० पर्युषणम् [परि+ उष् + ल्युट पूजा, अर्चा, सेवा। 2 / 13 / सभ० ... उपतम् एक अलंकार, धुमाफिरा कर पर्युषित (वि०) [परि+वस्- क्त] बासी, जो ताजा न कहना, वक्रोक्ति या वाकप्रपंच से कहने की रीति, | हो तु० 'अपर्युषित' 2. फीका 3. मूर्ख 4. घमंडी। जब बात को घुमा फिरा कर या वाग्जाल के साथ पर्यषणम् -णा [परि-इषु | ल्युट] 1. तर्क द्वारा गवेषणा कहा जाय . उदा० दे० चन्द्रा० 5166, या सा० द. 2. खोज, सामान्य पूछ-ताछ 3. श्रद्धांजलि, पूजा / 703, --च्युत (वि.) गुप्त रूप से उखाड़ा हआ, पर्येष्टिः (स्त्री०) [परि-।-इषु ।-क्तिन् ] खोज, पुछताछ / जिसका स्थान छलपूर्वक ले लिया गया है,-वचनम् / पर्वकम् [पर्वणा ग्रन्थिना कायति-पर्वन् / के-1-क] घुटने -शब्दः समानार्थक,-शयनम् बारी 2 सोना और का जोड़। चौकसी रखना। पर्वणी पर्व --ल्यूट, स्त्रियां डीप्] 1. पूर्णिमा, या शुक्लपर्याली (अव्य०) | परि | आ-|-अल-ई हानि या प्रतिपदा 2. उत्सव 3. (आय० में) आँख की संधि क्षति को (हिंसन) अभिव्यक्त करने वाला अव्यय जो का विशेष रोग। प्रायः कृ, गूथा अस् से पूर्व लगाया जाता है यथा | पर्वतः [ पर्व + अचच् ] 1. पहाड़, गिरि----परगुणपरपर्यालीकृत्य-हिसित्वा / माणुन्पर्वतीकृत्य नित्यम् भर्तृ० 2178, न पर्वताये पर्यालोचनम् -- ना [ परि- आ-लोच- ल्युट् ] 1. साव- नलिनी प्ररोहति 2. चट्टान 3. कृत्रिम पहाड़ या ढेर धानता, समीक्षा, विचार, परिपक्य विमर्श 2. जानना, 4. 'सात' की संख्या 5. वृक्ष। सम०-अरिः इन्द्र पहचानना। का विशेषण,- आत्मजः मैनाक पर्वत का विशेषण, पर्यावर्तः, पर्यावर्तनम् [ परि -आ -वृत् | घन , ल्युट वा] -आत्मजा पार्वती का विशेषण, --आधारा पृथ्वी, वापिस आना, प्रत्यागमन / ---आशयः बादल, आश्रयः शरभ नामक काल्पनिक पर्याविल (वि०) [प्रा० स०] बड़ा गदला, मैला, मिट्टी जंतू,--काकः पहाड़ी कौवा,—जा नदी, -- पतिः हिमामें भरा हुआ -रघु० 7140 / लय पहाड़ का विशेषण,--मोचाप हाड़ी केला,--राज पर्यासः [परि--अस्+घञ] 1. अन्त, उपसंहार, समाप्ति (पुं०),-राजः 1. विशाल पहाड़, 2. पर्वतों का 2. परावर्तन, क्रान्ति 3. उलटा क्रम या स्थिति / / स्वामी हिमालय,--स्थ (वि०) पहाड़ी, पर्वत र पर्याहारः [ परि+आ+ह-1-धा ] 1. बोझा धोने के स्थित / लिए कंधों पर रक्खा गया जूआ 2. ले जाना 3. बोझा, पर्वन् (नपुं०) [पृ+वनिप्] 1. गांठ, जोड़ (बहुव्रीहि भार 4. धड़ा 5. अनाज को भंडार में रखना। समास के अन्त में कभी कभी बदल कर 'पर्व' हो जाता पर्युक्षणम् [परि+उक्ष-|-ल्युट बिना किसी मन्त्रोच्चारण है जैसा कि 'कर्कशांगुलिपर्वया--- रघु० 12 // 41' में के चारों ओर चुपचाप जल के छींटे देना। . 2. अवयव, अंग 3. अंश' भाग, खण्ड 4. पुस्तक, For Private and Personal Use Only