________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 591 ) परिश्रमस्य पद - भतु [ऊचे वर्ष, परिसंवर परिशोषः [ परि+शुप्- घन | बिल्कुल सूख जाना, / परिष्वक्त (भू० क० कृ०) [ परि+स्वंज्+क्त ] परिरब्ध पूरी तरह भुन जाना। आलिगित या आलिंगनबद्ध / परिश्रमः परिश्रम् / घा ] 1. थकान, थक कर परिष्वंगः [ परि-स्वंज- घन | 1. आलिंगन-कि० पर 2 होना, कष्ट, पीड़ा .आत्मा परिश्रमस्य पद- 18 / 19, हि० 3.67 2. स्पर्श, सम्पर्क, मेल-मिलाप मपनीतः श०१, रघु० 1158, 11 / 12 2. चेष्टा, - भतुं० 3 / 17 / उद्योग, गहन अध्ययन, लगातार व्यस्त रहना - आये परिसंवत्सर (वि.) [ऊर्ध्व संवत्सरात्-अव्य० स० / अनाधिमोऽस्मि चतु.पष्टयंगे ज्योतिः शास्त्रे-मद्रा०१० पूरा एक वर्ष का, - रः पूरा वर्ष, परिसंवत्सरात् पूरे परिश्रयः [ परिधि ....अन् ] 1. सम्मिलन, सभा 2. / एक वर्ष से ऊपर,-मनु० 3 / 119 / शरण, आथय। , परिसंख्या [ परि+सम् +ख्या+अङ+टाप्] 1. गिनती, परिश्रान्तिः (स्त्री०) परि-1-श्रम् / क्तिन् ] 1. थकान, संगणना 2. योगफल, जोड़, पूर्ण संख्या- वित्तस्य ऊब, काट, पककर चूर चूर होना 2. उद्योग, चेष्टा / विद्यापरिसंख्या मे— रघु० 5 / 21 3. (मीमांसा. परिश्लेषः परि ! शिलप्- घञ् | आलिंगन / में) अपाकरण, विशेष विवरण, स्पष्ट रूप से बताई परिवद (सी०) परित: सीदन्ति अस्याम परि-1-सद् गई ऐसी सीमा जिससे कि विहित वस्तुओं से भिन्न -विर | 1. सभा, सम्मिलन, मन्त्राणासभा, श्रोत- सभी वस्तुओं का निषेध हो जाय; परिसंख्या-विधि गण अभिरूपभूयिष्ठा परिषदियम् - श० 1 2. (जो पहली बार विधान किया जाय) तथा नियम धर्मसभा, मीमांसासभा / / (विविध विकल्पों में से किसी विशेष विकल्प का परिषदः, परिषद्यः / परितः सीदति परि+सद् - अच्, चनाव) का विपरीतार्थक शब्द; विधिरत्यन्तमप्राप्ती यत् / किसी सभा का सदस्य या मेंबर।। नियमः पाक्षिके सति, तत्र चान्यत्र च प्राप्तो परिपरिषेकः, परिषेचनम् | परि-सिच् + घन, ल्युट् ] पानी संख्तेति गीयते / उदा० 'पंच पंचनखा भक्ष्याः'मीमांसको छिड़कना या उडेलना, गीला या तर करना / द्वारा बहुधा उद्धत), मनु० 3 / 45 पर कुल्लू०-अयं परिष्कगण (न्न) (वि०) | परिस्किन्द- क्त, णत्वं वा ] नियमविधिन तू परिसंख्या 4. (अलं० में) विशेष दूसरे रो पालित, पणः पोष्यपुत्र, जिसे किसी अपरि- उल्लेख या एकान्तिक विशेष विवरण, अर्थात् जहाँ चितन पाला पोसा हो। जाँच करके या बिना किसी पछताछ के किसी बात परिष्कं (स्कम् ) द (वि.) [ परि-स्कन्द ---घi ] की पुष्टि की जाय जिससे कि किसी अन्य वैसे ही दूसरे के हारा पाला गया, दः 1. पोप्य पुत्र 2. भृत्य, वस्तु का अभिहित या अध्याहृत खंडन हो (श्लेष पर सबक। आधारित होने की स्थिति में यह अलंकार विशेष परिष्कारः परि ---|-अप, सुट्, पत्वम् ] सजावट, प्रभावोत्पादक होता है) यस्मिश्च महीं शासति चित्रअलंकृत करना। कर्मसु वर्णसंकराश्चापेषु गुणच्छेदाः आदि या-यस्य परिष्कारः / परि+क+घञ, सुट् पत्वम् ] 1. सजावट, नूपुरेषु मुखरता विवाहेषु करग्रहणं तुरंगेषु कशाभिआभूपण, अलंकरण 2. पाचनक्रिया, खाना पकाना धातः का०, अन्य उदाहरणों के लिए देखो--सा० दोक्षा, आरंभिक संस्कारों द्वारा पवित्रीकरण 4. (घर का) सामान ('परिस्कार' भी इस अर्थ में)। / परिसंख्यात (भू० क० क०) 1. गिना हुआ, हिसाब लगाया परिष्कृत (भू० क० कृ०) [ परि+क+क्त. सुट, षत्वम् ] | हुआ 2. एकान्तिकरूप से विशिष्ट या निर्दिष्ट / 1. अलंकृत, सजाया हुआ-कि० 7140 2. पकाया | परिसंख्यानम् [परि+संख्या ल्युट ] 1. गिनती, जोड, गया. प्रसाधित किया गया 3. आरंभिक संस्कारों द्वारा पूर्णसंख्या 2. एकान्तिक विशेष निर्देश 3. मही अभिमन्त्रित (दे० परि पूर्वक 'कृ') ('परिस्कृत' भी __ अनुमान, ठीक अंदाजा। इस अर्थ में)। परिसंचरः [परि+सम्+च+अच् ] विश्वप्रलय का परिष्क्रिया [ परि+क+श -टाप, सुट् ] अलंकरण, सजा- समय। बट, शृंगार। परिसमापन, परिसमाप्तिः (स्त्री०) [परि+सम-+-आप परिष्टो (स्तो) मः | परि + स्तु+मन्, षत्वं वा ] 1. हाथी -ल्युटु, क्तिन् ] समाप्त करना, पूरा करना। की रंगीन झुल 2. आच्छादन, आवरण / परिसम्हनम् [परि+सम्+ऊह+ल्युट ] 1. एकत्र परियं (स्पं) H परि+सांद्+घ, षत्वं वा] करना, ढेर लगाना 2. (अग्नेः समन्तात् मार्जनम् ) 1. नौकर-चाकर. अनुचर 2. (फलों से) केश शृंगार यज्ञाग्नि के चारों ओर (विशेष रीति से) जल 3. शृंगार, सजावट 4. बड़कन, थरथराहट, धकधक, छिड़कना। स्पंदन 5. खाद्यसामग्री, संवर्धन 6. कुचलना / | परिसरः [परि+स+घ ] 1. तट, किनारा, सामीप्य, For Private and Personal Use Only