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( ५२८ ) निमानम् [नि+मा+ल्युट ] 1. माप 2. मूल्य (निमानम् निम्नः (वि०) [नि+म्ना+क] गहरा (शा० और ==मूल्यम्-सिद्धा०)।
आलं०) चकितहरिणीप्रेक्षणा निम्ननाभिः- मेघ. निमिः (पुं०) 1. आँख का झपकना, निमेष 2. ईक्ष्वाकु की ८२, ऋतु० ५।१२, शि० १०५७ 2. नीच, अबसन्न,
एक संतान, मिथिला में राज्य करने वाले राजाओं के ---म्नम् 1. गहराई, नीची भूमि, निम्न देश (कः) कुल का पूर्वज।
पश्यच निम्नाभिमुखं प्रतीपयेत्-...कु. ५।५, न च निमितम् [ निमिद+क्त ] 1. कारण, प्रयोजन, आधार | निम्नादिव सलिलं निवर्तते मे ततो हृदयम्-श० ३।२,
हेतु --निमित्तनैमित्तिकयोरयं क्रमः-श०७।३० 2. कर-। .. याज्ञ० २।१५१, ऋतु. २।१३ 2. ढलान, ढाल णात्मक या कौशलदर्शी करण (विप० उपादान) 3. व्यवधान, भूरन्ध्र, 4. अवसाद, निबला भाग-- 3. प्रतीयमान कारण, ब्याज, निमित्तमात्रं भव सव्य- जलनिविडितवस्त्रब्यक्त निम्नोन्नताभि:-मा० ४।१०। साचिन्- भग० १११३३, निमित्तमात्रेण पांडवक्रोधेन सम० -- उन्नत (वि०) ऊँचा नीचा, अवनत उन्नत, भवितव्यम-वेणी० १ 4. चिह्न, संकेत, निशानी ऊबड़खाबड़,..-गतम् निम्नस्थान,-गा नदी, पहाड़ी 5. छंठ, लक्ष्य, निशाना--निमित्तादपराद्धेषो(नष्क- नदी-रघु० ८५८ । स्येव वल्गितम् -शि० २।२७ 6. भविष्यसूचक (शभाशुभ) शकुन, निमित्तं सूचयित्वा, श० १, निमितानि
निबं परिचरेत्तु यः, यश्चैनं पयसा सिंचेन्नैवास्यं मधुरो च पश्यामि विपरीतानि केशव-भग० ११३०, रघु०
भवेत्---रामा०। १९६, मन० ६।५०, याज्ञ० ११२०३, ३।१७१, निम्लोचः [
निम्लच+अञ] सूर्यास्त ।। ('निमित्त' शब्द समास के अन्त में 'कारण या उत्पत्ति'.
नियत (भूक००) [
नियम+क्त] 1. दमन किया अर्थ को प्रकट करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है
हुआ, नियंत्रित 2. अभिभूत, नियंत्रण में किया हुआ, ---किनिमित्तोऽयमातंकः--श० ३, निमित्तम, निमित्तेन,
स्वस्थ, स्वशासित 3. संयमी, मिताहारी 4. सावधान निमित्तात के कारण, क्योंकि, इस कारण कि' । सम०
5. जमा हुआ, स्थायी, अनवरत, स्थिर 6. अवश्यंभावी, --अर्थः (व्या० में) अकर्तक क्रिया की अवस्था, तुम -
निश्चित, अचक 7. अनिवार्य 8. ध्रुव, निश्चित न्नंत प्रयोग,-आवृत्तिः (स्त्री०) किसी विशेष कारण
9. विचारणीय विषय (प्रसंगानुकूल हों चाहे असंबद्ध) पर आश्रय, ....कारणम्,-हेतु: करणात्मक या कौशल
दे० 'तुल्ययोगिता',--तम् (अव्य०) 1. हमेशा, लगादर्शी कारण,-कृत (पु०) कौवा, --धर्मः 1. प्रायश्चित्त
तार 2. निश्चयात्मक रूप से, अवश्य, अनिवार्यतः, 2. सामयिक संस्कार,-विद् (वि.) अच्छे और शकुनों
निश्चय ही। का ज्ञाता--(०) ज्योतिषी।।
नियति (स्त्रिी०) [नि-यम् --क्तिन् ) 1. नियंत्रण, निमिषः [ नि--मिष-+-क] 1. आँख झपकना, आँख बन्द प्रतिबन्ध 2. भाग्य प्रारब्ध, भवितव्यता, किस्मत
करना, पलक झपकाना 2. पलकमात्र समय, पलभर | (बरी हो या अच्छी हो) नियतिबलान्तु-दश०, 3. फूलों का बन्द होना 4. आँख की पलक का शब्द होना नियतेनियोगात...शि. ४१३४, कि० २११२, ४।२१
5. विष्णु । सम०-अंतरम् क्षण भर का अन्तराल। 3. धार्मिक कर्तव्य 4. आत्म नियंत्रण, आत्म संयम । निमीलमम् [नि+मील+ल्युट्] 1. पलकें बन्द करना, नियंत (पं.) नि+यम+तुच] 1. सारथि, चालक झपकना, --नयननिमीलनखिन्नया यया ते---गीत० ४,
शि० १२।२४ 2. राज्यपाल, शासक, स्वामी, विनिअमरु ३३ 2. मरणसमय आँखें मुंदना, मृत्यु 3. (ज्यो.
यंता ---रघु० १।१७, १५।५१ 3. दण्ड देने वाला, में) पूर्णग्रास ।
सजा देने वाला। निमिला, निमीलिका [नि+मील+अ+टाप, निमिल नियंत्रणम,....णा [नि-यंत्र--स्यट; स्त्रियां टाप् च] +कन्+टाप, इत्वम् ] 1. आँखें बन्द करना 2. आँख
1. रोक, आरक्षण, प्रतिबंध---अनियंत्रणानयोगो दाम झपकाना, पलक मारना, किसी की ओर आँख मिच
तपस्विजन:-श०१ 2. प्रतिबंध लगाना, सीमित काना 3. जालसाजी, बहाना, चालाकी।
करना (किसी विशेष अर्थ में) अनेकार्थस्य शब्दस्यनिमलम् (अव्य०) [ निक्रां मूलम्, प्रा० स०] नीचे जड़ कार्थनियंत्रणं सा० द० २ 3. निर्देशन, शासन तक-निमलकाषं कति ।
4. परिभाषा बताना। निमेषः [नि-+-मिष+घञ 1 आँख का झपकना, क्षण, दे० नियंत्रित (भू.क.कृ.) [नि+यंत्र+क्त] 1. दमन किया
'निमिब-'हरति निमेषात् काल: सर्वम्--मोह० ४, हा, रोका हआ 2. प्रतिबद्ध, सीमित (किसी विशेष अनिमेषेण चक्षुषा-टकटकी लगाकर, एकटक दृष्टि से अर्थ में, शब्द के रूप में)। --रघु० २।१९,३१४३, ६१ । सम०----कृत (स्त्री) | नियमः [नि-यन्+अप] 1. नियंत्रण, रोक 2. सधाना, बिजली-इच् (पुं०) जुगनू ।
वशीभूत करना 3. सीमित करना, रोक लगाना
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