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निधन (वि०) [निवृत्तं धनं यस्मात्-ब० स०] गरीब, (स्त्री०) 1. व्याजस्तुति, स्तुति के रूप में निन्दा
दरिद्र --अहो निधनता सर्वापदामास्पदम् - मच्छ० 2. प्रच्छन्नस्तुति। १२१४,-नः-नम् 1. वंस, सर्वनाश, मरण, हानि निदित भू० क० कृ०) [निंद+क्त] कलंकित, दोषा
-स्वधर्म निधनं श्रेयः-भग० ३।३५, म्लेच्छनिवह । रोपित, गाली दिया हुआ, बदनाम किया हुआ। निधने कलयसि करवालम् ---गीत० १, कल्पांतेष्वपि | निदुः (स्त्री०) [निन्दु उ] मरा बच्चा पैदा करने वाली न प्रयाति निधनं विद्याख्यमंतर्धनम् -- भर्त० २०१६ स्त्री, मृतवत्सा।
2. उपसंहार, अन्त, परिसमाप्ति,-नम् परिवार, वंश । निंद्य (वि.) [निंद+ण्यात्] 1. कलंक के योग्य, दोषानिधानम् [नि+-धा+ल्युट्] 1. नीचे रखना, निर्धारित रोपण के लायक, निर्भत्स्य, गहित, जघन्य 2. वजित,
करना, जमा करना 2. संभाल कर रखना, सुरक्षित प्रतिषिद्ध । रखना 3. गोदाम, आधार, आशय-निधान धर्माणाम्
| निपः, --पम् [नियतं पिबति अनेन -नि-+पा+क] जल - गंगा० १८4. खजाना-- निधानगर्भामिव सागरां
| का घड़ा---पः कदम्ब का पेड़ । वराम् --रघु० ३१९, भग० ९।१८, विद्यैव लोकस्य |
| निप (पा) ठः [नि |-पठ् + अप्, घन वा पढ़ना, परं निधानम् 5. कोष, भंडार, संपत्ति, दौलत ।
सस्वर पाठ करना अध्ययन करना । निधिः (नि+था कि 1. घर, आधार, आशय----जल, निपतनम् [नि+-पत्+ ल्युट | 1. नीचे गिरना, नीचे
तोय, तपोनिधि आदि 2. भंडारगृह, कोपागार 3. उतरना, उतरना 2. नीचे की ओर उड़ना। खजाना, भंडार, संचय (कुवेर के नौ खजानों के निपत्या [निपतंति अस्याम् नि+पतु क्यप्+टाप्] 1. के लिए दे० 'नवनिधि') 2. समुद्र 5. विष्णु का | फिसलन वाली भूमि 2. रणक्षेत्र । विशेषण 6. सद्गुणसंपन्न व्यक्ति । सम० -- ईशः, | निपाक: [नि-+-पच् +-घन] परिपक्व करना, पकाना। -..-नाथः कुबेर का विशेषण।
निपातः [नि+-पत्+घञ्] 1 नीचे गिरना, नीचे आना, निधुवनम् [नितरां धुवनं हस्तपादादि चालनमत्र] 1. क्षोभ, नीचे उतरना - पयोधरोत्सेघनिपातर्णिताः--कु०
कम्पन 2. संभोग, मैथुन--अतिशयमधुरिपुनिधुवन- ५।२४, ऋतु० ५।४ 2. आक्रमण करना, टूट पड़ना, शीलम् .. गीत. 3. शि० ११।१८, चौर० ४, ९, २५ झपटना, कूदना-- रघु० २।६० 3. फेंकना, फेंक कर 3. आनन्द, उपभोग, केलि।
मारना, दागना - कु० ३.१५ 4. उतार, प्रपात, निध्यानम् |नि+ध्य- ल्युट दर्शन, अवलोकन, दष्टि । निशितनिपाताः शराः--श० १११० 5. मरण, मृत्युनिध्वानः [नि+ध्वन् । घा] ध्वनि, शब्द ।
मनु० ६।३१ 6. आकस्मिक घटना 7. अनियमित निनक्षु (वि.) [नष्टुमिच्छु:-नश् + सन्ड ] 1. मरने । रूप, अनियमितता, अनियमित या अपवाद मानना,
को इच्छा वाला 2. भाग जाने या बच निकलने का एते निपाताः, निपातोऽयम---आदि ४. अव्यय, वह इच्छुक-भट्टि० ४।३३ ।
शब्द जिसके और रूप न बने - पा० ११५६ । निन (ना) दः [नि+नद् +अप, घज वा] 1. ध्वनि, निपातनम [नि+पत--णिच-ल्यट] 1. नोचे फेंक शोर-उच्चचार निनदोंभसि तस्या:---रघु० ९।७३,
देना, पछाड़ देना, मारना- मनु० ११४२०८, ११।१५, ऋतु०१, १५ 2. (मक्खियों का) भिन
2. परास्त करना, बर्बाद करना, वध करना 3. मर्म भिनाना, गुंजन करना।
स्पर्श करना 4. अनियमित या अपवाद मानना निनयनम् [नि+नी+ल्युट्] 1. अनुष्ठान 2. किसी कार्य 5. शब्द का अनियमित रूप, अनियमितता, अपवाद ।
को पूर्ण करना, सम्पन्न करना ३. उडेलना। निपानम् [नि+पा+ल्युट ] 1. पीना 2. जलाशय, निंद (भ्वा० पर० निदंति, निदित, प्रणिदति) दोष देना, जोहड़, पोखर, गाहन्तां महिषा निपानसलिलं शृंगै
निदा करना, छिद्रान्वेषण करना, बुरा भला कहना, महुस्ताडितम् --श० २१६, हि० २१७२, रघु० ९॥ डांटना, फटकारना, धिक्कारना--निनिद रूपं हृदयेन ५३ 3. चौबच्चा, कुएँ के समीप पानी का हौज़ पार्वतो--कु० ५।१, सा निदंती स्वानि भाग्यानि जिसमें पशुओं के पोने का पानी भरा हो 4. कुआँ
बाला-श० ५।३०, भग० २।३६, मनु० ३१४२ । । 5. दूध की बाल्टी। निक (वि०) [निद्+ण्वुल कलंक लगाने वाला, निंदा निपीडनम् [नि+पीड़+णिच-+ल्यूट ] 1. निचोड़ना,
करने वाला, गालो देने वाला, बदनाम करने वाला। दबाना, भींचना--शि० १६७४, १३।११ 2. चोट निवनम, निदा निंद-ल्युट, निद-+-अ+टाप् वा] 1. । पहुँचाना, घायल करना,-- ना अत्याचार करना,
कलंक, दोषारोप, डांट, फटकार, गालो, बुरा-भला । घायल करना, क्षति पहुँचाना।। कहना, बदनामी-व्याजस्तुतिमखे निंदा--काव्य निपुण (वि.) [नि+पुण+2] 1. चतुर, चालाक, १०, पर', वेद 2. क्षति, दुष्टता। सम०- स्तुतिः बुद्धिमान, कुशल वयस्य निसर्गनिपुणाः स्त्रियः
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