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१०)रम् मनुष्यों को
आदि), पाता धातू (जैसे पार्यायते, वृषस्यात
( ५१९ ) करना, नामोच्चारण, नाम याद करना --पुण्यानि के लिए दे० सा० द० ९७–११२, और रसमं० नामग्रहणान्यपि महामुनीनाम् --४३, मनु० ८।२७१, ३---९४, तु० 'अन्यस्त्री' भी) रघु० ७४१,-त्यागः नाम छोड़ना, स्वनामत्यागं नारः [ नर+अण् ] जल (स्त्री० भी-तु० मनु० १॥ करोमि पंच० १, मैं अपना नाम छोड़ दूंगा', धातुः १०)-रम् मनुष्यों की भीड़ या सम्मर्द । सम०
जीवनम् सोना। आदि), धारक,-धातिन् (वि०) नाम मात्र रखने नारक (वि०) (स्त्री०-को) [ नरक+अण् ] नारकीय, वाला, नाम मात्र का, नाममात्र-पंच० २१८४,- नरकसंबंधी, दोजखी,-क: 1. नारकीय प्रदेश, दोजख धेयम् नाम, अभिधान,-वनज्योत्स्नेति कृतनामधेया नरकवासी। श० १, किं नामधेया सा-मालवि० ४, रघु० ११४५, ] नारकिक, नारकिन, नारकीय (वि०) [नरक+ठक, १०१६७, ११३८, मनु० २।३०,-निर्देश: नाम से _इनि, छ वा ] 1. नरक का, दोजखी 2. नरक या संकेत---मात्र (वि०) केवल नामधारी, नाममात्र दोजख में रहने वाला। का, नाम के लिए, पंच०११७७, २१८६,-माला,- नारंगः [ न+अंगच्, वृद्धि] 1. संतरे का पेड़ 2. लुच्चा, संग्रहः नामों की सूची, (संज्ञाओं की) शब्दावली, लम्पट 3. जीवित प्राणी 4. युग्गल,-गम्, --गकम् --मुद्रा मोहर लगाने की अंगूठी, नामांकित अँगूठी- 1. संतरे, सद्योमुंडित मत्तहूणचिबुकप्रस्पर्धिनारंगकम् उभे नाममुद्राक्षराण्यनुवाच्य परस्परमवलोकयत:---
2. गाजर। श० १,..--लिगम् संज्ञाओं का लिंग अनुशासनम् संज्ञा
मारवः [नरस्य धर्मो नारं, तत् ददाति--दा-+क] शब्दों के लिंगों की नियमावली,--वजित (वि.)
प्रसिद्ध देवर्षि का का नाम, दिन ऋषि, सन्त महात्मा 1 नाम रहित 2. मूर्ख, बेवकूफ, वाचक (वि०)
जिसने देवत्व प्राप्त किया | देवर्षि नारद ब्रह्मा के दस नाम बतलाने वाला (कम्) व्यक्ति वाचक संज्ञा .
मानस पूत्रों में से एक है जो उसकी जंघा से उत्पन्न शेष (वि०) जिसका केवल नाम ही बाकी रह गया हो,
हए, यह वेदों के संदेशवाहक के रूप में चित्रित किया जिसका नाम ही जीवित हो, स्वर्गीय-उत्तर०२।६।
गया है जो मनुष्यों को देवों का संदेश देते तथा नामिः [नम् + इञ] विष्णु की उपाधि ।।
मनुष्यों का संदेश देवों तक पहुंचाते थे। यह देवता नामित (वि.) [नम् +णिच्+क्त] झुका हुआ, विनम्र, और मनुष्यों में कलह के बीज बोने के कारण 'कलिविनीत ।
प्रिय' कहलाते थे, कहा जाता है कि 'वीणा' का नाम्य (वि०) [नम् --णिच्+क्त] लचकदार, लचीला, आविष्कार इन्होंने ही किया था, यह एक आचारलचकीला।
संहिता के भी प्रणेता है जिसका नाम इन्हीं के नाम नायः नी+घञ 1. नेता, मार्ग दर्शक 2. मार्ग दिख- पर 'नारद-स्मृति' है ] ।
लाने वाला, निर्देशक 3. नीति 4. उपाय, तरकीब । | नारसिंह (वि.) [नरसिंह--अण ] नरसिंह से संबंध नायकः [ नी+वल ] 1. मार्गदर्शक, अग्रणी, संवाहक 2. रखने वाला,---हः विष्णु का विशेषण ।
मुख्य, स्वामी, प्रधान, प्रभु 3. गण्यमान्य या प्रधान नाराचः [ नरान् आचमति ---आ+चम् +3 स्वार्थे अण्, पुरुष, पूज्य व्यक्ति सेनानायक: आदि 4. सेनानायक, नारम् आचामति वा तारा०] 1. लोहे का बाण, सेनापति 5. (अलं० शा० में) नाटक या काव्य का तत्र नाराचदुर्दिने-रघु० ४।४१ 2. बाण-कनकनायक, (सा० द० के अनुसार नायक चार प्रकार के नाराचपरंपराभिरिव-का० ५७ 3. जल हाथी। है-धीरोदात्त, धीरोद्धत, धीरललित और धीर- नाराचिका, भाराचो नाराच+हन+टाप, नाराच+ प्रशान्त, इन चारों के कुछ अवान्तरभेद होने के अच् + ङीष् ] सुनार को तराजू, (कसौटी रूपी कारण नायक के भेद संख्या में ४० होते हैं, सा० द. तराजू)। ६४।७५, रागमंजरी केवल तीन भेदों का (पति, उप- | नारायणः [ नारा अयनं यस्य ब० स० ] 1. विष्णु की पति और वैशिक ९५३११० उल्लेख करती है) 6. उपाधि (मनु० १११० में इसको व्युत्पत्ति यह दी है हार के बीच का मुख्य मणि 7. निदर्शन या मुख्य आपो नारा इति प्रोक्ता आपो वै नरसूनवः, ता यदउदाहरण-दर्शते स्त्रीषु नायका: । सम-अधिप: स्यायनं पूर्व तेन नारायण: स्मृतः 2. एक प्राचीन राजा, प्रभु।
ऋषि का नाम जो 'नर' के साथी थे तथा जिन्होंने नायिका [ नायक+टाप, इत्वम् ] 1. स्वामिनी 2. पत्मी अपनी जंघा से उर्वशी को पैदा किया-तु० उरुद्भवा
3. किसी नाम या नाटक को नायिका (सा.द. नरसवस्य मनेः सुरस्त्री-- विक्रम० ११२, दे० 'नरके अनसार नायिका के तीन भेद है--स्सा या स्टीया, नारायणं 'नर' के अन्तर्गत--णी 1. धन की देवी अन्या या परकीया तथा साधारण स्त्रो आगे वर्गीकरण लक्ष्मी का विशेषण 2. दुर्गा का विशेषण ।
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