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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ३६ ) | ( छोटे बड़े की दृष्टि से ) 11 की भांति के अनुकरण मैं – सर्वं मामनु ते प्रियाविरहजां त्वं तु व्यथां मानुभूःविक्रम ० ४१२५; इसी प्रकार अनुगर्ज = - बाद में गरजना, गर्जने की नकल करना, 12 अनुरूप – तथैव सोऽभूदन्वर्थी राजा प्रकृतिरञ्जनात् – रघु० ४।१२, ( अनुगतोऽस्य ) । age (fro) [ अनु + कन्] 1 लालची, लोलुप 2 कामुक, विलासी । अनुकथनम् [अनु+ कथ् + ल्युट्] 1 बाद का कथन 2 संबंध, प्रवचन, वार्तालाप | अनुकनीयस् ( वि० ) [ अनु + अल्प ( युवन्) + ईयसुन् कनादेशः ] छोटे से बाद का, सबसे छोटा । अनुकंपक (वि० ) [ अनु + कंप् + ण्वुल् ] दयालु, करुणा करने वाला । अनुकंपनम् [ अनु + कंप + ल्युट् ] करुणा, तरस, दयालुता, सहानुभूति । अनुकंपा (स्त्री) [ अनु + कंप् + अच्+टाप् ] करुणा, दया । मध्य (वि० ) [ अनुकंप + यत् ] दयनीय, सहानुभूति का पात्र किं तन्न येनासि ममानुकंप्या - रघु० १४।७४; कु० ३।७६-प्यः हरकारा द्रुतगामी दूत । अनुकरणम् – कृतिः (स्त्री० ) [ अनुकृ + ल्युट् क्तिन् वा ] 1 नकल करना, प्रतिलिपि, अनुरूपता, समानता; शब्दानुकरणम् = एक अलंकार । अनुकर्ष: कर्षणम् [ अनु + कृष् + अच्, ल्युट् वा ] 1 संचाव, आकर्षण, 2 ( व्या० ) पूर्व नियम में आगे वाले नियम का प्रयोग 3 गाड़ी का तला या धुरे का लट्ठा 4 कर्तव्य का विलंब से पालन, अनुकर्षन् भी । अनुकल्पः [ अनु+ कल्प् + अच् ] गुरु का गौण अनुदेश जो आश्यकता होने पर उस समय प्रयुक्त किया जाता है । जब कि मुख्य निदेश का प्रयोग संभव नहीं- प्रभुः प्रथम कल्पस्य योऽनुकल्पेन वर्तते - मनु० ११०३०, ३११४७ । मनुकामीन (वि० ) [ अनुकाम +ख ] अपनी इच्छा के अनुसार काम करने वाला; अनुकामीनतां त्यज-भट्टि० । अनुकारः दे० अनुकरणम् । अकाल (वि०) समयोचित, सामयिक | अनुकीर्तनम् [अनु + त् + ल्युट् ] कथन, प्रकाशन । मकूरु (fro) [ अनु + कूल + अच्] 1 मनोवांछित, अभिमत, जैसे कि वायु, भाग्य आदि 2 मित्रता पूर्ण कृपापूर्ण 3 अनुरूप, निष्ठावान तथा कृपालु पति, ( एक रतिः सा० द० या एकनिरतः एकस्यामेव नायिकायाम् आसक्तः) नायक का एक भेद-लम् अनुग्रह, कृपा- नारीणामनुकूलतामाचरसि चेत्-काव्य० ९ । अनुकूलयति (ना० वा० ) अनुकूल या मुआफिक होना, प्रसन्न होना । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुक्रकच ( वि० ) [ प्रा० स० ] दंतुरित, 'दांतेदार जैसा कि आरा । अनुक्रमः [ अनु + क्रम् + अच्] 1 उत्तराधिकार, क्रम, तांता, क्रमस्थापन, क्रमबद्धता, उचितक्रम - प्रचक्रमे वक्तुमनुक्रमज्ञा - रत्रु० ६।७० श्वश्रूजनं सर्वमनुक्रमेण - १४।६० 2 विषय सूची, विषयतालिका । अनुक्रमणम् [ अनु + क्रम + ल्युट् ] 1. क्रम पूर्वक आगे बढ़ना, 2 अनुगमन णी, णिका ( स्त्री०) विषय सूची विषयतालिका जो किसी ग्रन्थ के क्रमबद्ध विषयों का दिग्दर्शन कराय । अनुक्रिया दे० अनुकरणम् । अनुक्रोशः [ अनु + क्रुश् + घञ्ञ ] दया, करुणा, दयालुता ( अधि० के साथ ) - भगवन्कामदेव न ते मय्यनुक्रोशः - श० ३, मेघ० ११५ । अनुक्षणम् ( अव्य० ) प्रतिक्षण, लगातार, बारबार । अनुक्षतू (पुं० ता) [प्रा० स०] द्वारपाल या सारथि का टहलुआ । अनुक्षेत्रम् [ प्रा० स०] उड़ीसा के कुछ मन्दिरों में पुजारियों को दी जाने वाली वृत्ति । अनुयातिः (स्त्री० ) [ अनु + ख्या + क्तिन्) 1 पता लगाना; 2 विवरण देना, प्रकट करना । अनुग ( वि० ) [ अनु + गम् + ड] ( सम० ) पीछे चलने वाला, मिलान करने वाला, – गः - अनुचर, आज्ञाकारी सेवक, साथी तद्भुतनाथानुग-रघु० २१५८, ९।१२ । अनुगतिः (स्त्री० ) [ अनु + गम् + क्तिन् ] पीछे चलनागतानुगतिको लोकः- पीछे चलने वाला, अनुकरण करने वाला - दे० 'गत' के अन्तर्गत । अनुगमः, मनम् [ अनु + गम् + अप ल्युट् वा ] 1 अनुसरण 2 सहमरण, अपने स्वर्गीय पति की चिता पर विधवा स्त्री का सती होना 3 नकल करना, समीपतर आना 4 समरूपता, अनुरूपता । अनुगजित ( वि० ) [ अनु + गर्ज + क्त ] दहाड़ा हुआ, —तम दहाड़ । अनुगवीनः [ अनु + गु+ख ] गोपाल, ग्वाला । अनुगामिन् (पुं० ) [ अनु + गम् + णिच् + णिनि ] अनुयायी, सहचर । अनुगुण (वि० ) [ ब०स०] समान गुण रखने वाला, उसी स्वभाव का, अनुकूल या रुचिकर, उपयुक्त, अनुरूप, समानशील; - (वीणा) उत्कंण्ठितस्य हृदयानुगुणा वयस्या -- मृन्छ० ३१३ मन को सुखकर, अभिमत, मनोनुकूल / ता० वा० के अनुसार यहाँ 'णा से अभिप्राय ' तंत्रीयुक्त वीणा' से 2) -जम् ( क्रि० वि०) 1. अनुकूल, इच्छा के समरूप 2 अभि मतिपूर्वक या समरूपता के साथ ( सम० में) 3 स्वभावतः । For Private and Personal Use Only ---|
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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