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अपः [जप्+अच्] 1. मन ही मन प्रार्थना करना, धीमे स्वर | जम्बु,-बू (स्त्री०)[जम् +कु पृषो० बुकागमः, जम्बु+ऊ]
से किसी मन्त्र को बार २ दुहराना 2. वेदपाठ करना, जामुन का पेड़, जामुन (सम०-खण्डः,-द्वीपः मेरु देवताओं के नाम बार २ दुहराना-मनु० ३।७४, पहाड़ के चारों ओर फैले हुए सात द्वीपों में से एक । याज्ञ० ११२२ 3. मन्द स्वर से उच्चरित प्रार्थना । | जम्बु (बू) कः (स्त्री०-की) [जम्बु (बू)+के+क] सम०--परायणः (वि.) प्रार्थना मन्त्रों को धीमे स्वर | 1. गीदड़ 2. नीच मनुष्य । में उच्चारण करने में व्यस्त, माला जप करने की | जम्बूलः [ जम्बु (बू) तन्नाम फलं लाति ला+का एक प्रकार माला।
का वृक्ष, केवड़ा,-लम् दूल्हे के मित्रों एवं दुल्हन की जप्यः,-प्यम् [जप्+यत्] 1. मन्द स्वर से या मन ही मन सखियों द्वारा किया गया परिहास या परिहासात्मक
में बोली जाने वाली प्रार्थना 2. जपने योग्य प्रार्थना अभिनन्दन। 3. जपी हुई प्रार्थना।
जम्भः [जम्भ+घञ्] 1. जबाड़ा (प्रायः ब०व०) 2. दांत जम, जम्भत (भ्वा० पर०-जभति, जम्भति) संभोग करना, 3. खाना 4. कुतर-कुतर कर टुकड़े करना 5. खण्ड,
तु० यम् ii (भ्वा० आ०-जभते, जंभते) जम्हाई अंश 6. तरकस 7. ठोडी 8. जम्हाई, उबासी 9. एक लेना, उबासी लेना।
राक्षस का नाम जिसे इन्द्र ने मार गिराया था 10. चकोजम् (भ्वा० पर० जमति) खाना ।
तरे का पेड़ । सम०-अरातिः,-द्विष,—भेदिन-रिपुः जमदग्निः (पुं०) भृगुवंश में उत्पन्न एक ब्राह्मण, परशुराम इन्द्र का विशेषण,-अरि: 1. आग 2. इन्द्र का वन
का पिता, (जमदग्नि, सत्यवती और ऋचीक का पुत्र 3. इन्द्र । था, वह बड़ा ही पुण्यात्मा ऋषि था, कहते हैं कि उसने जम्भका, जम्भा, जम्भिका [जम्भ+कन्+टाप, जम्भ-+-णिच वेदों का पूर्ण स्वाध्याय किया था, उसकी पत्नी रेणुका +अ+टाप्, जम्भा+कन्+टाप, इत्वम् ] जमुहाई, थी जिससे पाँच पुत्र हुए। एक दिन रेणुका स्नान
उबासी। करने के लिए नदी पर गई तो वहाँ उसने किसी गंधर्व- जम्भ (भी) रः [जम्भं भक्षणरुचि राति ददाति--जम्भ+ दम्पती (कुछ के मतानुसार वह चित्ररथ और उसकी रा+क, जम्भ + ईरन् ] नींबू या चकोतरे का पेड़। पत्नी थे) को जल में क्रीडा करते देखा। उस
जयः [जि+अच्] 1. जीत, विजयोत्सव, विजय, सफलता, मनोहर दृश्य को देखकर उसके मन में ईर्ष्या जागी
जीतना (युद्ध में खेल में या मक़दमे में) 2. संयम और वह उन दूषित विचारों से कलुषित हो गई, नदी
दमन, जीतना-~~-जैसा कि 'इन्द्रियजय' में 3. सूर्य का में स्नान करने पर भी वह पवित्र न हो सकी जब वह
नाम 4. इन्द्र का पुत्र जयन्त 5. पाण्डव राजकुमार वापिस घर आई तो क्रोध के अवतार जमदग्नि ने उसे
युधिष्ठिर 6. विष्णु का सेवक 7. अर्जुन का विशेषण, सतीत्व की कान्ति से हीन देखकर बड़ा धमकाया और
-~-या 1. दुर्गा 2. दुर्गा का सेवक 3. एक प्रकार का अपने पुत्रों को उसका सिर काट देने की आज्ञा दी।
झण्डा । सम-आवह (वि०) विजय दिलान वाला, परन्तु पहले चारों पुत्रों ने ऐसा क्रूर दुष्कृत्य करने में
-उद्धर (वि०) विजयोल्लास मनाने वाला,-कोलाहल: आनाकानी की। परशुराम उनका सबसे छोटा पुत्र 1. जयघोष 2. पासों से खेलना,-घोषः,-घोषणम, था। उसने तुरंत पिता की आज्ञा का पालन किया —णा विजय का ढिंढोरा,----ढक्का जीत का डंका, एक फलतः एक कुल्हाड़े से अपनी माता का सिर काट प्रकार का ढोल जिसे विजय की सूचना देने के लिए डाला। इससे जमदग्नि का क्रोध शांत हो गया और बजाया जाता है,-पत्रम् विजय का अभिलेख, ---पाल: उसने परशराम से वरदान मांगने के लिए कहा ।
1. राजा 2. ब्रह्मा का विशेषण 3. विष्णु का विशेषण, दयाल परशुराम ने अपनी माता को पुनर्जीवित करने —पुत्रकः एक प्रकार का पासा,- मङ्गलः 1. राजकीय की प्रार्थना की जो तुरंत ही स्वीकार की गई)।
हाथी 2. ज्वरनाशक उपचार, बाहिनी शची (इन्द्राणी) अमनम् जेमनम्।
का विशेषण, शब्दः 1. जयध्वनि 2. चारणों द्वारा जम्पती (पुं० द्वि० व०) [जाया च पतिश्च ] पति और
उच्चरित जयजयकार,-स्तम्भः विजय मनाने के लिए पत्नी--तु० दम्पती और जायापती।
बनाया गया स्तम्भ, विजयसूचक स्तम्भ-निचखान जम्बालः [जम्भ+पा नि० भस्य बः==जम्ब+आ+ला जयस्तम्भान् गङ्गास्रोतोऽन्तरेषु स:- रघु० ४१३६, ६९,
+क] 1. गारा कीचड़ 2. काई, सेवार 3. केवड़े का | जयद्रथः [ जयत् रथो यस्य --ब० स०] सिन्धु प्रदेश का पौधा।
राजा, दुर्योधन का बहनोई, (क्योंकि धृतराष्ट्र की पुत्री जम्बालिनी [जम्बाल-इनि+डीप | एक नदी।
दुश्शला जयद्रथ को ब्याही थो) [एक बार जयद्रथ बम्बीरः [ जम्भ + ईरन्, ब आदेशः ] चकोतरे का (नींबू । शिकार के लिए गया-वहाँ जङ्गल में उसे द्रौपदी की जाति का) पेड़,-रम् चकोतरा ।
दिखाई दी। उसने द्रौपदी से अपने लिए और अपने
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