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( ३५४ ) गोमूत्र,-धनम् गौओं का समूह, मवेशी,-धरः पहाड़। 2. एक तरह की (चोर के द्वारा लगाई गई) सध, -धुमः,- धूमः 1. गेहूँ 2. संतरा,-धूलि: पृथ्वी की ---(खम्) टेढामेढ़ा बना हुआ मकान, (-खम्, धूल, संध्या का समय (संध्या समय हो गौएँ जंगलों -खी) जपमाला रखने की छायाशंकू के आकार की से घर लौटती है, उनके चलने से धूल के बादल एकत्र थैलो जिसमें हाथ डाल कर माला के दानों को गिनते हो जाते हैं, इसी लिए इस काल का नाम 'गोधूलि' रहते है,-मूढ (वि.) बैल की भांति बुद्ध, -- मूत्रम् पड़ा),-धेनुः दूध देने वाली गाय जिसके नोचे बछड़ा गाय का मूत्र,-मृगः नीलगाय, गवय, एक प्रकार हो,--ध्रः पहाड़, नन्दी मादा सारस (पक्षी),--नर्दः का बैल,--मेवः ‘गोमेद' नाम का एक रत्न (यह 1. सारस पक्षी 2. एक देश का नाम,-नर्दीयः महा- रत्न हिमालय पहाड़ और सिन्धु नदी से प्राप्य भाष्य के कर्ता पतंजलि मुनि,-नसः,-नासः 1. एक है तथा श्वेत, पीला, लाल और गहरे नीले रंग का प्रकार का सांप 2. एक प्रकार का रत्न,-- नायः होता है), --यानम् बैलगाड़ी, रक्षः 1. ग्वाला 1. सांड़ 2. भूमिधर 3. ग्वाला 4. गौओं का स्वामी, 2. गोपाल 3. सन्तरा, रडकुः 1. मुर्गाबी 2. बन्दी --नायः ग्वाला,-निष्यन्तः गोमत्र,-पः ग्वाला (एक 3. नग्नपुरुष, दिगंबर साधु, रस: 1. गाय का दूध वर्णसंकर जाति)-गोपवेशस्य विष्णो:-मेघ० १५ 2. दही 3. छाछ, जम् मट्ठा-राजः बढ़िया साँड़,-पतम् 2. गौशाला का प्रधान 3. गाँव का अधीक्षक 4. राजा दो कोस के बराबर दूरी का माप,-राटिका,--- राटी 5.प्ररक्षक, अभिभावक, (पी) 1. ग्याले को पत्नी मैना पक्षी-रोचना एक सुगन्धित पदार्थ जिसकी
-गोपीपीनपयोधरमर्दनचंचलकरयुगशाली-गीत० ५, उत्पत्ति गोमूत्र, गोपित्त से मानो जाती है अथवा जो गाट °अध्यक्षः, इन्द्रः ईशः ग्वालों का मुखिया, कृष्ण का के सिर से उपलब्ध होता है, लवण नमक की मात्रा विशेषण, दल: सुपारी का पेड़ वधूः (स्त्री०) ग्वाले जो गाय को दी जाती है-लांग (ग) ल: लंगूर, एक को पत्नी वधूटी गोपी, ग्वाले की तरुण पत्नी---गोप- तरह का बन्दर-मा० ९१३०,-लोभी वेश्या,-वत्सः वघटीदुकलचौराय-भाषा० १,-पतिः 1. गौओं का बछड़ा, आविन् (पुं०) भेड़िया,--बर्धनः मथुरा के स्वामी 2. सांड़ 3. नेता, मुखिया 4. सूर्य 5. इन्द्र निकट वृन्दावन प्रदेश में स्थित एक विख्यात पहाड़, 6. कृष्ण का नाम 7. शिव का नाम 8. वरुण का नाम धरः, धारिल् (पुं०) कृष्ण का विशेषण,- वशा 9. राजा,-पशुः यज्ञीय गाय,-पानसी छप्पर को संभा- वांश गाय, ---वाटम,- वासः गौशाला,-विव1. गोलने के लिए उसके नीचे लगी टेढ़ी बल्ली, वलभी, पालक, गौशाला का अध्यक्ष 2. कृष्ण 3. बृहस्पति, ---..पाल: 1. ग्वाला 2. राजा 3. कृष्ण का विशेषण -विष (स्त्री०),-विष्ठा गोदर,-..विसर्गः भोर, °धानी गौशाला, गौघर, पालक: 1. ग्वाला 2. शिव तड़के (जब गौएँ जंगल में चरने के लिए खोली जाती का विशेषण,-पालिका, पाली ग्वाले की पत्नी, है), वीर्यम् दूध का मूल्य,-वृन्दम् गौओं का लहंड़ा, गोपी,... पीतः खंजन पक्षी का एक प्रकार,- पुच्छम्
---वृन्दारक बढ़िया साँड़ या गाय,-वृषः बढ़िया सांड़, गाय की पूंछ (च्छः) 1. एक प्रकार का बन्दर 2. दो, ध्वजः शिव का विशेषण,-व्रजः 1. गोशाला 2. गौओं चार या चौंतीस लड़ी का एक हार,-पुटिकम् शिव के का समूह, गोचर भूमि,- शकृत (नपुं०) गोबर, बैल (नादिया) का सिर,-पुत्रः जवान बछड़ा, पुरम्
--शाला,-ला गौओं को रखने का स्थान, बङ्गवम् 1. नगरद्वार 2. मुख्य दरवाजा-कि० ५.५
गौत्रों को तीन जोड़ी, ठ: गौओं का स्थान, गोठ, 3. मन्दिर का सजा हुआ तोरणद्वार,-पुरीषम् गाय का .. संख्यः ग्वाला,-सदृक्षः नीलगाय, गवय की एक गोबर,--प्रकाण्डम् बढ़िया गाय का सांड़,-प्रचारः
जाति, सर्गः भोर, तड़के (वह समय जब गौएँ गोचरभूमि, पशुओं का चरागाह-चाज्ञ० २।१६६,
प्रात:काल चरने के लिए खोल दी जाती है), सत्रिका —प्रवेशः गौओं का जंगल से लौटने का समय, सायं
गाय बाँधने की रस्सी,. - स्तनः 1. गाय का काल या संध्या समय, भूत (०) पहाड़,---मक्षिक
ऐन, औड़ी 2. फूलों का गुच्छा, गुलदस्ता आदि (वि०) डांस, कुत्तामाखी,--मंडलम् 1. भूगोल
3. चार लड़ की मोतियों की माला, स्तना, नी 2. गौओं का समूह,-मतम्-दे० गब्यूति,---मतल्लिका अंगूरों का गुच्छा, स्थानम् गोशाला, स्वामिन सीधी गाय, श्रेष्ठ गौ,--मयः ग्वाला,-मांसन गो का (पुं०) गौओं का स्वामी 2. धार्मिक साधु 3. मांस, मायुः 1. एक प्रकार का पेढक 2. गीरड़-अन्हें- संज्ञाओं के साथ लगाने वाली सम्मानसूचक पदवी कुरुते घनध्वनि न हि गोमायरुतानि केसरी- ज..
(उदा० बोपदेव गोस्वामिन्),-हत्या गोवध, हनम् १६।२५ 3. गाय का पित्तदोष 4. एक गन्धर्व का (हन्नम् ) गोबर,- हित (वि०) गौओं की रक्षा करने नाम,-मुखः,-मुखम् एक प्रकार का बाद्ययन वाला। --भग० १६१३ ( खः) 1. मगरमच्छ, घड़ियाल | गोडम्बः [?] तरबूज ।
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