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( २६४ )
3. विक्षुब्ध, विस्मित, उद्विग्न-भर्तृ० ११६० 4. भय के मातामहसुतो मतः याज्ञ० २।१२९, मनु० ९।१७२ कारण कांपने वाला (जैसे आँख का फरकना) रघु० । में दी गई परिभाषा भी देखिए 2. व्यास 3. कर्ण । २१५२, अमरु ७९ ।
कान्त (वि०) [कन् (म्)+क्त ] 1. इष्ट, प्रिय, अभीष्ट, कातर्यम् [कातर व्यञकायरता,--कातयं केवला नीति: -अभिमतकान्तं क्रतुं चाक्षुषं-मालवि० १, ४ शौर्य श्वापदचेष्टितम्-रघु० १७/४७ ।
2. सुखकर, रुचिकर-भीमकान्तर्नपगुणैः-रघु० १११६ कात्यायनः [कतस्य गोत्रापत्यम्, कत+या+फक्] 1. एक 3. मनोहर, सुन्दर--सर्वः कान्तमात्मीयं पश्यति-श०
प्रसिद्ध वैयाकरण जिसने पाणिनि के सूत्रों पर अनुपूरक २,तः 1. प्रेमी 2. पति-कान्तोदन्तः सुहृदुपगतः वार्तिक लिखे हैं 2. एक ऋषि जिसने श्रौतसूत्र व गृह्य सङ्गमात्किचिदून:-मेघ० १००, शि० १०॥३, २९ सूत्र की रचना की है याज्ञ० १।४।।
3. प्रेमपात्र 4. चन्द्रमा 5. बसन्त ऋतु 6. एक प्रकार कात्यायनी [कात्यायन+डीष] 1. एक प्रौढ़ा या अधेड़ | का लोहा 7. रत्न (समास में सूर्य, चन्द्र और अयस् के
विधवा (जिसने लाल वस्त्र पहने हए हों) 2. पार्वती।। साथ) 8. कार्तिकेय की उपाधि,-तम् केसर, जाफसम---पुत्रः,-सुतः कार्तिकेय ।
रान, सम०--आयसम्, चुम्बक, अयस्कान्त । कायञ्चित्क (वि.) (स्त्री-को) कथंचित्+ठक] किसी काता।
कान्ता [ कम्।क्त+टाप] 1. प्रेमिका या लावण्यमयी न किसी प्रकार (कठिनाइयों के साथ) सम्पन्न ।
स्त्री 2. गह स्वामिनी, पत्नी कान्तासखस्य शयनीयकाथिक: [कथा+ठक्] कहानी सुनाने वाला, कहानी-लेखक, शिलातलं ते उत्तर० ३।२१, मेघ० १९, शि० १०, कहानीकार ।
७३ 3. प्रियङग लता 4. बड़ी इलायची 5. पृथ्वी। कावम्बः [कदम्ब-+अण्] 1. कलहंस,-रघु० १३१५५, ऋतु० सम.----अनिदोहदः अशोक वक्ष-दे० अशोक ।
४।९ 2. बाण-शि०१८।२९ 3. ईख, गन्ना 4. कदम्ब | कान्तारः,-रम् कान्त-ऋ+अण्] 1. विशाल बियाबान
वृक्ष,-बम् कदम्ब वृक्ष का फूल-रघु० १३१२७ ।। जङ्गल,--गृहं तु गृहिणीहीनं कान्तारादतिरिच्यते कादम्बरम् कादम्ब-ला+क, लस्य र:] कदम्ब के फूलों --पंच० ४१८१, भर्तृ० ११८६ याज्ञ० १६८
से खींची हई शराब--निषेव्य मधु माधवाः सरसमत्र 2. खराब सड़क 3. सूराख, छिद्र,--र: 1. लाल रंग कादम्बरम—शि० ४।६६,--री 1. कदम्ब वृक्ष के फलों की जाति का गन्ना 2. पहाड़ी आबनूस । से खींची हुई शराब 2. शराब-कादम्बरीसाक्षिकं प्रथम कान्तिः (स्त्री०) [ कम्-क्तिन ] 1. मनोहरता, सौन्दर्य सौहदमिष्यते--श० ६ या कादम्बरीमदविधुणितलोच- -मेघ० १५, अक्लिष्टकान्ति-श० ५, १९ 2. चमक, नस्य युक्तं हि लाङ्गलभूतः पतनं पृथिव्याम् ---उद्भट प्रभा, दीप्ति-मेघ० ८४ 3. व्यक्गित सजावट या 3. मदमाते हाथी की कनपटियों से बहने वाला मद शृङ्गार 4. कामना, इच्छा 5. (अलं० शा० में)
4. सरस्वती की उपाधि, विद्यादेवी 5. मादा कोयल। प्रेमोददीप्त सौन्दर्य (सा.द. शोभा और दीप्ति से कादम्बिनी (स्त्री०) [कादम्ब+इनि+डीप ] बादलों की
कान्ति को इस प्रकार भिन्न बताता है .-रूपयौवनपंक्ति--मदीयमतिचुम्बिनी भवत् कापि कादम्बिनी--
लालित्यं भोगाद्यैरङ्गभूषणम, शोभा प्रोक्ता सैव कान्तिरस०, भामि० ४।९।
मन्मथाप्यायिता द्युतिः, कान्तिरेवाति विस्तीर्णा दीप्तिकादाचित्क (वि.) (स्त्री०-को) [कदाचित् +ठन ]
रित्यभिधीयते--१३०, १३१) 6. मनोहर या कमनीय सांयोगिक, आकस्मिक ।
स्त्री 7. दुर्गा की उपाधि । सम०-कर (वि०) काद्रवेय: [कद्रोः अपत्यम्--कद्रु+ढक् ] एक प्रकार का
सौन्दर्य बढ़ाने वाला, शोभा बढ़ाने वाला,-द (वि०) सांप।
सौन्दर्य देने वाला, अलंकृत करने वाला (वम्) काननम् [ कन्+णि+ल्युट ] 1. जङगल, बाग- रघु० ।
1. पित्त 2. घी,-,-दायक,–दायिन् (वि०) १२।२७, १३।१८ मेघ० १८, ४२, काननावनि
अलंकृत करने वाला,-भृत् (पुं०) चन्द्रमा । ...-जङगल की भूमि 2. घर, मकान । सम०--अग्निः । कान्तिमत (वि.) [ कान्ति+मतुप ] मनोहर, सुन्दर, भव्य जंगली आग, दावानल,---ओकस (40) 1. जंगलवासी | कू० ४।५, ५।७१, मेघ० ३०.-(पू०) चन्द्रमा। 2. बन्दर।
कान्दवम् [ कन्दु-+-अण् ] लोहे की कढ़ाई या चूल्हे में धुनी कानिष्ठिकम [ कनिष्ठिका+अण ] हाथ की सबसे छोटी हुई कोई वस्तु । (कनो) अंगुली,।
कान्दविक (वि.)[ कान्दव+ठक ] नानबाई, हलवाई। कानिष्ठिनेयः,-यो [ कनिष्ठा+अपत्यार्थे ठक, इनङ च ] कान्दिशीक (वि.) [ का दिशां यामीत्येवं वादिनोऽर्थे ठक, सबसे छोटी लड़की की सन्तान ।
पृषो० साधुः ] 1. उड़ने वाला, भागने वाला, भगोड़ा कानीनः कन्यायाः जातः-कन्या-अण, कानीन आदेश] --मृगजनः कान्दिशीकः संवृत्तः पंच० ११२, (अतः)
अविवाहिता स्त्री का पुत्र--कानीन: कन्यकाजातो । अस्त, भयभीत-भामि०२।१७८ ।
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