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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संयोगाया है. उकतानि पर ( २५३ ) कारक का अर्थ) 3. परब्रह्म 4. ब्रह्मा का विशेषण विषवद्यानां कर्म--- मालवि० ४ 4. धार्मिक कृत्य (यह विष्णु या शिव चाहे, नित्य हो, नैमित्तिक हो या काम्य हो) 5. विशिष्ट कत्रों (स्त्री०) कर्त+डीप्] 1. चाकू 2. कैची। कृत्य, नैतिक कर्तव्य 6. धार्मिक कृत्यों का अनुष्ठान कर्दः, कदंटः [कर्द +-अच्, कर्द+-अट् + अच्, पररूपम्] (कर्मकाण्ड) जो ब्रह्मज्ञान या कल्पना प्रवण धर्म का कीचड़। विरोधी है (विप० ज्ञान)--रघु० ८१२० 7. फल, कर्दमः [कर्द +अम] 1. कीचड़, दलदल, पंक-पादौ नूपुर परिणाम 8. नैसर्गिक या सक्रिय सम्पत्ति (धरती के लग्नकर्दमधरी प्रक्षालयन्ती स्थिता --- मच्छ० ५।३५, आश्रय के रूप में) 9. भाग्य, पूर्वजन्म के किये हुए पथश्चाश्यानकर्दमान्-रधु० ४।२४ 2. कूड़ा, मल कर्मों का फल- भर्त० २।४९ 10. (व्या०) कर्म का 3. (आलं०) पाप, मम् मांस । सम०-आटक: उद्देश्य-कर्तरीप्सिततमं कर्म-पा० ११४७९ मलपात्र, मलमार्ग आदि । 11. (वैशे० द० में) गति या कर्म जो सात द्रव्यों में एक कर्पटः,-टम कृ-विच् = कर स च पटश्च कर्म० स०] माना जाता है, (परिभाषा इस प्रकार है:- एकद्रव्य1. पुराना, जीर्ण-शीर्ण या थेगली लगा कपड़ा 2. कपड़े मगणं संयोगविभागेष्वनपेक्षकारणं कर्म- वैशे० स०, का टुकड़ा, धज्जी 3. मटियाला या लाल रंग का कर्म पाँच प्रकार का है-उत्क्षेपणं ततोऽवक्षेपणमाकूञ्चनं कपड़ा। तथा, प्रसारणं च गमनं कर्माण्येतानि पञ्च च-भाषा. कर्पटिक,-न् (वि.) [कर्पट । ठन्, इनि वा जीर्ण शीर्ण ६। सम-अक्षम (वि.) कार्य करने में असमर्थ, कपड़ों (चिथड़ों) से ढका हुआ। -अङ्गम कार्य का अंश, यज्ञीय कृत्य का भाग (जैसा कर्पणः कृप् + ल्युट्] एक प्रकार का हथियार-चापचक्र- कि दर्श यज्ञ का प्रयाज),-अधिकार धर्मकृत्यों को कणपकर्पणप्रासपटिश आदि-दश० ३५। सम्पन्न करने का अधिकार,-अनुरूप (वि.) 1. किसी कर्परः (कृप् +-अरन् बा०] 1. कड़ाह, कड़ाही 2. बर्तन विशेष कार्य या पद के अनुसार 2. पूर्व जन्म में किये 3. ठीकरा, टूटे बर्तन का टुकड़ा-जैसा कि घट कर्पर में हुए कर्मों के अनुसार, --अन्तः 1. किसी कार्य या व्यव- जीयेत येन कविना यमकः परेण तस्मै वहेयमुदकं साय की समाप्ति 2. कार्य, व्यवसाय, कार्य सम्पादन घटकपरेण-घट० २२4. खोपड़ी 5. एक प्रकार का 3. कोष्ठागार, धान्यागार--मनु० ७१६२, (कर्मान्तः हथियार। इक्षुधान्यादिसंग्रहस्थानम्--कुल्लू ०) 4. जुती हुई भूमि, कासः,---सम,—सी कृ-1-पास, स्त्रियां डीष्] कपास का - अन्तरम् 1. कार्य में भिन्नता या विरोध 2. तपस्या, वृक्ष। प्रायश्चित्त 3. किसी धार्मिक कृत्य का स्थगन,-अन्तिक कपूरः, रम् [कृप्+ऊर कपूर । सम..--खंड: 1. कपूर | (वि.) अन्तिम (—क:) सेवक, कार्मिक,--आजीवः का खेत 2. कपूर का टुकड़ा, -तैलम् कपूर का तेल। किसी पेशे से (जैसे शिल्पकार का) अपनी कर्फरः [क+विच्=कर, फल-+ अच्, रस्य ल:, कीर्यमाणः । जीविका चलाने वाला,-आत्मन् (वि.) कार्य के फल:प्रतिबिम्बो यत्र ब० स०] दर्पण । नियमों से युक्त, सक्रिय---मनु० २२,२३; (पु.) कई (वि०) कर्व (4)+उन रंगबिरंगा, चित्तीदार आत्मा,-इन्द्रियम् काम करने वाली इन्द्रियाँ जो ज्ञाने-~-याज्ञ० ३।१६६। न्द्रियों से भिन्न हैं (वे यह है-बाकपाणिपादपायपकर्बुर (वि०) [कर्व ()+उरच्] 1. रंगविरंगा, चित- स्थानि-मनु० ११२९१, 'इन्द्रिय' शब्द के नी० भी कबरा क्वचिल्लसद्घननिकुरम्बकर्बुर:--शि० १७१५६ दे०,- उदारम् साहसिक या उदार कार्य, उच्चाश2. कबूतर के रंग का, सफेद सा, भूरा-पवनर्भस्म- यता, शक्ति, उद्युक्त (वि.) व्यस्त, संलग्न, सक्रिय, कपोतकर्बुरम् कु० ४।२७,-- २: चित्रविचित्र रंग सोत्साह,-करः 1. भाड़े का मजदूर (वह सेवक जो 2. पाप 3. भूत, पिशाच 4. धतूरे का पौधा,-रम् दास न हो)-कर्मकराः स्थपत्यादयः-- पंच १, शि० ___ 1. सोना, 2. जल। १४।१६ 2. यम,-कर्त (पुं०) (व्या० में) कर्ता जो कवुरित (वि०) [कर्बुर+इतच रंगबिरंगा-उत्तर० ६।४। साथ ही साथ कर्म भी है-उदा० पच्यते ओदनः, कर्मठ (वि.) [ कर्मन्+अठच् ] 1. कार्यप्रवीण, चतुर इसकी परिभाषा यह है:--क्रियमाणं तु यत्कर्म स्वयमेव 2. परिश्रमी 3. केवल धार्मिक अनुष्ठानों में संलग्न, प्रसिध्यति, सुकरैः स्वर्गुणैः कर्तुः कर्मकर्तेति तद्विदुः । ___-यज्ञ निदेशक । -काण्डः,—उम् वेद का वह विभाग जो यज्ञीय कृत्यों, कर्मण्य (वि०) [कर्मन् + यत् कुशल, चतुर,—ज्या मजदूरी, संस्कारों तथा उनके उचित अनुष्ठान से उत्पन्न फल __-ण्यम् सक्रियता। से सम्बन्ध रखता है,-कार: 1. जो किसी व्यवसाय कर्मन् (नपुं०) [कृ+ मनिन्] 1. कृत्य, कार्य, कर्म 2. कार्या- को करता है, कारीगर, शिल्पकार (जो भाड़े पर काम न्वयन, सम्पादन 3. व्यवसाय, पद, कर्तव्य-संप्रति करने वाला न हो) 2. कोई भी मजदूर (चाहे भाड़े For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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