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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( २३९ ) 11. घर या आवास 12. वृत्त, पहिया। कठः [कठ्+अच्] एक मुनि का नाम, वैशम्पायन का शिष्य कटकिन् (पुं०) [ कटक इनि ] पहाड़। यजुर्वेद की कठ शाखा का प्रवर्तक,--21: कठ मुनि कटङ्कटः । कट-केट +खच् बा०, मुम्] 1. के अनुयायी। सम०-धर्तः यजुर्वेद की कठ शाखा में 2. सोना 3. गणेश-याज्ञ० १२८५ ।। निष्णात ब्राह्मण,- श्रोत्रियः यजुर्वेद की कठ शाखा में कटनम् । कट् + ल्युट घर की छत या छप्पर । पारंगत ब्राह्मण । कटाहः | कट+आ+हन्+ड ] 1. कढ़ाई 2. कछुवे की | कठमर्दः कठ+मृद्+अण्] शिव । कड़ी खाल 3. कूआँ 4. पहाड़ी मिट्टी का टीला कठर (वि०) [क+अरन् कड़ा, सख्त । 5. ट्टे बर्तन का खंड-शि० ५।३७, ने० २२०३२।। कठिका कठ् + वुन् बा०] खड़िया। कटिः,-टी (स्त्री०) कट+इन, कटि डीप वा । 1. कठिन (वि.) कठ्+-इनच्] 1. कड़ा, सख्त कटिन कमर 2. नितंब (साहित्य शास्त्री इस बात को 'ग्राम्य' विषमामेकवेणी सारयन्तीम् -मेघ० ९२, अमरु ७२ समझते हैं, इसका उदाहरण सा० द० ५७४ पृष्ठ पर इसी प्रकार स्तनौ 2. कठोर-हृदय, क्रूर, निर्दय --न —कटिस्ते हरते मनः) 3. हाथी का गंडस्थल । सम० विदीयें कठिनाः खल स्त्रिय:- कु० ४।५ पंच० ११६४ -तटम कूल्हा- कटीतटनिवेशितम् --- मृच्छ० १।२७, अमरु० ६, इसी प्रकार हृदय 3. कठोर, अनम्य' 4. ......त्रम 1. धोती 2. मेखला, करधनी, प्रोथः नितंब, तीक्ष्ण, प्रचंड, उग्र (पीड़ा आदि)—नितान्तकठिनां रुजं ...-मालिका स्त्री की तगड़ी या करधनी, रोहकः मम न वेद सा मानसीम्-- विक्रम० २।११ 5. पीड़ा महावत, पीलवान,--शीर्षक: कूल्हा.-शृंखला चूंघरू देने वाला,-नः झुरमुट,–ना 1. साफ की हई शक्कर जड़ी करधनी,- सूत्रम् करधनी या मेखला । से बनी मिठाई 2. खाना बनाने के लिए मिट्टी की हाँड़ी कटिका [ कटि-कन्-+टाप । कूल्हा, कमर । (-इस अर्थ में नपुं० भी)। कटीरः, - रम् [ कट+ईरन् ] 1. गुफा, खोखर 2. कूल्हों | कठिनिका, कठिनी [कठिन-डीष, कन्+टाप, इत्वम् ] का गर्त,-रम् कूल्हा । ___1. खड़िया 2. कन्नो अंगुली। कटीरकम् | कटीर+कन् | नितम्ब, चूतड़ । कठोर (वि०) कठ्+ओरन् 1. कड़ा, ठोस - कठोरास्थिकटु (वि.) (स्त्री०--टु या ट्वी) [ कट-|-उ | 1. तिक्त, ग्रंथि-मा० ५।३४ 2. क्रूर, कठोर-हृदय, निर्दय- अयि कडुवा, चरपरा (रस का एक भेद माना जाता है, रस कठोर यशः किल ते प्रियम्-उत्तर० ३।२७, इसी प्रकार छ: है: --कटु, अम्ल, मधुर, तिक्त, कषाय और लवण) हदय, चित्त 3. तीक्ष्ण, चुभने वाला, °अंकुशः... शा० -भग० १७१९ 2. गंधयुक्त, तीक्ष्ण गंध वाला -- रघु० १।२२ 4. पूर्ण विकसित, पूर्ण, पूरा उगा हुआ,-कठोर५।४३ 3. दुर्गन्धयुत, बदबूवाला 4. (क) कटु, व्यंग्या- गर्भा जानकी विमुच्य --उत्तर० १११, ४९, इसी त्मक (शब्द), याज्ञ० ३।१४२ (ख) अरुचिकर, अप्रिय प्रकार-कठोरताराधिपलाञ्छनच्छवि:- शि० १२० -श्रवणकटु नृपाणामेकवाक्यं विवब्रुः रघु० ६।८५ 5. (आलं.) परिपक्व, परिष्कृत--कलाकलापालोचन5.. ईर्ष्यालु 6. गरम, प्रचण्ड,-टुः तीखापन, तिक्तता, कठोरमतिभि:-का० ७। कडुवापन, (६ रसों में से एक),-टु (नपुं०) 1. अनु- | कड् = दे० कंड़। चित कार्य 2. लोकापवाद, दुर्वचन, निन्दा। सम | | कडे (वि०) [कड्+अच्] 1. गूंगा 2. कर्कश 3. अनजान, - कोट:-कीटकः डांस, मच्छर,-क्वाणः टटिहिरी, छर,-क्वाणः टटिहिरी, | मूर्ख। --पंथि (नपुं०) सोंठ, इसी प्रकार भंगः, भद्रम् । कडङ्ग (क) रः [कड+क( वा)+खच्, मुम्] तिनका। सोंठ या अदरक,-निष्प्लावः अनाज जो जल की बाढ़ कडंग (क)रीय (वि०) [कडंग (क) र+छ] जिसको तिनका में न आया हो,-मोदम् एक सुगन्धित द्रव्य,--रवः खिलाया जाय, यः घास खाने वाला पशु (गाय, भैंस आदि) रघु० ५।९। कटुक (वि.) [कटु+कन् ] 1. तीक्ष्ण, चरपरा 2. प्रचंड, कडत्रम् गडयते सिच्यते जलादिकम् अत्र----गट्+अत्रन्, गरम 3. अप्रिय, अरुचिकर,--क: तीखापन, खटास । गकारस्य ककारः] एक प्रकार का बर्तन। (६ रसों में से एक) दे. ऊ. 'कटु'। कहन्दिका कलंडिका विज्ञान, शास्त्र । कटुकता [ कटुक+ता ] अशिष्ट व्यवहार, अक्खड़पना। कड (लं)म्व: कड्+अम्बच्, डस्य ल: डंठल, (साग भाजी कदरम् [कट-+उरन् पानी मिला हुआ मट्ठा । का)। कटोरम् [कट+ओलच् रलयोरभेदः] मिट्टी का कसोरा। कडार (वि०) [गड्+आरन् कडादेश ] 1. भूरे रंग का कटोलः किट+ओलच 1. चरपरा स्वाद 2. नीच जाति 2. घमंडी, अभिमानी, ढीठ,-र: 1 भूरा रंग 2. सेवक । का पुरुष, जैसा कि चाण्डाल । कब्तुिलः [कट्यां तोलनं ग्रहणं यस्य, पृषो० टस्य ड] तलकठ (भ्वा० पर०) कठिनाई से रहना-दे० 'कण्ठ' । वार, खङ्ग । मेंढक । For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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