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( २३४ ) ठक) 1. जिसका परिशिष्ट में वर्णन किया गया हो। की एक स्त्री ने अपने गर्भ की रक्षा के लिए उसे अपनी 2. परिशिष्ट ।
जंघा में छिपा लिया-इसीलिए जंघा से जन्म होने के औपसगिक (वि.) (स्त्री०-को) उपसर्ग+ठन ] कारण वह और्व कहलाया । उसको देख कर कार्तवीर्य
1. विपत्ति का सामना करने योग्य 2. अमङ्गल सूचक । के पुत्र अंधे हो गये, उसके क्रोध में उठी ज्वाला ने औपस्थिक (वि.) उपस्थ+ठक] व्यभिचार द्वारा अपनी समस्त संसार को भस्म कर देना चाहा । परन्तु अपने जीविका चलाने वाला।
पितरों--भार्गवों-की इच्छा से उसने अपनी क्रोधाग्नि औपस्थ्यम् [उपस्थ व्या ] सहवास. स्त्रीसंभोग।
को समुद्र में फेंक दिया जहाँ वह घोड़े के रूप में गुप्त औपहारिक (वि.) (स्त्री०-की) [उपहार+ठक्] उप- | पड़ा रहा-तु० वडवाग्नि । बाद में और्व अयोध्या हार या आहुति के काम आने वाला,-कम् उपहार या के राजा सगर का गरु हुआ) 2. वडवाग्नि,-त्वयि आहुति।
ज्वलत्यौर्व इवाम्बराशी श० ३।३, इसी प्रकार अनलः । मोपाधिक (वि.) (स्त्री०-की) [उपाधि+ठा औलकम [उलकानां समूहः-अ] उल्लुओं का झुंड ।
1. विशेष परिस्थितियों में होने वाला 2. उपाधि या | औलक्यः[उलकस्यापत्यं---या वैशेषिक दर्शन के निर्माता विशेष गुणों से सम्बन्ध रखने वाला, फलित कार्य ।। | कणाद मुनि (दे० सर्व० में औलूक्यदर्शन)। औपाध्यायक (वि.) (स्त्री०---को) [उपाध्याय+बु ।
औल्वण्यम् उल्वण+ष्या] आधिक्य, बहुतायत, प्राबल्य । अध्यापक से प्राप्त या आने वाला।
औशन, औशनस (वि.) (स्त्री०-नो,-सी) उशना अर्थात औपासन (वि.) (स्त्री०--नी) [उपासन+अण] गह्याग्नि शुक्राचार्य से सम्बन्ध रखने वाला, उशना से उत्पन्न या
से सम्बन्ध रखने वाला,-नः गाहस्थ्य पूजा के लिए उशना में पढ़ा हुआ,-सम् उशना का धर्मशास्त्र प्रयुक्त अग्नि, गृह्याग्नि ।
(नागरिक शास्त्र व्यवस्था पर लिखा गया ग्रन्थ)। औम् (अव्य०) शूद्रों के लिए पावनध्वनि (क्योंकि 'ओम्' | औशीनरः [उशीनरस्यापत्यम्-अङ] ऊशीनर का पुत्र,-री का उच्चारण शूद्रों के लिए वर्जित है)।
राजा पुरूरवा की पत्नी। औरभ्र (वि.) (स्त्री०-भ्री) [उरभ्र+अण भेड़ से | औशीरम् [ उशीर---अण् ] 1. पंखे या चॅवर की डंडी
सम्बन्ध रखने वाला, या भेड़ से उत्पन्न,---भ्रम् 1. भेड़ 2. बिस्तरा--औशीरे कामचारः कृतोऽभूत् --दश० ७२ या बकरे का मांस 2. ऊनी वस्त्र, मोटा ऊनी कम्बल 3. आसन (कुर्सी, स्टूल आदि) 4. खस का लेप 5. खस (°भ्रः भी)।
की जड़ 6. पंखा। औरभ्रकम् [उरभ्राणां समूहः---वुन भेड़ों
औषणम् [उषण-+अण्] 1. तीक्ष्णता, तीखापन 2. काली ओरभ्रिकः [उरभ्र+ठ ] गड़रिया।
मिर्च। औरस (वि.) (स्त्री०---सी) [उरसा निर्मित:-अण कोख | औषधम् औषधि+अण 1. जड़ी-बूटी, जड़ी बूटियों का से उत्पन्न, विवाहिता पत्नी से उत्पन्न, वैध-रघु०१६। | ___ समुह 2. दवादारू, सामान्य औषधि 3. खनिज ।
८. स.-सी वैध पूत्र या पूत्री याज्ञ. २२१२८ । औषधिः...धी (स्त्री) [प्रा० स०] 1. जडी-बटी, बनस्पति औरस्य-औरस।
-दे० ओषधि 2. रोगनाशक जड़ी-बटी-अचिन्त्यो हि औणं, और्णक, औणिक (वि०) (स्त्री०-णी,—की) मणिमन्त्रौषधीनां प्रभाव:---रत्न० २3. आग उगलने
[ऊर्णा-+अञ, वुन वा ऊनी, ऊन से बना हुआ। वाली जड़ी--विरमन्ति न ज्वलितुमौषधयः-कि० ५। और्वकालिक (वि०) (स्त्री०-को) [ऊर्ध्वकाल+ष्ठा २४, (तणज्योतीषि-मल्लि.) तु० कु. १।१० पिछले समय से संबद्ध या बाद का।।
4. वर्षभर रहने वाला या सालाना पतझड़ वाला पौधा, और्ववेहम् ऊर्ध्वदेह + अण] अन्त्येष्टि संस्कार, प्रेतकर्म । अधिपतिः सोम, औषधियों का स्वामी। औज़वे (द) हिक (वि.) (स्त्री०.-की) ऊर्ध्वदेहाय | औषधीय (वि०) [औषध+छ] औषधि संबन्धी रोगनाशक,
साधु-ठा मृत व्यक्ति से संबद्ध, अन्त्येष्टि, °क्रिया । जड़ी-बूटियों से युक्त । प्रेतकर्म, अन्त्येष्टि संस्कार,-कम् अन्त्येष्टि संस्कार, | औषरम्,-रकम् [उषरे भवम्-अण्, ततः कन] सेंधा प्रेतकर्म।
| नमक, पहाड़ी नमक। और्व (वि.) (स्त्री०-वों) [ऊरु+अण 1. धरती से | औषस (वि०) (स्त्री० --सी) [उषस् - अण] उषा या
सम्बन्ध रखने वाला 2 जंघा से उत्पन्न,---ः एक प्रभात से सम्बन्ध रखने वाला,---सी पौ फटना, प्रभात प्रसिद्ध ऋषि का नाम (यह भृगुवंश में उत्पन्न हुआ था।
काल। महाभारत में वर्णन मिलता है कि भृगु के वंशजों का | औषसिक, औषिक (वि०) (स्त्री०--की) [उषस् :-ठा नाश करने की इच्छा से कार्तवीर्य के पुत्रों ने गर्भस्थित | उषा+ठञ् वा] जिसने प्रभातकाल में जन्म लिया है, बालकों को भी मौत के घाट उतार दिया। उस वंश । उषः काल में उत्पन्न ।
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धिपात.
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