________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गणन ( 1334 ) चिकटनितम्बा 1. एक कवयित्री का नाम 2. डा० राघवन / विगद (वि०) [ब० स०] रोग से मुक्त / रचित 'एकांकी'। विहिताचार (वि०) [ ब० स० ] जिसका आचरण निंद्य विहतिः [वि+के+क्तिन् ] 1. शश्रुता 2. आभास / हैं, घृणित आचरण से युक्त / / 3. गर्भस्राव 4. व्युत्पन्न (व्या० में)। विग्रहग्रहणम् [ 10 त०] रूप धारण करना, शरीर या विकर्षणम् [ वि+कष् + ल्युट्] 1. भोजन से विरक्ति मूर्ति धारण करना। 2. अन्वेषण। विग्रहेच्छु: [10 त०] लड़ाई का इच्छुक / विकृष्टसीमान्त (वि.) जिसकी सीमाएं वधित की | विग्रहिन् (पुं०) [विग्रह+इनि ] युद्ध मंत्री / गई हैं। विघसम् [वि.+अद्+अप, घसादेशः] 1. मोम 2. अघचबा विकृ (तुदा० पर०) 1. उडेलना 2. (ठंडी साँस) आह न कोर / सम-आश: (पुं०) जो खाने से बचे हुए भरता। उच्छिष्ट भोजन को करता है, कौवा। विकिरः [वि++अच् ] कुछ गौण पितरों को प्रसन्न | विघ्नोपशान्तिः बाधाओं को हटाना। करने के लिए बखेरा गया चावल / विचक्ष (अदा० आ०) 1. कहना, घोषणा करना 2. प्रकट विकिरानम् दे० 'विकिरः। करना 3. सोचना, अटकल लगाना। विक्लप (भ्वा० आ०) 1. दुविधा का वर्णन करना विचटनम् [ विचट+ल्युट ] तोड़ना। 2. विचार करना। विचन्द्र (वि.) [ब० स०] चन्द्रहीन, चन्द्रमा से रहित / विकल्पः [विक्लप+घन 11. उत्पत्ति-भा० 11125 / / मा० 11125 | विचर (भ्वा० पर०) 1. चरना, घास खाना 2. भूल हो 27 2. मान लेना, उक्ति 3. उत्प्रेक्षा, कल्पका। जाना, गलती करना-हविषि व्यचरत्तेन वषट्कारं विकल्पित (वि०) [ विवलप्+क्त ] 1. तत्पर, व्यवस्थित गणन् द्विजः-भाग० 9 / 1 / 15 / / 2. संदिग्ध, कल्पित 3. विभक्त / विचर (बि०) [ विचर्+अच ] भ्रान्त, विचलित-न विकेशतारका धूमकेतु, पुच्छलतारा / त्वं धर्म विचरं सञ्जयेह-महा० 5 / 29 / 4 / विक्रम् (म्वा० आ०) पराक्रम दिखाना / विचारमत (वि.) 1. मूर्ख, 2. निर्णय करने में अज्ञानी। विक्रमः [ विक्रम्+घञ ] 1. गरु स्वर, उदात्त स्वराघात | विचर्मन् (बि०) कवचहीन, जिसके पास जिरह बख्तर 2. जन्म कुण्डली में लग्न से तीसरा घर / न हो। विक्रमितम् | विक्रम+णि+क्त ] पराक्रम, शौयं / विचलित (वि.)[ विचल+क्त ] 1. पथभ्रष्ट, सहीमार्ग विक्रिया [विकृ+श+टाप] 1. चोट, आघात, हानि ! से भटका हुआ 2. अवलप्त, अन्धा किआ हुआ। 2. लोप। | विचालिन् (वि.) [ विचाल +इनि ] अस्थिर, परिवर्त्य, विक्रयः [वि+की+अच ] 1. बिक्री 2. विक्रयमल्य अस्फुट,- विचाली हि संवत्सरशब्दः-मी० सू०६॥ 3. मण्डी / सम० पत्रम् बिक्री की दस्तावेज - वीथिः 7 / 38 पर शा० भा० / वाजार। विचिकित्सित (वि०) संदिग्ध, संदेह पूर्ण / विक्रीडः [वि+की+अच् ] 1. खेल का मैदान विचित्रित (वि०) [विचित्र+इतच् ] रंगा हुआ, सजाया 2. खिलौना। हुआ, रंगबिरंगा। विक्रोष्टट् (पुं०) [विक्रुश् +तृच [ जो सहायता की विचिन्तनम् [ विचिन्त् + ल्युट् ] 1. विचार, चिन्तनम् पुकार करता है। 2. देख-भाल, चिन्ता, फ़िकर। विक्लवम् [वि+क्ल+अच ] क्षोभ---रा० 2144 / 25 / विचिन्ता विचिन्त+अच--टाप् ] दे० 'विचिन्तनम्। विक्लवता [ विक्लव+तल+टाप् ] भीरुता, कायरता विचेयम विचि / ण्यत / गवेपणीय। भवति हि विक्लवता गुणोऽङ्गनानाम् - शि० 7 / 43 / विचेष्टनम् [ विचेष्ट / स्युट ] हाथ पर हिलाना, प्रयास विक्षिप् (तुदा० पर०) 1. दबाना 2. उछालना 3. (धनुष) करना। झुकाना। विचेष्टा [विचेस्ट-+अङ+टाप् ] 1. प्रयत्न 2. गति विक्षिप्त (वि.) [ विक्षिप् + क्त ] विस्तारित, प्रसारित 3. संचरण / फैलाया गया। विच्छिन्न (वि.) [विच्छिद् |क्त ] 1. चीरा हुआ, फाड़ा विक्षेपः [ विक्षिप्+घा ] 1. अवहेलना (जैसा कि हुआ 2. तोड़ा हुआ, बांटा हुआ 3. चितकबरा ___ 'समय विक्षेप में 2. विस्तार / 4. समाप्त किया हुआ 5. गुप्त 6. उबटन आदि लेप विगतक्लम (वि०) [ ब० स०] जिसकी थकान दूर हो / किया हुआ। सम० -- आहुतिः आहुति देना-भङ्ग करके, औपासनम नित्य सन्ध्योपासना करना विनतासु (वि०) [ब० स० ] निष्प्राण, मृतक / जिसका नैरन्तर्य भङ्ग हो गया हो-अर्थात् कभी करना - शि० 7 // 43 // विचेयम् [ विचि ण्यताटापू] दे० 'विचिन्तनम्' / वाला (तुदा० पर०) 1. For Private and Personal Use Only