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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1332 ) के द्वारा प्रस्तुत,–विस्तरः वाग्विस्तार, वाक्प्रपंच, वादनक्षत्रमाला मीमांसकों के आक्रमण का उत्तर देने बहभाषिता, सन्तक्षणम् सोपालंभ उक्ति, व्यंग्यवाक्य, वाला वेदान्त का ग्रन्थ / -साः शतरंजी वक्तृता, बहुविध भाषण, स्तब्ध / वावित्रम् [वद्+णित्रन बाद्ययन्त्र, संगीत का उपकरण / (वि) जिसकी बाणी रुक गई है, जो बोल नहीं सकता। सम.. लगडः ढोलक बजाने की लकड़ी। वाचयित (वि.) [वच्+णिच्+तृच ] जो सस्वर पाठ वायकम् [वाद्य-कन् संगीत का उपकरण / की व्यवस्था करता है। वाद्गलम् होठ। पाचस्पतिः [षष्ठी अलुक समास ] 1. वाणी का स्वामी वाधलम तैत्तिरीय शाखा का श्रौतसूत्र / 2. वेद-महा० 14 / 21 / 9 3. एक कोशकार वानचित्रम् विविध रंग का कम्बल। का नाम / वानदण्ड: जुलाहे को खड्डी। बाचस्पतिमिश्रः तन्त्रवार्तिक के प्रणेता का नाम / वान्त (वि.) [वम् + क्त] 1. उगला हुआ, थूका हुआ बाच्य (वि.) [वच्+ण्यत्] 1. कहे जाने योग्य 2. अभिवा / 2. उदमन किया हुआ 3. गिराया हुआ। सम० द्वारा प्रकट अर्थ 3. निन्दनीय / सम० लिङ्ग * प्रदः कुत्ता,--आशिन् (पुं०) 1. राक्षस जो विष्ठा (वि.) विशेषणपरक,-- वजितम् कूटोक्ति, अभिघा पर निर्वाह करता है 2. वह व्यक्ति जो भोजन के शक्ति के द्वारा दुर्बोध उक्ति, -वाचकभावः शब्द और लिए अपना गोत्र या वंशावली का उद्धरण देता है, अर्थ की स्थिति। -- वृष्टि (वि०) वह बादल जो पानी बरसा चुका बाजित (वि०) [ वाज+इतच् ] पंखयुक्त (जैसे कि है मेघ० / बाण)। वापी विप्न-इन , ङीप्] बावड़ी, बड़ा कुआँ। सम० बाजिन् (वि०) [वाज+इनि] 1. पक्षी प्राणिवाजिनिषे- -- जलम् सरोवर का पानी। विताम-महा० 7 / 14 / 16 2. सात की संख्या। वाम (वि.) [ वम्+ण अथवा वा+मन् ] 1. बांवा सम-गन्धः एक वृक्ष का नाम,-विष्ठा बड़ का 2. उल्टा, विपरीत, विरोधी 3. क्रूर, कठोर 4. दुष्ट वृक्ष, गूलर। 5. मनोरम,-मः 1. कामदेव 2. सांप 3. छाती, ऐन, बाट (वि०) [वट+अण् ] बड़ का वृक्ष / -- टः (पुं०) औड़ी 4. निषिद्ध कार्य ( जैसे सुरापान ), मम् जिला। सम०. शृङ्खला बाड़। 1. संपत्ति, दौलत 2. दुर्भाग्य, विपत्ति 3. कमनीय बारबहरणम् सांड़ घोड़े को दिया जाने वाला चारा। वस्तु। सम० अङ्गी (स्त्री०) सुन्दर स्त्री, कामिनी, बाग्वहारकः समुद्री दानव / -इतर (वि०) दायां,--कुक्षिः बाई कोख,-नयना बाणः [वण्+घञ ] ध्वनन-वाणणिः समासक्तम् (स्त्री०) मनोहर आँखों वाली स्त्री, स्वभाव (वि०) -कि० 15 / 10 / सम०-शब्दः बंसरी की आवाज / उत्तम चरित्रयुक्त व्यक्ति-निरीक्ष्य कृष्णापकृतं वात (वि.) [वा+क्त] 1. हवा से उड़ाया हुआ गुरोस्सुतं वामस्वभावा कृपया ननाम च.-भाग० 2. इच्छित, अभिलषित,-तः 1. वायु 2. वायु की १७।४२,-हस्तः बकरी के गले का निरर्थक स्तन / अधिष्ठात्री देवता 3. शरीर के तीन दोषों में से एक वामदेव्यम् साममंत्र समह जिसका नाम उसके प्रवर्तक 4. गठिया 5. जोड़ों की सूजन 6. वायु सरना, शरीर / ऋषि वामदेव के नाम पर पड़ गया। से वायु का निकलना। सम०- अदः बदाम का पेड़, वामनीकृत (वि.) [वामन+च्चि++क्त] बौना बना - अशनः साँप-वाताशनोहमिति किं विनतासुतस्य हुआ, कद में छोटा बनाया हुआ। श्वासानिलाय भुजगः स्पृहयालुतालु:--रा० च० 5, वायसविद्या शकुन की विद्या जो कौवों के निरीक्षण से -आख्यम् ऐसा भवन जिसमें दो कमरे हों एक का | जानी जाती है। मुंह दक्षिण की ओर दूसरे का पूर्व की ओर,-आहार | वायुकुम्भः हाथी के चेहरे का एक भाग-मात० 101 / (वि.) जो वाय के ही पहारे जीवित रहता है, शोभः | वायुभक्षः 1. जो वाय खाकर जीवित रहता है 2. सांप / शरीर में वायप्रकोप के कारण हुआ रोग चकम् | वायुस्कन्धः वायुप्रदेश / परकार से गोलाकार चिह्न लगाना पट: जहाज का | वार्घटीयन्त्रम् रहट, पानी निकालने का यन्त्र / पाल, पुरोशः केरल में गुरुवयूर नामक स्थान पर | वार्धनी पानी की सुराही। देवता, रथः बादल, सञ्चारः सूखी खांसी। वारण (वि.) [व+णिच् + ल्युट] हटाने वाली,-णम् बातन्पम (वि.) [द्वितीया अलुक] फूंक मारने वाला। 1. हटाना, रोकना 2. विघ्न, बाधा 3. दरवाजा, बातासह (वि.) गठिया रोग से ग्रस्त / किवाड़,--णः 1. हाथी 2. कवच 3. हाथी की संड पातिक (वि०) [वात+ठक] 1. मोटापा या बादी से 4. अंकुश। सम० - कृच्छः एक व्रत का नाम, अस्त 2. खुशामदी 3. बाजीगर 4. चातक पक्षी। / -पुष्पः पौधे की एक जाति / For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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