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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1322 ) विशिष्ट आकृति बनाना जो स्त्री की योनि से मिलती . रक्तसम्बन्ध,--यौनानुबन्धं च समीक्ष्य कार्य-कौ० जुलती हो,-संवरणम्,-संवृत्तिः योनि या भग को अ० २।१०,-सम्बन्धः दे० यौनानुबन्ध / सिकोड़ना,--संकटम् पुनर्जन्म / / यौनिकः [ योनि+ठक मध्यम वायु, सुहावनी हवा / योवाग्राहः / विधवा स्त्री से विवाह करने वाला, मृतक पौवनम् युवन+अण्] जवानी, वयस्कता। सम०-आरड योषिग्राहः / व्यक्ति की पत्नी को ग्रहण करने वाला। (वि.) किशोर, वयस्क,-उद्धवः 1. जवानी के आवेश योगपवम् दे० योगपद्यम् / का मादक उत्साह 2. यौन प्रेम, काम वासना 3. जवानी योगपद्यम् [युगपद्+य] भिन्न भिन्न स्थानों से एक ही की कली का खिलना 4. वयस्कता प्राप्त करना- कण्टकः, साथ एक वस्तु को देखना-आदित्यवद्योगपद्यम् / ---कण्टकम्,-पिडिका यौवनारम्भ का संकेत करने मी० सू० 111 / 5 / / वाली चेहरे पर छोटी-छोटी फिसियाँ, प्रान्तः जवानी यौन (वि.) योनि+अण् ] (समास में) 1. मूल स्थान, के किनारे पर,-श्रीः जवानी का सौन्दर्य / उद्गमस्थान---यत्राग्नियौनाश्च वसन्ति लोका:--महा० | यौवनीय (वि०) युवक, तरुण / 13 / 102 / 25 2. गर्भाधानसंस्कार / सम०-अनुबन्धः ! बागुली चावलों का मांड, यवागू / एफसा (स्त्री०) कोढ़ का एक भेद / / 5. नाचना, गाना, अभिनय करना। सम०-क्षार: रक्त (वि.) [रञ्+क्त] 1. रङ्गा हुआ, रंगीन 2. लाल सुहागा,-तालः एक प्रकार का सङ्गीत का माप,-वः 3. प्रियं, प्यारा 4. सुन्दर, सुहावना 5. अनुस्वार युक्त सुहागा,-नाथः, राजः, धामन्,-शायिन् विष्णु के (स्वर),—क्तः (पुं०) 1. लाल रंग 2. मंगल ग्रह विशेषण (मद्रास राज्य के श्रीरङ्गम् स्थान पर स्थित 3. शिव,-क्तम् (नपुं०) 1. रुधिर, खून 2. तांबा मन्दिर), प्रवेशः रङ्गमञ्च पर पधारना, वेदी पर 3. जाफ़रान 4.सिन्दूर 5. आँखों का एक रोग 6. लाल उपस्थित होना, मङ्गलम् वेदी पर 'आवाहन' उत्सव चन्दन,-क्ता (स्त्री) 1 लाख 2. गुजा 3. आग मनाना। की सात लपटों में से एक। सम०-कुमुवम् लाल | रचनम् [र+ल्युट ] 1. योजना, उपाय 2. बाण में पंख कमलिनी,-च्छद (वि०) लाल पत्तों वाला,-पग्रम जमाना। लाल कमल,-बोज: 1. एक राक्षस जिसको दुर्गा देवी | रचित (वि.) [ रच्+क्त आविष्कृत, निर्मित / सम० ने मारा था 2. अनार का वृक्ष,-विकारः रुधिर का --पूर्व (वि.) जो पहले ही बन चुका है। ह्रास,-ठीवी रुधिर थूकने वाला,-खाबः शरीर के रजयित्री रज-तृ--ङोप् ] स्त्री चित्रकार। अन्दर नस फट जाने से रक्त बहना।। रजस् (नपुं०) [र +असुन, नलोप:] 1. धूल, गर्दा रक्ष (म्वा० पर०) सावधान होना, जागरूक होना। 2. पुष्प की धूल, पराग 3. अन्धेरा 4. आवेश, नैतिक रक्षा [ रक्ष+अ+टाप् ] 1. बचाना, रखना 2. सावधानी, अन्धकार 5. तीनों गुणों में दूसरा 6. भाप 7. बादल सुरक्षा 3. चौकीदारी 4. रक्षा ताबीज 5. भस्म या वर्षा का पानी 8. पाप-प्रायश्चित्तं च कुर्वन्ति 6, रक्षाबन्धन, पहुँची 7. लाख / सम०--प्रतिसरः तेन तच्छाम्यते रजः-- रा०४।८।३४ / सम० ---जुष कलाई पर ताबीज की भाँति बाँधी जाने वाली पहुँची, (वि०) रजोगुण से युक्त, मेयः धूल का बादल, रक्षाबन्धन,--महौषधिः रक्षा करने की श्रेष्ठतम --विधून (वि०) धूल से भूरे रङ्ग का हुआ -युधि औषधि / तुरगरजो विधूम्रविण्वक...' भाग०१।९।३४।। रक्षितकम् [ रक्ष-+क्त, स्वार्थे कन् / सुरक्षा / रणः, णम् [रण + अप्] 1. युद्ध, लड़ाई 2. युद्धक्षेत्र / रघुः सूर्यवंश का एक प्रतापी राजा, दिलीप का पुत्र और सम-अतिथिः युद्ध चाहने वाला अतिथि-इलाध्यः अज का पिता / सम०--उद्वहः रघुवंश में सर्वोत्तम, प्राप्तो रणातिथिः पञ्च० २६१३,-मार्गः युद्धक्षेत्र राम,-कारः 'रघुवंश' नामक काव्य का प्रणेता / में लड़ने की रीति,-पूणायित (वि.) 'रण-रण' शब्द कालिदास। करता हुआ, -रसिक (वि०) लड़ाई का इच्छुक, रहब (म्वा० पर०) जाना / -शूरः, शौण्डः युद्ध कला में प्रवीण / रङ्गः र +घञ्] 1. रंग, वर्ण 2. मंच, क्रीडागार, रण्डाधमिन् (वि०) जो पैंतालीस वर्ष की आयु के पश्चात आमोद का सार्वजनिक स्थान 3. श्रोतृवर्ग 4. रणक्षेत्र | विधुर हो जाता है। For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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