________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1293 ) परिचारितम् [परि+पर+णिच् + क्त] आमोद, / परिभाषाम् [ परिभण् +:+मण ] गृहस्थ की आवश्यप्रमोद। कताएँ। परिच्यवनम् [परिनियु-+ ल्युट्] 1. पतित होना, गिर | परिभ (म्ना० पर०) 1. आगे बढ़ जाना 2. सुखा देना, जाना 2. विचलित होना, भटकना / संतृप्त करना-एबमेवेन्द्रियग्रामं शनै: संपरिभावयेत् परिजीणं (वि.) [परि+ज-+क्त ] 1. घिसा हुआ, -महा० 12 // 195 / 19 / मुरझाया हुआ 2. पचाया हुआ। परिभवनिधानम् [ष० त०] घृणा का पदार्थ, घृणा का परिणामः [परि+नम्+घ ] 1. परिवर्तन, रूपान्तरण पात्र। 2. पचाना 3. फल 4. पकना, पूर्णतः विकसित होना परिभावना [परि भू+णि+युच] 1. घृणा 2. (नाटक) 5. अन्त, समाप्ति 6. बुढ़ापा / सम...जम् अपच के | जिज्ञासा को जगाने वाले शब्द / कारण उत्पन्न उदर पीडा,-मुख (वि.)लगभग समाप्त | परिभूत (वि.) [ परि भू+क्त ] 1. पराजित, हराया होने को,-बाद: विकासवाद का सांख्य सिद्धान्त / हुआ 2. अपमानित / परिणीतिः (स्त्री.) [परि+नी+क्तिन् ] विवाह / परिभृष्ट (वि०) [परि+भ्रस्+क्त | तला हुआ, भुना परिणेतव्य (वि०) [परि+नी+तव्यत् ] 1. जिसका हुआ। अभी विवाह होना है 2. जिसका विनिमय होना है। परिमण्डित (वि.) / परि+मण्ड+क्त ] अलंकृत, परितापिन् (वि.) [परिताप+णिनि ] तङ्ग करने वाला, सुभूषित, सजाया हुआ। उत्पीडक, कष्ट देने वाला। परिमितवयस् (वि०) [ब० स०] बाल्य अवस्था का, परितप्तिः [परि-+सप+क्तिन 1 पूर्ण सन्तोष / बच्चा, थोड़ी उम्र का। परितषित (वि.) [परि+तुष+क्त] लालायित, परिमोटनम् [परिमुट-+ल्य] चटकाना, फोड़ना, तोड़ना। उत्सुक, आतुरतापूर्वक प्रबल इच्छा रखने वाला। परियन्त्रणा [परि-यन्त्र+युच+टाप्] प्रतिबन्ध, रोक / परित्या (म्वा० पर०) किश्ती से उतरना। | परिरब्ध (वि.) [परि---रम् + क्त | आलिङ्गित / परित्याज्य (वि.) [परित्यज्+णिच् + यत् ] भुलाये | परिलधनम् (नपुं०) [परि+लड+ ल्युट ] 1. ऊपर जाने योग्य, स्याग दिए जाने के योग्य / से फांदना 2.. अतिक्रमण करना। परिविष्ट (वि.) [ परि+दिश+क्त ] जतलाया गया, | परिलीट (वि.) [ परि+लिह+क्त ] चारों ओर से ध्यान दिलाया गया। | चाटा हुआ। परिधिः [ परि-घा+कि ] 1. दीवार बाड़ 2. चन्द्र या परिलोलित (वि.) [ परिलुल+णिच्+क्त ] उछाला सूर्य के चारों ओर धुन्धला आभास 3. क्षितिज, I हुआ। दिशा / सम०-उपान्त (वि०) समुद्र ही जिसकी | परिवत्सः (पुं०) बछड़ा, गाय का बच्चा। सीमा है। परि (री) वावकथा | प० त०] निन्दनीय बात चीत. परिधारणा (स्त्री) संतोष, धर्य। बदनामी की बातें।। परिधीर (वि.)प्रा० स०] बहत गहरा (जैसे स्वर या| परि (री) वावकरः (पु.) | अपवाद, मिथ्यानिन्दा, शब्द)। | कलंक। परिध्वंसः [परि-+-ध्वंस+घा.] 1. वर्ण संकरता | परिवजित (वि.) [ परि+बज+णिच--क्त 1 लपेटा 2. ग्रहण। हुआ, कुण्डलित किया हुआ, लच्छा बनाया हुआ। परिनिष्ठित (वि.)[परि+नि+स्था+क्त ] 1. नितान्त सम० ---संख्य (वि.) असंख्य, अनगिनत / पूर्ण 2. सम्पन्न परिनिष्ठितकार्यो हि---महा० 1 // परिविंशत् (वि.) पूरे बीस कम से कम बीस / 238 / 13 / / परिविष्ट (वि.) [ परि+विश्+क्त ] 1. घेरा हुआ परिपिच्छम् (नपुं०) मोर का पंख, चन्दा; चन्दे को सजा- 2. वस्त्राच्छादित, वस्त्र पहने हुए 3. उपहृत (जैसे वट की दृष्टि से लगाना-गुजावतंसपरिपिछछल- कि भोजन)। सन्मखाय- भाग० 10 / 14 / 1 / परि (री) वर्तः [परिवत् +घा] अव्यवस्था, व्यतिक्रम। परिपूच्छिक (वि.) [परिपृच्छा+ठक ] जिसे कोई वस्तु | परिवर्तित (वि.) [परिवृत्+क्त ] 1. एक ओर किया मांगने पर ही मिलती है। हुआ, हटाया हुआ 2. पूरी तरह खोज किया गया। परिप्लोषः[परिप्लष+पा आन्तरिक गर्मी। परिवण (वि.) [ परिश्च-+क्त ] विकृति, कटापरिबर्हः [ परिव (व) ई+घञ ] सजावट का सामान, छंटा, खण्डित / __चंवर आदि राजचिल-भाग० 4 / 3 / 9 / / परिवे (स्वा० उभ०) 1. अन्तषित करना, जोड़ना परियोषः [ परिवा+पण कर्क, युक्ति, कारण। 2. बांधना / ' For Private and Personal Use Only