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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1279 ) वाला 2. दिव्य, स्वर्गीय 3. भाग्य पर निर्भर / सम० / -मण्डलम् जूआघर,--लेखक: जो जुए के खेल के -ज्य (वि.) बृहस्पति के लिए पुनीत, ऊठा ] प्राप्तांक लिखता है। 'देव' विवाह की रीति के अनुसार विवाहित स्त्री, | धोकारः (पुं०) स्थपति, वास्तुकार, सौषशिल्पी / -- चिन्ता भाग्यवाद,-रक्षित (वि०) अन्तर्जात, | ब्रङ्ग-जा नगर, पुरी-राज। नैसर्गिक,-रक्षित (वि०) देवों से जिसकी रक्षा को | ब्रवत् (वि.) [द्रु+शतृ ] 1. दौड़ता हुआ, बहता हुआ गई है-अरक्षितं तिष्ठति देवरक्षितं-सुभाष०, ... विद् 2. चूता हुआ, टपकता हुआ, बूंद बूंद गिरता हुआ। (पुं०) ज्योतिषी, -हत (वि.) जिससे देव धृणा प्रविः (0) (वेद०) धातुओं को गलाने वाला। करते हों, भाग्य का मारा। द्रविडशिशुः (पुं०) द्रविड देश का पुत्र, शैवसंप्रदाय का देवतसरित् (स्त्री०) गंगा नदी। एक सन्त-दयावत्या दत्तं द्रविडशिशुरास्वाद्य तव बसिक (वि०)[ दिवस+ठक] एक दिन में जो यत-सौन्दर्य। घटित हो। द्रविणोदः (पुं०) अग्नि, आग। वाकरिः (पुं०) 1. शनि ग्रह 2. यम 3. यमुना नदी। द्रविणोदयः [ष० त०] धन की प्राप्ति / शिक (वि.) [ देश+ठ ] गुरु के द्वारा शिक्षा द्रव्यम् [यत ऋग्वेद का मन्त्र जो साम के रूप में प्राप्त / प्रयुक्त किया जाता है-द्रव्यशब्दस्तु छन्दोगः ऋक्षु दोषकम् (नपुं०) एक छन्द का नाम जिसके प्रत्येक चरण आचरितः-मै सारा१४ पर शा० भा०। सम० में तीन भगण और एक गुरु को मिला कर दस - शतिः धर्म कार्य के लिए प्रयक्त पदार्थ की वर्ण हों। पवित्रता। बोलाचलचित्तवत्ति (वि.) जिसका मन हिंडोले की प्रष्टकाम (वि.) दर्श-भिलाषी, देखने का इच्छुक ___भांति इधर उधर सूल रहा है। "(पाणिनि के अनुसार काम और मनस्' के पूर्व 'तुम्' बोलाचलयन्त्रम् (नपुं०) एक प्रकार का यन्त्र जिसके द्वारा के 'म' का लोप हो जाता है)। कुछ औषधियां तैयार की जाती हैं। द्रष्टुमनस् (वि०) दे० 'द्रष्टुकाम' / पोलालोल (वि.) अनिश्चित / द्राक्केन्द्रम् (नपुं०) अपने अधिकतम वेग के बिन्दु से ग्रह बोस् (पु०, नपुं०) [ दम्यतेऽनेन दम् दोऽसि अर्धर्चा० ] की दूरी। ('दोषन्' शब्द को विकल्प से द्वितीया विभक्ति के | द्राक्षापाकः (0) काव्यशैली का एक प्रकार जिसमें रचना द्विवचन के पश्चात् 'दोस्' आदेश हो जाता है) ____सरल और मधुर हो (विप० नारिकेलपाकः) / 1. भुजा 2. किसी वर्ग या त्रिकोण की भुजा 3. अठारह द्राक्षासवः अंगूरों की शराब जो पुष्टिवर्धक के रूप में प्रयुक्त इंच की माप -मात० 1014 होती हैं। बोहरलाशीलता (स्त्री०) गर्भावस्था का बोला-उपेत्य | द्वाधिष्ठ (वि.) दीर्घ-+-इष्ठन] सबसे लम्बा, अत्यन्त सा दोहददुःखशीलताम्-रघु० 3 / 6 / / लम्बा,-ठः (पुं०) रीछ / दौरधरी (स्त्री०) बृहस्पति और शुक्र ग्रह का चन्द्रमा के | ब्राह्मायणः सामवेदियों के सम्प्रदाय के लिए लिखित साथ संयोग-जातकों के लिए अत्यन्त मङ्गलमय श्रौतसूत्र के कर्ता का नाम / समझा जाता है। पाद (वि.) लम्बे पैर वाला। सौर्षन (वि०) [ दुर्जन+अण् ] दुष्ट पुरुष से सम्बन्ध / / सगति (वि.) [ब० स०] द्रुत गति से जाने वाला। बौमितम् (नपुं०) [वभिक्ष+अण] अकाल पड़ना, | तमस्या दे० द्रुतविलम्बित।। पुभिक्ष होना। मः [दुः शाखास्त्यस्य, म.] 1. वृक्ष 2. कल्पवृक्ष 3. कुबेर गोवत्यम् (नपुं०) [ दुत्त+ध्यम ] आज्ञा न मानना / का विशेषण / सम०-अन्जम् कर्णिकार वृक्ष, कनियर दोस्थ्यम् (नपुं०) [दुस्थ+ध्यम ] दुःखद स्थिति / का पौधा,-स -बम: वृक्षों की वाटिका, कुंज, बोहारिकः [ दोहव+8 ] प्राकृतिक दृश्यों का माली -निर्यासः वृक्ष का रस, लोबान,-वासिन् (पु०) नै०६६१। चुपयः [प० त०] हवाई मार्ग / इक्काणः (4) राशि की अवधि का तीसरा भाग। चुरलम् (नपुं०) सूर्य। युसन्धवः (0) इन्द्र का घोड़ा, उम्पैःश्रवा / प्रोणकम् (नपुं०) [दुण्+अच्, कन्] समुद्र के किनारे का चूतः सम् [दिव+क्त, अर्घर्चा०] 1. जूमा खेलना, नगर जिसमें किलावन्दी की गई हो। पासों से खेलना 2. युद्ध, संग्राम 3. जीता हुआ द्रोणम्पच (वि.) आतिथ्य सरकार करने में उदार। पारितोषिक / सम-धर्मः जूबा खेलने के नियम, डौनेयम् (नपुं०) एक प्रकार का नमक / For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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