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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1248 ) औ औग्रसेनः [उग्रसेन--अण] उग्रसेन का पुत्र कंस। औपच्यम् [उच्च-या] देशान्तर, (ग्रह की) दूरी।। औतथ्य (वि०) [उतथ्य+अण्] उतथ्य कुल से संबद्ध, ! उतथ्य कुल में उत्पन्न / औत्तर्माणकम् [उत्तमर्ण+ठक्] कर्ज, ऋण / औत्यितासनिकः [उत्थितासन+ठक बैठने के लिए आसनों का प्रबंध करने वाला अधिकारी-वंशि० 149 / औत्पत्तिकम् [उत्पत्ति+ठक] लक्षण, स्वभाव-औत्पत्तिके- नैव संहननबलोत्पेताः–भाग० 5 / 2 / 21 / औदीच्य (वि०) [उदीची+यत्] उत्तरी देश से संबंध रखने वाला। औदुम्बरायणः [उदुम्बर+फक] एक वैयाकरण का नाम / औद्रडिकः [उद्रङ्ग+ ] 'उद्रंग' अर्थात् कर का संग्राहक -घोषाल० 210 / / औपकुर्वाणक (वि०) [उपकुर्वाण-+कक्] किसी नियत ____ अवधि के ब्रह्मचारी 'उपकुर्वाण' से संबद्ध / औपगविः (पुं०) उद्धव-भाग० 3 / 4 / 27 / औपपत्यम् [उपपति-ध्या ] उपपति या जार से प्राप्त होने वाला हर्ष। औपसन्ध्य (वि.) [उपसन्ध्या-|-अण संध्या आरंभ होने से जरा पूर्ववर्ती समय से संबद्ध रश्मिभिरौपसन्ध्यः -0 22156 / औपस्थितिकः [उपस्थिति / ठक् | सेवक ---एप भर्तृपादमूला दौपस्थितिको हंसः --प्रतिज्ञा० 1 / औम (वि.) [उमा-|-अण] उमा संबंधी। औरस (वि.) [उरसा निर्मितः अण] 1. शारीरिक...न ह्यस्त्यस्यौरसं बलम् महा० 3.11 // 31 2. नैसर्गिक -शिक्षौरसकृतं बलम्-महा० 737/20 / और्णस्थानिकः ऊर्णस्थान | ठक] ऊन विभाग का अधि कारी। औषधम् [औषधि अण] रोकथाम, मुकाबला, अनिकुवं निषधमनीषधं जनः शि०१७।। औषधिप्रतिनिधिः (0) किसी औषधि के स्थान में प्रयुक्त होने वाली जड़ी-बूटी। औष्टिक (वि.) [उष्ट्र ; ठक] ऊंट संबंधी। औष्ट्रिकः [उष्ट्र ठिक्] 1. ऊंट से प्राप्त (दुग्धादिक) 2. तेली--महा०८1८५१२५ / कम +ड] 1. बाल, केश 2. महिला का कृत्य | कडूसिका (स्त्री०) केवल सिर भिगोना, सिर का स्नान। '3. बालों का गुच्छा 4. दूध 5. विपत्ति 6. जहर | कच्छः [क-छो+क ] घनी बसी हुई बस्ती। 7. भय / कज्जलिका (स्त्री०) पारे का बना चूर्ण / कंशः [कं जलं शेते अत्र ] जलपात्र / कञ्चुकीयः [ कञ्चुक+ छ ] कञ्चकी, अन्तःपुराध्यक्ष / कंसकृषः [ कंस+कृष+अच् ] श्रीकृष्ण का विशेषण कजिनी [ कञ्ज-+इनि+कोप / वेश्या / -निषदिवान् कंसकृषः स विष्टरे---शि० 1116 / कटः [ कट् +अच् ] 1. चटाई 2. कूल्हा 3. वाण 4. लकड़ी ककुदिन् (वि.) [ ककुद् + इनि ] नेता, स्वामी-आस्यं का तख्ता 5. हायी की कनपटी। सम० कुटि: विवृत्य ककुदी-महा० 12 / 289 / 19 / (पुं०) [ब० स० ] फूस की छत वाली झोपड़ी, कक्ष्यम् [ कक्ष+यत् ] सूखे घास की चरागाह-प्रवक्ष्यति -कृत् (पुं०) तिनकों की चटाई बुनने वाला,---पूर्णः यथा कक्ष्यं चित्रभानुर्हिमात्यये-रा० 2 / 24 / 8 / हाथी जो अपनी मस्ती या कामोन्माद की पहली कक्ष्या [ कक्ष+यत्+टाप्] 1. सेना का घेरा 2. प्रति- अवस्था में हो, ---भः हाथी की कनपटी का प्रदेश, द्वंद्विता 3. प्रतिज्ञा 4. शेष, अवशिष्ट / --स्थालम् शव, लाश, .... जकः (पुं०) जनसमुदायकावासस् (पुं०) [ब० स०] बाण-असंपातं करिष्यन्ति विशेष-लोके गोपालकमानय कटजकमानयेति यस्यैपा चरन्तः कङ्कवाससः -रा० 5 / 21126 / संज्ञा भवति स आनीयते ... महा० 21113, फल: कङ्कटेरी ( स्त्री) हरिद्रा, हल्दी। घूस, रिश्वत-उत्कोचेऽस्त्री कटफल:---- नाना० / करणषारणम् [ष० त०] किसी बड़े यज्ञ का उपक्रम | कटारिका (स्त्री०) एक छोटी कटार. वर्टी। सूचक मुख्य पुरोहित या यजमान की कलाई में सूत्र | कटिनी (पुं०) हस्तिनी। बन्धन या कड़ा पहनाना / कटुभङ्गः सूखा अदरक, सोंठ / कडोलिः (पुं०) वृक्षविशेष जिसमें शरदृतु में फूल आते हैं | कटुभवः / '--पशूनामीशानः प्रमदवनकलितरवे -सो०। कट्ट (चुरा० पर०) एकत्र करना, मिट्टी से ढकना। For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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