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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1246 ) ऋक्ष (स्वा० पर०) जान से मार देना। ऋतुः [ऋ+तु किच्च] मौसम / सम० चर्या (जीवऋक्षः[ऋष+स किच्च एक प्रकार का हरिण --रोहिद्भतां धारियों का) ऋतु के अनुकूल व्यवहार,—जुष सोऽन्वधावदृक्षरूपी हतत्रयः-भाग० 3 / 31 / 36 / (स्त्री०) प्रजनन के उपयुक्त समय पर मैथन में रत सम --- इष्टिः (ऋक्षेष्टि) ग्रहमख, तारों के निमित्त महिला,- पशुः ऋतु के अनुकूल यज्ञ में बलि दिये यज्ञ, -जिहम एक प्रकार का कोढ़,-नायकः एक जाने वाला पशु / प्रकार की गोलाकार संरचना या निर्माण .. अ० तु०ऋतम् [ऋ+क्त] गाहने के पश्चात् अनाज का संग्रह १०४,-प्रियः बैल,-विम्बिन् (पु०) धोखा देने करना। वाला ज्योतिषी। ऋद्धित (वि.) [ऋद्ध+इतच्] समृद्ध बनाया गया-राजऋग्वाह्मणम् (ऋच+ब्राह्मणम्) ऐतरेय ब्राह्मण / सूयजिताल्लोकान् स्वयमेवासि ऋद्धितान्-महा० 18 / ऋजुकार्यः कश्यप मुनि। 3 / 25 / ऋजुलेखा सरलरेखा, सीधी लाइन। ऋश्यमूकः एक पर्वत का नाम / ऋण (तना० पर०) जाना। ऋषभाचलः (पुं०) शंकराचार्य के जीवन से संबद्ध केरल में ऋणच्छेदः [ऋण+छिद्-|-घा] ऋण का परिशोध। / एक पर्वत पर स्थित मन्दिर / ऋणनिर्णयपत्रम् (ऋणपत्रम्) (नपुं०) ऋण का स्वीकृति ऋषित्रणम् (नपुं०) ऋषियों के प्रति जनसाधारण का सूचक पत्र, रुक्का / / कर्तव्य, जन समाज पर ऋषियों का ऋण / ऋणप्रदात [ऋण+प्र+दा+तु] साहकार, रुपया उधार | ऋषिका (स्त्री०) ऋग्मन्त्रों की द्रष्ट्री एक स्त्री। देने वाला। ऋष्टिः ( स्त्री०) [ ऋष्+क्तिन् ] एक प्रकार का ऋतसामन् (नपुं०) एक साम का नाम वाद्ययंत्र -सतालवीणाम रष्टिवेणुभिः--भाग० 3 / ऋतम्भरा [ऋ+क्त-+-भृ+अच्, मुमागमः] बुद्धि, प्रज्ञा 15/21 / योग० 1147 // एकः [इ.+कन] प्रजापति एक इति च प्रजापतेरभिधान- | ---(कहते हैं कि वामन ने इनकी एक आँख में तिनका मिति --मैं० सं० 10 // 313 पर शा० भा०,-कम् चुभो दिया था), निपातः एक अव्यय जो अकेला 1. मन---एक विनिन्ये स जुगोप सप्त --बु० च० 2 / ही एक शब्द है, पादिका एक ही पैर का सहारा 41 2. एकता / सम० अक्षरम् (एकाक्षरम्) लेकर खड़े होना-अथावलम्ब्य क्षणमेकपादिकाम पुनीत प्रणव, 'ओम्',-- अग्नि (वि.) जो केवल एक नै० १११२१,-पार्थिवः एकमात्र शासक, सम्रात् ही अग्नि को रखता है, - अङ्गम् वह नाटक जिसमें -न केवलं तद् गुरुरेकपार्थिवः - रघु० ३।३१,-वाक्यम् एक ही अङ्क हो,--अङ्गी अपूर्ण, अधूरा,-रूपक वाक्यरचना की दृष्टि से युक्तिसंगत वाक्य, वाचक (अधूरा रूपक या उपमा), अपञ्चयः... अपायः (वि.) पर्यायवाची,-वासस् (वि०) एक ही वस्त्र जिसमें एक अवयव कम हो,- आहार्य (वि०) एक से आच्छादित,---विशक (वि०) इकीसवाँ, विजयः सा भोजन करने वाला, जो प्रतिषिद्ध और अनुमत पूरी जीत को० अ० 12, ..वीरः 1. प्रमुख योद्धा भोजन में विवेक न करे,-एकश्यम् अलग-अलग एक 2. स्कन्द के नौ सहायकों में से एक, व्यावहारिकाः एक करके,-प्रामीण (वि.) एक ही गांव का रहने बौद्धों की एक शाखा,-शेपः एक ही जड़ का वृक्ष / वाला,-घर: तपस्वी, संन्यासी-नाराज के जनपदे एकशतम् (नपुं०) एक प्रतिशत / चरत्येकचरो वशी-रा० २०६७।२३,-छत्र | एकलव्यः (पुं०) द्रोणाचार्य के एक शिष्य का नाम जिसने (वि.) जो केवल एक ही छत्र से शामित हो, जहाँ अपनी गरुभक्ति के कारण धन विद्या में प्रवीणता एक ही राजा का राज्य हो,--जीववादः (दर्शन० में) प्राप्त की। केवल जीवात्मा का सिद्धान्त,-दग्मिन् (पुं०) एकाष्टका (स्त्री०) माघ मास का आठवां दिन / संन्यासियों की एक श्रेणी, धुरीण (वि.) एक ही एकाष्ठी (स्त्री०) कपास का बीज, बिनौला। मार को उठाने वाला-तत्कण्ठनालकधुरीणवीण-नै एजत् (वि०) [एज+शत ] कांपता हुआ, हिलता ६।६५,-नयनः शुक्रग्रह, असुरों का गुरु शुक्राचार्य हुआ। For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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