________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1242 ) उपनिविष्ट (वि.) [उप+नि+विश्+क्त] 1. घेरा , उपमम्मिन् (पुं०) [ उपमन्त्र+इनि ] 1. अवरपरामर्श डालने वाला रखने वाला, अधिकार करने वाला। दाता, या मन्त्री 2. संदेशवाहक- स्मरण उपमउपनिवेशः [उप+नि+विश+प] 1. देहात, उपनगर निन् भव्यतामन्यवार्ता - भाग० 107129 / 2. स्थापना। उपमा [उप+मा+बम+टा] धर्मविर सिद्धान्तउपनिषद [उपनि+ष+विवा] संकेन्द्रण---यदेव विद्यया -विधर्मः परधर्मश्च आभास उपमा छल:--भाग० करोति श्रद्धयोपनिषदा-छा० 111 / 10 / 15 / 12 / उपनिषेद (भ्वा० आ०) अपने आपको संलग्न करना। उपमाव्यतिरेकः (पुं०) तुलना और वषम्य का संयोग / उपनयः [उप+नी+अच्] (किसी भी शास्त्र में) दीक्षा।। उपनयनम् [ उप+म+ ल्युट् ] निग्रह, निरोध / उपनयनम् [उप+नी+ल्युट्] नियोजन, नियुक्ति, अनु उपमेखलम् (अ.) [प्रा० स०] (पर्वत के) ढलान पर / प्रयोग। उपयापनम् [ उप+या णि+ल्युट ] 1 निकट पहुँचाना उपनीत (वि.) [उप+नी+क्त] 1. विवाहित 2. ब्रह्मचर्य 2. विवाह आश्रम में दीक्षित। उपयुक्तः[प्रा०स०] अधीनस्थ अधिकारी-को० अ०२।५। उपनुन्न (वि.) [उप+नु+क्त] उड़ा हुना, लहरों में उपयोगवत् [उपयोग+मतुप, मस्य वस्वम् ] उपयोगी, बहा हुआ--द्रुतमरुषुपनुन्नः-शि०४१६८। काम का। उपनेत्रम् [उप+नी+ष्ट्रन] ऐनक, पश्मा। उपयोगशून्य (वि.) [त. स.] व्यर्थ, निरर्थक / उपन्यस्तम् [उप+नि+अस्+क्त] मल्लयुद्ध के समय | उपयोण्य (वि.) [उप-+युज्+ण्यत् ] कार्य में साने हाथों की विशिष्ट मुद्रा--रा०६१४०।२६। के योग्य / उपपतित (वि०) [उप+पत्+क्त] उपपातक या किसी उपरण्य (अ.) [उप+र +क्त (ल्यप्) ] काला सामान्य पाप का अपराधी, नगण्य पाप का दोषी। कर के, मिटा कर / उपपत्तिः [उप+पद्+क्तिन्] 1. दुर्घटना, संपात-उप- उपरजक (वि०) [उप+र +ण्वल ] 1. रंगने पत्त्योपलब्धेषु लोकेषु च समो भव ... महा० 12 / 288 वाला 2. प्रभावशाली। 11 2. उपयुक्त, तर्कसंगत-उपपत्तिमदूजिताश्रयं नृप- उपरतशोणिता (वि.) [ब० स०] वह स्त्री जिसका मूचे वचनं वृकोदरः-कि०२।१ / ___ मासिक धर्म बन्द हो चुका है। उपपत्तिपरित्यक्त (वि.) [त० स०] अनिर्वाह्य, | उपरम्भ (न्वा० पर०) प्रतिध्वनि कराना, गुंजाना / अप्रमाणित / उपरि (अ०) [ऊवं+रिल्, उप आदेशः ] ऊपर, उपरांत. उपपत्तिसमः[त० स०] न्यायशास्त्र में वर्णित विरोध जहाँ। बाद। सम-काणम् मैत्रायणी संहिता का तीसरा दोनों विरुद्ध उक्तियाँ सिद्ध की जा सकती हैं। खण्ड, तलम् सतह,-बहती बहती छंद का एक उपपत्र (वि.) [उप+पद्+क्त] इच्छानुकूल, रुचिकर भेद,--(स्थ) ऊपर रक्खा हुआ। -उपपन्नेषु दारेषु पुत्रेषु च विधीयते--रा०२११०१।१८। उपसः उप+रुध् + क्त ] कैदी, रोका हुआ। उपपाद्य (वि.)[उप+पदण्यत्] 1. अनुपाल्य 2. प्रमाण उपरोषः [उप-+ +घन 1 उच्छेद, लोप, मिकालदेना सापेक्ष 3. सत्ता में आने वाला। ___ आनर्थक्यादि प्राकृतस्योपरोषः स्यात्-मी० सू० उपपर्वन् (नपुं०) [प्रा० स०] चन्द्रमा के परिवर्तन से पूर्व | 8415 / सम० - कारिन् (वि०) विघ्नकारी, का दिन। रुकावट डालने वाला। उपपावः [उप+पद्+णि+पा] अतिरिक्त, स्तम्भ / उपलः [उप+ला+क] नकली बन्दूक द्वारा फेंकी गई उपप्लबः उप-प्ल+अप्] हानि, विफलता-मायया विभ्रम- गोली। सम-अक्षिन् (वि०) चक्की पर अनाज च्चितो न वेद स्मृत्युपप्लवात्-भाग० 1018425 / पीसने वाला,-वृष्टिः ओलों की वर्षा / उपप्लाव्यम् (नपुं०) मत्स्यदेश की राजधानी का नाम / उपलब्धिसम [ उपलभ् +क्तिन+सम्+अच् ] न्याय उपप्लुत (वि.) [उप---प्लु+क्त] दबाया हुआ, भींचा शास्त्र का शब्द जो किसी तर्क का कुतर्क पूर्ण निराहुआ~-कि० 8 / 39 / करण दर्शाता है-न्या० द०। उपभ (जुहो० उभ०) धारण करना, वहन करना। | उपलम्भः [ उप+लभ् +घा, मुम् च ] देखना, दर्शन उपभूत (वि.) [ उप+भू+क्त ] संग्रहीत, निकट लाया करना। गया-शिष्यायोपभूतं तेजो-भाग०८।१५।२९ / उपलेपः [उप+लिए+घञ ] मन्दता, कुन्दता / उपभेदः [उप+भि+पा ] उप प्रभाग। उपलेखः [उप+लिख+पा 1 प्रतिशाख्यों से संबद्ध उपमश्रवस् (वि०) (वेद.) [20 स०] प्रशस्त-- पशः / व्याकरण की एक रचना। ख्यापितकवि कवीनामुपश्रवस्तमम्- ऋ० 2 / 23 / 1 / / उपलोहम् (नपुं०) [प्रा. स.] गौण पातु, खोटी धातु / For Private and Personal Use Only